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Polling Booth Voters Count Hearing: वोटर्स की संख्या बढ़ाने के खिलाफ याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा, जानिए क्या है पूरा मामला ?

Polling Booth Voters Count Hearing: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की संख्या 1200 से बढ़ाकर 1500 करने के फैसले पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। कोर्ट ने चुनाव आयोग को 3 सप्ताह में संक्षिप्त हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह को इस फैसले के पीछे का तर्क समझाने का निर्देश दिया है।

हालांकि, सिंह ने कहा- मतदान केंद्रों पर 2019 से ही मतदाताओं की बढ़ी हुई संख्या को समायोजित किया जा रहा है। यह फैसला लेने से पहले सभी राजनीतिक दलों से सलाह ली जाती है।

अगली सुनवाई जनवरी 2025 में होगी। याचिकाकर्ता को अगली सुनवाई से पहले हलफनामे की एक प्रति देने का भी निर्देश दिया गया।

जस्टिस कुमार ने यह भी पूछा, “एक मतदान केंद्र में कई मतदान केंद्र हो सकते हैं, तो क्या यह नीति एक ही मतदान केंद्र पर भी लागू होगी?”

इंदु प्रकाश सिंह द्वारा दायर याचिका में चुनाव आयोग द्वारा अगस्त 2024 में जारी किए गए दो फैसलों को चुनौती दी गई है। इसमें देश के हर मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या बढ़ाने की बात कही गई है।

याचिका में सिंह ने तर्क दिया है कि हर मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या बढ़ाने का फैसला मनमाना था और यह किसी डेटा पर आधारित नहीं था।

याचिका में किए गए दावे

2011 के बाद से कोई जनगणना नहीं हुई है। इसलिए, चुनाव आयोग के पास मतदाताओं की संख्या 1200 से बढ़ाकर 1500 करने के लिए कोई नया डेटा नहीं है।

सीमा बढ़ाकर आयोग ने मतदान केंद्रों की संचालन क्षमता से समझौता किया है। इससे बूथ पर मतदाताओं का इंतजार करने का समय बढ़ सकता है। भीड़भाड़ हो सकती है और मतदाता थक सकते हैं।

एक मतदाता को वोट देने में लगभग 60-90 सेकंड का समय लगता है। मतदान आमतौर पर 11 घंटे तक चलता है, जिसका मतलब है कि प्रत्येक मतदान केंद्र पर केवल 495-660 लोग ही मतदान कर सकते हैं।

65.7% के औसत को देखते हुए, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि 1000 मतदाताओं के लिए बनाए गए मतदान केंद्र पर लगभग 650 मतदाता हो सकते हैं। कुछ बूथों पर, मतदान प्रतिशत 85-90% के बीच है।

सुप्रीम कोर्ट

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