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Fortified Rice: एमपी में राशन दुकानों पर ‘प्लास्टिक के चावल वितरित!’, अधिकारी की अज्ञानता से ग्रामीण भ्रमित

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मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में राशन की दुकानों पर कथित तौर पर ‘प्लास्टिक के चावल’ वितरण को लेकर भ्रम पैदा हो गया। इस चावल को लेकर मनरेगा से जुड़े एक अधिकारी ने ही सवाल खड़े कर दिए। इसके बाद ग्रामीणों में इसे लेकर भय व भ्रम की स्थिति पैदा हो गई। इसे लेकर पहले भी भ्रम की स्थिति पैदा हो चुकी है। 

ताजा भ्रम व अफवाह की वजह कोई और नहीं, बल्कि शहडोज जिले में पदस्थ एक मनरेगा अधिकारी हैं। उनके आधे अधूरे ज्ञान ने एक बार फिर उक्त चावल की लेकर ग्रामीण क्षेत्र के हितग्राहियों में संदेह पैदा कर दिया। इस कारण अब वह पुनः यह फोर्टिफाइड चावल लेने से मना कर रहे हैं।

शहडोल के बुढ़ार विकास खंड के ग्राम खरला में यह भ्रम की स्थिति पैदा हुई। मनरेगा के परियोजना अधिकारी राहुल सक्सेना उक्त क्षेत्र में चल रहे मनरेगा कार्यों का निरीक्षण करने पहुंचे थे। इसी दौरान वे ग्राम खरला स्थित शासकीय उचित मूल्य की दुकान का निरीक्षण करने पहुंच गए। उन्होंने वहां रखे चावल की गुणवत्ता परखना शुरू कर दिया, हालांकि इस चावल को लेकर उन्हें कोई ज्ञान नहीं था। 

राशन दुकान संचालक को इस तरह फटकारा
दर्जनों ग्रामीणों के सामने मनरेगा के परियोजना अधिकारी ने राशन दुकान के संचालक से सवाल करना शुरू कर दिए। अधिकारी ने दुकान संचालक को फटकारते हुए कहा कि ये चावल तो प्लास्टिक के दिख रहे हैं? ये लोगों को कैसे वितरित कर रहे हो? अगर प्लास्टिक का चावल वितरण के लिए यहां आ गया है तो आपने अधिकारियों को इससे अवगत क्यों नही कराया? इसकी शिकायत करनी थी? मनरेगा अधिकारी के सवालों के आगे राशन विक्रेता कुछ बोल नहीं पाया, हालांकि, उसने इतना जरूर बताया कि साहब इसे फोर्टिफाइड चावल कहते हैं। दिखने में भले ही यह प्लास्टिक जैसा हो, लेकिन शासन से  यही चावल वितरण के लिए आ रहा है।  

मनरेगा अधिकारी ने लिया सैंपल तो ग्रामीणों को हो गई शंका
मनरेगा के अधिकारी सक्सेना राशन दुकानदार के स्पष्टीकरण को दरकिनार करते हुए जांच के लिए इस चावल के सैंपल ले लिए। इससे ग्रामीणों में शंका और गहरा गई कि ये चावल प्लास्टिक के ही होंगे। ग्रामीणों ने विक्रेता से कहा कि बड़े साहब बोलकर गए हैं कि ये प्लास्टिक का चावल है। इसे हम अब नहीं लेंगे। दूसरा चावल मंगवाकर दो। 

बड़ी मुश्किल से दूर किया भ्रम
शहडोल में इस चावल को लेकर भ्रम फैलने के बाद जिला प्रशासन के आला अधिकारियों के साथ-साथ खाद्य विभाग के अमले ने भी ग्रामीणों को सही स्थिति बताई है। आमजनों से कहा गया है कि यह प्लास्टिक का चावल नहीं बल्कि फोर्टिफाइड चावल है। यह पूरी तरह से पौष्टिक है। बड़ी मशक्कत के बाद ग्रामीणों ने ये चावल फिर लेना शुरू किया।

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मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में राशन की दुकानों पर कथित तौर पर ‘प्लास्टिक के चावल’ वितरण को लेकर भ्रम पैदा हो गया। इस चावल को लेकर मनरेगा से जुड़े एक अधिकारी ने ही सवाल खड़े कर दिए। इसके बाद ग्रामीणों में इसे लेकर भय व भ्रम की स्थिति पैदा हो गई। इसे लेकर पहले भी भ्रम की स्थिति पैदा हो चुकी है। 

ताजा भ्रम व अफवाह की वजह कोई और नहीं, बल्कि शहडोज जिले में पदस्थ एक मनरेगा अधिकारी हैं। उनके आधे अधूरे ज्ञान ने एक बार फिर उक्त चावल की लेकर ग्रामीण क्षेत्र के हितग्राहियों में संदेह पैदा कर दिया। इस कारण अब वह पुनः यह फोर्टिफाइड चावल लेने से मना कर रहे हैं।

शहडोल के बुढ़ार विकास खंड के ग्राम खरला में यह भ्रम की स्थिति पैदा हुई। मनरेगा के परियोजना अधिकारी राहुल सक्सेना उक्त क्षेत्र में चल रहे मनरेगा कार्यों का निरीक्षण करने पहुंचे थे। इसी दौरान वे ग्राम खरला स्थित शासकीय उचित मूल्य की दुकान का निरीक्षण करने पहुंच गए। उन्होंने वहां रखे चावल की गुणवत्ता परखना शुरू कर दिया, हालांकि इस चावल को लेकर उन्हें कोई ज्ञान नहीं था। 

राशन दुकान संचालक को इस तरह फटकारा

दर्जनों ग्रामीणों के सामने मनरेगा के परियोजना अधिकारी ने राशन दुकान के संचालक से सवाल करना शुरू कर दिए। अधिकारी ने दुकान संचालक को फटकारते हुए कहा कि ये चावल तो प्लास्टिक के दिख रहे हैं? ये लोगों को कैसे वितरित कर रहे हो? अगर प्लास्टिक का चावल वितरण के लिए यहां आ गया है तो आपने अधिकारियों को इससे अवगत क्यों नही कराया? इसकी शिकायत करनी थी? मनरेगा अधिकारी के सवालों के आगे राशन विक्रेता कुछ बोल नहीं पाया, हालांकि, उसने इतना जरूर बताया कि साहब इसे फोर्टिफाइड चावल कहते हैं। दिखने में भले ही यह प्लास्टिक जैसा हो, लेकिन शासन से  यही चावल वितरण के लिए आ रहा है।  

मनरेगा अधिकारी ने लिया सैंपल तो ग्रामीणों को हो गई शंका

मनरेगा के अधिकारी सक्सेना राशन दुकानदार के स्पष्टीकरण को दरकिनार करते हुए जांच के लिए इस चावल के सैंपल ले लिए। इससे ग्रामीणों में शंका और गहरा गई कि ये चावल प्लास्टिक के ही होंगे। ग्रामीणों ने विक्रेता से कहा कि बड़े साहब बोलकर गए हैं कि ये प्लास्टिक का चावल है। इसे हम अब नहीं लेंगे। दूसरा चावल मंगवाकर दो। 

बड़ी मुश्किल से दूर किया भ्रम

शहडोल में इस चावल को लेकर भ्रम फैलने के बाद जिला प्रशासन के आला अधिकारियों के साथ-साथ खाद्य विभाग के अमले ने भी ग्रामीणों को सही स्थिति बताई है। आमजनों से कहा गया है कि यह प्लास्टिक का चावल नहीं बल्कि फोर्टिफाइड चावल है। यह पूरी तरह से पौष्टिक है। बड़ी मशक्कत के बाद ग्रामीणों ने ये चावल फिर लेना शुरू किया।

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