![MP पटवारी भर्ती में एक और बड़ा खेला ! दिव्यांग कोटे से खिलवाड़, एक ही गांव से 21 में से 12 अभ्यर्थी पास, गड़बड़ी से कठघरे में शिवराज सरकार ? MP पटवारी भर्ती में एक और बड़ा खेला ! दिव्यांग कोटे से खिलवाड़, एक ही गांव से 21 में से 12 अभ्यर्थी पास, गड़बड़ी से कठघरे में शिवराज सरकार ?](https://i0.wp.com/mpcgtimes.com/wp-content/uploads/2023/07/IMG-20230716-WA0016.jpg?fit=1200%2C675&ssl=1)
Messing In MP Patwari Bharti: मध्य प्रदेश में चुनाव के लिहाज से भारी भर्तियों के लिए आयोजित की गई पटवारी परीक्षा अब सवालों के घेरे में आ गई है. इसके नतीजे जारी होने के बाद से ही इसे लेकर खुलासे हो रहे हैं. सबसे पहले ग्वालियर से एक ही सेंटर पर बड़ी संख्या में टॉपर्स के आने पर सवाल उठे. अब कांग्रेस की ओर से एक और सवाल उठाया गया है, जिसमें दिव्यांगों के कोटे में गड़बड़ी की बात कही गई है.
कांग्रेस ने लगाए आरोप
इस बार जारी हुए पटवारी भर्ती परीक्षा के नतीजों में प्रदेश के कुल 21 दिव्यांग अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए हैं. इसमें सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि कुल 21 में से 12 छात्र एक ही जगह से आते हैं. ऐसे में कांग्रेस नेता भूपेन्द्र गुप्ता ने इसे लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
कांग्रेस ने पूरी परीक्षा रद्द करने की मांग की थी
पटवारी भर्ती पर कांग्रेस नाराज कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने कहा था कि जौरा में घोटाला हुआ है. दिव्यांग कोटे की सीट पर जौरा के ज्यादातर लोग बहरेपन के शिकार हैं। यह घोटालेबाज भाजपा का एक और कृत्य है. पूरी परीक्षा रद्द कर देनी चाहिए.
मुख्यमंत्री ने लगा दी है रोक
पटवारी भर्ती परीक्षा पर उठे सवाल बाद में सीएम शिवराज के मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सबसे पहले पटवारी भर्ती में घोटाले के आरोप पर क्लीन चिट दे दी. शाम होते-होते सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा पटवारी भर्ती की नियुक्तियों पर रोक लगाना यह दर्शाता है कि एमपी में सरकारी भर्ती नहीं बल्कि बहुत बड़ा घोटाला चल रहा है.
एक गांव से 12 दिव्यांगों का चयन किया गया
कर्मचारी चयन आयोग द्वारा पटवारी भर्ती 2022 में मुरैना जिले की जौरा तहसील के एक दर्जन छात्रों का दिव्यांग कोटे में चयन किए जाने की बात सामने आई है.
उठ रहे सवालिया निशान
इस परीक्षा में 21 लोग पास हुए, जिनमें से 12 जौरा के हैं. ये सभी सुनने में अक्षम हैं, जिनका मेडिकल सर्टिफिकेट भी संलग्न था. आरोप है कि इन छात्रों ने असली दिव्यांगों का हक मारा है. इससे पहले एनआरआई परीक्षा केंद्र के टॉप 10 में से 7 छात्रों के नाम सुर्खियों में आ चुके हैं. अब जौरा तहसील के 1 गांव और एक ही कोटे से एक ही समुदाय के एक दर्जन से ज्यादा लोगों के नाम सामने आने पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं.
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