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Indore: FSSAI के नए नियमों में देसी मिठाइयों, नमकीन पर अनहेल्दी का लेबल लगाने की तैयारी, इंदौर में विरोध शुरू

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पैक्ड फूड के लिए FSSAI ने नए नियम बनाए हैं। इसके तहत शुगर और सॉल्ट्स यानी शकर और नमक का अधिक इस्तेमाल होने पर खाद्य पदार्थों को अनहेल्दी लेबल लगाया जाएगा। इसका स्थानीय स्तर पर मिठाई और नमकीन बनाने वालों के कारोबार पर सीधे-सीधे असर पड़ेगा। इनके पदार्थों को अनहेल्दी का टैग मिलेगा। इस नए नियम का इंदौर के मिठाई और नमकीन कारोबारियों ने विरोध शुरू कर दिया है। यह विरोध अन्य शहरों में भी तेजी से बढ़ रहा है। 

भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण यानी FSSAI ने पैकेज्ड फूड पर हरे और नीले रंग के निशान लगवाए हैं। यह बताते हैं कि फूड वेज है या नॉनवेज। इसी तरह नए नियमों में खाद्य पदार्थों में अगर नमक और शकर का इस्तेमाल अधिक है तो इस पर अनहेल्दी का लेबल लगेगा। यदि ऐसा हुआ तो देशभर में बनने वाली देसी मिठाइयों, नमकीन के कारोबार पर सीधा असर पड़ेगा। देशभर में नमकीन उद्योग का कारोबार सात सौ अरब रुपये से ज्यादा का है, जबकि मिठाई उद्योग साढ़े पांच सौ अरब रुपये का है।

मिठाई और नमकीन कारोबारियों का कहना है कि लड्डू, गजक देसी मिठाइयां हैं। हमारे देश में कोई उसे खाकर पेट नहीं भरता है। ऐसे में ज्यादा उपयोग शरीर के लिए हानिकारक जैसी चेतावनी का डिब्बों पर उल्लेख सही नहीं है। FSSAI बड़ी कंपनियों के दबाव में नियम बदल रही है। इसका सीधा असर छोटे कारोबारियों पर होगा, जो दुकानें खोलकर मिठाइयां और नमकीन बनाकर बेच रहे हैं। इससे देश के पारंपरिक व्यंजनों से जुड़े व्यापार में बड़ी कंपनियों का दबदबा बढ़ेगा और स्थानीय व्यापारी बाहर हो जाएंगे। विदेेशी कंपनियां यही तो चाहती है। मध्य प्रदेश मिठाई-नमकीन निर्माता एसोसिएशन ने FSSAI के सीईओ एस गोपाल कृष्णन को पत्र लिखकर नए नियमों का विरोध किया है।  
क्या है नया नियम
पैक्ड फूड 100 ग्राम या 100 मिलीमीटर मात्रा में हाईफैट्स होने पर शुगर और सॉल्ट की मात्रा के आधार पर रैंकिंग होनी है। अगर सॉल्ट और शुगर अधिक रहेगा तो पैकिंग पर अनहेल्दी का टैग लगेगा। इसी बात का डर स्थानीय मिठाई दुकानों और नमकीन वालों को है। उनका कहना है कि कोई भी पेट भरने के लिए मिठाई या नमकीन नहीं खाता। अगर हेल्दी और अनहेल्दी जैसे टैग्स लगेंगे तो यह लोगों में स्थानीय और पारंपरिक व्यंजनों के प्रति अरुचि पैदा करेगा। यह कारोबार प्रभावित करेगा।  

विदेशों के नियम की नकल
मध्यप्रदेश मिठाई व नमकीन निर्माता एसोसिएशन के सचिव अनुराग बोथरा का कहना है कि विदेशों के नियमों की नकल कर भारत में ऐसे नियम लागू किए जा रहे हैं। यह पारंपरिक मिठाई, नमकीन की साख पर भारी पड़ रहे हैं। विदेशों की तुलना में हमारे देश का खानपान अलग है। देश में मिठाई, अचार, नमकीन खाया जाता है, जिसमें नमक और शकर अधिक होती है। इससे कोई पेट नहीं भरता, बल्कि थोड़ा ही खाया जाता है। इस वजह से उनका ज्यादा मात्रा में सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने जैसी चेतावनी की जरूरत ही नहीं है।  

विस्तार

पैक्ड फूड के लिए FSSAI ने नए नियम बनाए हैं। इसके तहत शुगर और सॉल्ट्स यानी शकर और नमक का अधिक इस्तेमाल होने पर खाद्य पदार्थों को अनहेल्दी लेबल लगाया जाएगा। इसका स्थानीय स्तर पर मिठाई और नमकीन बनाने वालों के कारोबार पर सीधे-सीधे असर पड़ेगा। इनके पदार्थों को अनहेल्दी का टैग मिलेगा। इस नए नियम का इंदौर के मिठाई और नमकीन कारोबारियों ने विरोध शुरू कर दिया है। यह विरोध अन्य शहरों में भी तेजी से बढ़ रहा है। 

भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण यानी FSSAI ने पैकेज्ड फूड पर हरे और नीले रंग के निशान लगवाए हैं। यह बताते हैं कि फूड वेज है या नॉनवेज। इसी तरह नए नियमों में खाद्य पदार्थों में अगर नमक और शकर का इस्तेमाल अधिक है तो इस पर अनहेल्दी का लेबल लगेगा। यदि ऐसा हुआ तो देशभर में बनने वाली देसी मिठाइयों, नमकीन के कारोबार पर सीधा असर पड़ेगा। देशभर में नमकीन उद्योग का कारोबार सात सौ अरब रुपये से ज्यादा का है, जबकि मिठाई उद्योग साढ़े पांच सौ अरब रुपये का है।

मिठाई और नमकीन कारोबारियों का कहना है कि लड्डू, गजक देसी मिठाइयां हैं। हमारे देश में कोई उसे खाकर पेट नहीं भरता है। ऐसे में ज्यादा उपयोग शरीर के लिए हानिकारक जैसी चेतावनी का डिब्बों पर उल्लेख सही नहीं है। FSSAI बड़ी कंपनियों के दबाव में नियम बदल रही है। इसका सीधा असर छोटे कारोबारियों पर होगा, जो दुकानें खोलकर मिठाइयां और नमकीन बनाकर बेच रहे हैं। इससे देश के पारंपरिक व्यंजनों से जुड़े व्यापार में बड़ी कंपनियों का दबदबा बढ़ेगा और स्थानीय व्यापारी बाहर हो जाएंगे। विदेेशी कंपनियां यही तो चाहती है। मध्य प्रदेश मिठाई-नमकीन निर्माता एसोसिएशन ने FSSAI के सीईओ एस गोपाल कृष्णन को पत्र लिखकर नए नियमों का विरोध किया है।  

क्या है नया नियम

पैक्ड फूड 100 ग्राम या 100 मिलीमीटर मात्रा में हाईफैट्स होने पर शुगर और सॉल्ट की मात्रा के आधार पर रैंकिंग होनी है। अगर सॉल्ट और शुगर अधिक रहेगा तो पैकिंग पर अनहेल्दी का टैग लगेगा। इसी बात का डर स्थानीय मिठाई दुकानों और नमकीन वालों को है। उनका कहना है कि कोई भी पेट भरने के लिए मिठाई या नमकीन नहीं खाता। अगर हेल्दी और अनहेल्दी जैसे टैग्स लगेंगे तो यह लोगों में स्थानीय और पारंपरिक व्यंजनों के प्रति अरुचि पैदा करेगा। यह कारोबार प्रभावित करेगा।  

विदेशों के नियम की नकल

मध्यप्रदेश मिठाई व नमकीन निर्माता एसोसिएशन के सचिव अनुराग बोथरा का कहना है कि विदेशों के नियमों की नकल कर भारत में ऐसे नियम लागू किए जा रहे हैं। यह पारंपरिक मिठाई, नमकीन की साख पर भारी पड़ रहे हैं। विदेशों की तुलना में हमारे देश का खानपान अलग है। देश में मिठाई, अचार, नमकीन खाया जाता है, जिसमें नमक और शकर अधिक होती है। इससे कोई पेट नहीं भरता, बल्कि थोड़ा ही खाया जाता है। इस वजह से उनका ज्यादा मात्रा में सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने जैसी चेतावनी की जरूरत ही नहीं है।  

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