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MP-CG टाइम्स की खबर का असर: आखिरकार किसान को मिला इंसाफ, खबर से बदले सिस्टम के तेवर, पढ़िए भूख हड़ताल, जमीनी हक से फसल रौंदने तक की कहानी

गरियाबंद से गिरीश जगत की रिपोर्ट

“हम अपने खेत में हल चलाना चाहते हैं, कोई एहसान नहीं माँग रहे…”ये शब्द थे मुरहा नागेश के, जो सोमवार को गरियाबंद कलेक्ट्रेट के सामने भूख हड़ताल पर बैठा था। साथ में पत्नी, दो मासूम बच्चे और कुछ खाली बर्तन थे—जैसे वो अपने हक़ का भोजन भी खुद साथ लेकर आए हों, पर भूख से नहीं, सिस्टम की बेरुखी से लड़ने।

मगर कहानी यहीं खत्म नहीं होती। MPCG टाइम्स की मार्मिक और सशक्त रिपोर्ट के बाद, जो पूरे जिले में वायरल हुई, प्रशासन आखिरकार हरकत में आया। मंगलवार सुबह मैनपुर SDM तुलसी दास मरकाम ने खुद मौके पर जाकर मुरहा को उसकी पुश्तैनी 7 एकड़ जमीन का वास्तविक कब्जा दिलाया। साथ ही दबंगों को कड़ा संदेश दिया—”अब अगर दोबारा कब्जा किया, तो सीधे FIR और जेल की कार्रवाई होगी।”

चार साल की चुप्पी, 12 घंटे की भूख, और फिर न्याय की दस्तक

खरीपथरा गांव के मुरहा नागेश की ज़मीन पर गाँव के ही कुछ दबंगों ने कब्जा कर लिया था। तहसील से लेकर कलेक्टरेट तक दर-दर की ठोकरें खाई गईं। अमलीपदर तहसील ने मुरहा के पक्ष में फैसला सुनाया भी, पर दबंगों ने मामले को एसडीएम कोर्ट में घसीटकर किसान को खुद की ज़मीन से भी दूर कर दिया।परिवार को कहा गया—”अब कोर्ट में मामला है, आप खेत पर नहीं जा सकते।”

सोमवार की सुबह: जब हिम्मत ने भूख से लड़ाई की

मुरहा परिवार जब भूख हड़ताल पर बैठा, तब वो केवल प्रशासन से नहीं, उस तंत्र से टकरा रहा था जिसने ग़रीब की आवाज़ को या तो अनसुना कर दिया या घूस लेकर दबा दिया। मुरहा ने बताया, “कब्जा छुड़ाने के लिए दो लाख रुपये खर्च हो गए… अब और कुछ नहीं बचा।”

शाम 5 बजे तक प्रशासन ने इसे “न्यायालयीन मामला” बताकर किनारा किया। लेकिन जब MPCG टाइम्स ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया, खबर ने सोशल मीडिया पर तेज़ी से असर दिखाया, और रात 8 बजे मुरहा को लिखित आश्वासन मिला—“जमीन आपको दिलाई जाएगी।”

मंगलवार की सुबह: जब प्रशासन खेत तक पहुंचा

सुबह SDM तुलसी दास मरकाम और तहसीलदार की टीम खरीपथरा पहुँची। मुरहा की ज़मीन पर पहले से मक्का की फसल बोई जा चुकी थी। मगर प्रशासन ने फसल पर ट्रैक्टर चलवाया और जमीन साफ कर किसान को उसके हक़ का कब्जा सौंपा।

दबंगों का हंगामा, पुलिस की तैनाती

कार्रवाई के दौरान कब्जाधारियों के परिजन हंगामा करने लगे। तनाव की आशंका को देखते हुए मौके पर पुलिस बल बुलाना पड़ा। लेकिन इस बार प्रशासन झुका नहीं। SDM ने स्पष्ट कहा, “यह न्याय का आदेश है, कोई राजनीति नहीं।”

प्रशासन का अल्टीमेटम: अब दोबारा कब्जा किया तो सीधे जेल

SDM मरकाम ने बताया कि यदि भविष्य में मुरहा की जमीन पर दोबारा कब्जा हुआ तो FIR दर्ज कर सीधी गिरफ्तारी की जाएगी। अब राजस्व विभाग सख्ती से निगरानी करेगा।

यह सिर्फ एक ज़मीन की नहीं, न्याय की वापसी की कहानी है

मुरहा नागेश की कहानी, एक आम किसान की नहीं बल्कि उस हर नागरिक की है जिसकी जमीन, सम्मान और भरोसा सालों तक सिस्टम में खोया रहा। यह जीत केवल मुरहा की नहीं, बल्कि हर उस संघर्षशील परिवार की है जो आज भी न्याय के इंतजार में है।

MPCG टाइम्स की रिपोर्ट का असर: हुक्म नहीं, हक़ दिलाया

जब कोई सुनवाई नहीं हो रही थी, तब MPCG टाइम्स ने ‘ज़मीन की लड़ाई’ को जन-आंदोलन बना दिया, तभी प्रशासन ने रुख बदला। किसान ने MPCG टाइम्स का आभार व्यक्त किया है।

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