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MP में बकरे पर बैठकर निकली बारात: दूल्हे ने धूमधाम से भाभी से की शादी, पढ़िए होश उड़ाने वाली परंपरा

MP Wedding procession on goat: टीकमगढ़ में आमतौर पर दूल्हे की बारात घोड़ी पर निकलती है, लेकिन अगर कोई दूल्हा सज-धज कर बकरे पर बैठा नजर आए तो आप क्या कहेंगे, लेकिन ऐसा नजारा टीकमगढ़ शहर में देखने को मिला।

MP Wedding procession on goat: जब दूल्हे की पोशाक में एक लड़का घोड़ी की जगह बकरी पर बैठा नजर आया। जब हमने दूल्हे के साथ बकरी होने की सच्चाई जानने की कोशिश की तो पता चला कि यह शादी का मामला नहीं, बल्कि लोहिया समाज की 400 साल पुरानी परंपरा है।

MP Wedding procession on goat: इस परंपरा में कर्णवेधन की रस्म को शादी समारोह की तरह मनाया जाता है। जिस बच्चे के कान का छेद होता है, उसकी बारात बकरी पर निकाली जाती है। बाद में प्रतीकात्मक रूप से उसकी भाभी से शादी भी करा दी जाती है। फिलहाल जो लोग इस परंपरा से वाकिफ नहीं थे, वे बकरी के साथ दूल्हे को देखते रह गए।

क्या है 400 साल पुरानी परंपरा

MP Wedding procession on goat: दरअसल, टीकमगढ़ शहर में रहने वाले लोहिया समाज की यह अनूठी परंपरा पिछले कई सालों से चली आ रही है। बुजुर्गों का कहना है कि लोहिया समाज 400 सालों से इस परंपरा का पालन करता आ रहा है। जिसमें परिवार के बेटे का कर्णवेधन समारोह शादी समारोह की तरह मनाया जाता है।

MP Wedding procession on goat: इसी कड़ी में टीकमगढ़ के ताल दरवाजा क्षेत्र में रहने वाले प्रकाश अग्रवाल के 12 वर्षीय पोते राघव अग्रवाल का कर्णवेधन समारोह था। राघव अग्रवाल का कर्णवेधन समारोह गुरुवार 2 जनवरी 2025 को आयोजित किया गया।

MP Wedding procession on goat: यह परंपरा है कि जिस युवक का कान छिदवाया जाता है, वही दूल्हा बनता है और उसका प्रतीकात्मक विवाह भी होता है। जो कुछ भी शादी में होता है, वही लोहिया समाज के कर्णवेधन समारोह में भी होता है। परंपरा के अनुसार राघव को दूल्हा बनाया गया।

MP Wedding procession on goat: इस परंपरा के अनुसार दूल्हे को घोड़ी पर नहीं, बल्कि बकरे पर बैठाया गया और बारात निकाली गई। शादी की तरह ही बारात में रिश्तेदार और दोस्त भी शामिल हुए। बैंड और डीजे की धुन पर बाराती नाचते नजर आए और शादी में आतिशबाजी भी की गई। बकरे वाले दूल्हे ने भाभी से करवाई शादी

MP Wedding procession on goat: लोहिया समाज के कैलाश अग्रवाल ने बताया, ”हमारे समाज और परिवार में यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है। कर्णवेधन संस्कार की परंपरा शादी की तरह धूमधाम से मनाई जाती है। हमारे समाज में बेटों का कर्णवेधन संस्कार 18 साल की उम्र से पहले ही कर दिया जाता है।

MP Wedding procession on goat: सनातन समाज के 16 संस्कारों में से यह एक प्रमुख संस्कार है। इसमें बकायदा बारात निकाली जाती है और प्रतीकात्मक रूप से विवाह भी किया जाता है। आमतौर पर जिस युवक का कर्णवेधन होता है, उसकी भाभी का भी प्रतीकात्मक रूप से विवाह कर दिया जाता है।”

शादी की बारात का सात जगहों से गुजरना जरूरी

MP Wedding procession on goat: पीढ़ी दर पीढ़ी सदियों से इस परंपरा को निभाते आ रहे कैलाश अग्रवाल बताते हैं, ”जब उन्होंने अपने बड़े बेटे का कर्णवेधन करवाया था, तो परंपरा के अनुसार बकरे पर बारात निकाली गई थी, जो आज भी जारी है।

MP Wedding procession on goat: परंपरा के अनुसार दूल्हे का बकरे पर बैठकर सात स्थानों से गुजरना पड़ता है। इनमें उसका अपना घर, कुलदेवता का द्वार, मंदिर का द्वार आदि शामिल हैं। रिश्तेदारों के अलावा आस-पड़ोस और जान-पहचान के लोग भी इस कार्यक्रम में शामिल होते हैं।

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