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एक था BJP का बिंद्रानवागढ़’ का अभेद किला ? फूट से कांग्रेस की राहें आसान, भाजपा के कद्दावर नेता जल्द ‘AAP’ के, जानिए भागीरथ की अनसुनी कहानी

गिरीश जगत, गरियाबंद। बिंद्रानवागढ़ का सियासी किला इन दिनों खूब चर्चे में है. टिकट को लेकर बीजेपी में फूट पड़ती साफ दिख रही है. दावेदार भगवती सुर में कदम बढ़ा लिए हैं. सभी दावेदार एक जुट होकर आप का दामन थामने की ओर रुख अख़्तियार कर लिए हैं. कहा जा रहा है कि इस बार किला को भेदना आसान होता जा रहा है. बीजेपी में फूट से कांग्रेसियों में अंदर ही अंदर खुशी की लहर है. बीजेपी अब मुश्किल में दिख रही है. अगर सभी नेता एक साथ बगावत करते हैं तो यह कहना गलत नहीं होगा की तो एक था BJP का बिंद्रानवागढ़’ का अभेद किला.

दरअसल, छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट में नाम नहीं होने से कई सीटों पर स्थानीय दावेदारों ने नाराजगी जताई है. जिले के बिंद्रानवागढ़ में भी असंतुष्ट दावेदारों का बगावती तेवर सामने आ गया है.

मंगलवार को दिनभर चले उठा पटक के बीच देर शाम खबर निकल कर आई की बाबा उदयनाथ, भागीरथी मांझी, हलमत धुर्वा समेत उनके कई समर्थक बुधवार को आम आदमी पार्टी का दामन थाम लेंगे.

आप पार्टी के ब्लॉक अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि बाबा उदय नाथ के कदलीमुड़ा स्थित आश्रम में आयोजित बैठक में यह निर्णय हुआ है, भागीरथी मांझी अब आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी होंगे. उन्हें भाजपा के अन्य दावेदारों का भी पूरा समर्थन मिलेगा.

हालांकि आम आदमी पार्टी की ओर से इसकी आधकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है. वहीं भाजपा के असंतुष्ट दावेदारों में भी किसी ने इसकी घोषणा नहीं की गई है. मामले में बाबा उदयनाथ ने यह जरूर कहा है कि अभी बैठक चल रही है देर रात तक कोई ना कोई निर्णय ले लिया जाएगा, जिसे बुधवार को सभी को अवगत करा दिया जाएगा.

मंदिरों में मत्था टेक गोवर्धन ने शुरू किया प्रचार अभियान
बगावती तेवर के बीच आज बीजेपी प्रत्याशी गोवर्धन मांझी ने देवभोग पहुंच सबसे पहले जगन्नाथ मंदिर में भगवान का आशीर्वाद लिया.

देवभोग के ग्राम देवी के अलावा लंकेश्वर देवी मंदिर, गायत्री मंदिर में पूजन कर अपनी जीत के लिए पहले तो आशीर्वाद मांगा फिर साप्ताहिक बाजार में आम जनता से रूबरू हो कर अपने पक्ष में मतदान करने की लोगों से अपील भी की.

भारी पड़ते हैं बागी

बिंद्रा नवागढ़ के चुनाव का इतिहास बताता है की भाजपा में बगावती तेवर उसके प्रत्याशी के लिए भारी पड़ जाता है. 13 बार हुए चुनाव में जब भी कांग्रेस की जीत हुई है, कहीं ना कहीं उसमें भाजपा के बागी दावेदारों का भूमिका रहीं है. समय रहते भाजपा ने इस बार अपने असंतुष्ट नेताओं को नहीं मनाया तो इस बार बीजेपी की सीट बागियों के पेंच में फंस जाएगी.

Read more- Landmines, Tanks, Ruins: The Afghanistan Taliban Left Behind in 2001 29 IAS-IPS

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