‘मंदिर में ड्रेस कोड, हिंदू धर्म के खिलाफ साजिश’: पंडित प्रदीप मिश्रा बोले- ये सनातम धर्म को तोड़ने का नया तरीका, हमारे बेटे-बेटियां दूसरे धर्म की ओर जा रहे
Pandit Pradeep Mishra opposed dress code in temple: मध्य प्रदेश में मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने का कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने विरोध किया है. पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि भगवान शिव कभी भी कपड़ों से प्रसन्न नहीं होते हैं. भोलेनाथ वस्त्र देखते हैं या हृदय. इसने सनातन धर्म को तोड़ने का एक नया तरीका शुरू किया है. ऐसा करने से हमारे बेटे-बेटियाँ दूसरे धर्मों की ओर चले जाते हैं. यह हिंदू धर्म के खिलाफ साजिश है.
कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा मंदिर में ड्रेस कोड लागू करने के विरोध में उतर आए हैं. पुष्कर में कथा के दौरान उन्होंने कहा कि भगवान को कभी कपड़ों से मतलब नहीं रहा. इस सनातन धर्म को तोड़ने का एक नया तरीका शुरू हो गया है. उन्होंने ड्रेस कोड लागू करने वालों को विधर्मी बताया. कुछ लोग हमारे ही सनातनियों के कान भरते हैं और उनसे ऐसी सलाह दिलवाते हैं.
कथाववचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि कपड़े बदलने से परमात्मा मिलता होता, तो शोरूम में जो पुतले होते हैं उनके रोज कपड़े बदले जाते हैं तो भगवान उनको मिल जाता. भोलेनाथ कपड़ा देखता है या कलेजा देखता है. शिव कभी कपड़ों से प्रसन्न नहीं होते. कुछ लोग हमारे ही सनातनियों के कान भर कर उनसे इस तरह की सलह दिलवाते है.
उन्होंने कहा कि सनातनियों को बहकाने के लिए इस तरह की चाल चली जा रही है. भोलेनाथ तुम्हारा कपड़ा देखता या फिर कलेजा देखता है. शिव पकड़े से कभी प्रसन्न नहीं होते. नव युवकों को मंदिर में प्रवेश करने से रोकना है, तो ड्रेस कोड लागू कर दो. ऐसे में कोई भी युवा मंदिर नहीं जाएगा. हम ऐसा कपड़ा पहने इसलिए मंदिर में नहीं जाएंगे.
बता दें कि एमपी में अशोक नगर में मंदिर में ड्रेस कोड लागू करने की शुरुआत हुई थी. इसके बाद भोपाल, इंदौर में अभी ड्रेस कोड लागू करने के बैनर पोस्टर लगाए गए. राजधानी भोपाल में भी दिगंबर जैन मंदिर और आदर्श नव दुर्गा मंदिर में ड्रेस कोड लागू हुआ है. मंदिर समितियों ने बैनर पोस्टर लगाकर लिखा कि यहां छोटे कपड़े पहन कर ना आएं.
विदेशी पहनावे और मंदिरों में अंग प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है. शॉट्स, हाफ पैंट, नाइट ड्रेस, फ्रॉक, जींस, कटा हुआ पैंट, छोटे कपड़े पहन कर मंदिर में आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. पोस्टर्स में लिखा था कि केवल भारतीय पारंपरिक परिधान और पूरे कपड़े पहन कर ही व्यक्तियों को मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा.महिला और पुरुष दोनों के लिए ड्रेस कोड लागू किया गया है.
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