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MP News: अभी खत्म नहीं हुई है होली, उज्जैन में कल मनेगी पति-पत्नी की होली

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होली की बात हो और राधा-कृष्ण के प्रेम का जिक्र न हो, तो कुछ अधूरा लगता है। बाबा महाकाल के शहर में पति-पत्नी की अनूठी होली मनाई जाती है। पति अपनी पत्नी को भीड़ में से ढूंढकर लाता है और रंग से भरे कड़ाव में बाल्टी भरकर उस पर डालता है। श्री क्षत्रिय मारवाड़ी माली समाज की उदूर्पुरा स्थित धर्मशाला पर 14 मार्च 2023 को शाम पांच बजे सीतला सप्तमी की होली मनाई जाएगी। वर्षों से चली आ रही परम्परा के अनुसार इस बार भी नवदंपत्ति एक साथ होली खेलेंगे। इसके अलावा यहां पर शाम को रंगारंग गरबा उत्सव भी आयोजित किया जाएगा। 

200 वर्ष पुरानी है परंपरा

समाज के धर्मेन्द्र भाटी ने बताया उज्जैन ही एक मात्र ऐसा शहर है, जहां सीतला सप्तमी पर पति-पत्नी की होली होती है। 200 वर्ष पुरानी इस परम्परागत होली पर्व को देखने के लिए ग्वालियर रियासत की महारानी भी आ चुकी है। समाज के नवदंपत्ति पहली बार होली खेलते हैं। पति-पत्नी के नाम की आवाज लगाई जाती है, जिस पर पति अपनी पत्नी को भीड़ में हाथ पकड़कर रंग भरे कड़ाव के समीप लाता है। वहां दोनों एक-दूसरे पर रंग डालते हैं।

होली से लेकर सीतला सप्तमी तक आयोजन

श्री क्षत्रिय मारवाड़ी माली समाज द्वारा होली दहन के बाद से लगातार सीतला सप्तमी तक युवाओं द्वारा डांडिया खेला जाता है। समाजजनों के यहां होने वाली संतानों की डूंड का आयोजन भी किया जाता है। समाजजन घर-घर जाकर डूंड करते हुए खाजा, पापड़ की प्रसादी का वितरण भी करते हैं। सीतला सप्तमी पर मंदिर में सामुहिक डूंड का आयोजन भी किया जाता है। यह परम्परा वर्षों से चली आ रही है।

महारानी भी देखने आती थी होली 

समाज के सचिव रमेशचंद सांखला ने बताया की माली समाज की यह होली मराठा सिंधिया रियासत के पूर्व से खेली जा रही है। रियासत की महारानी भी होली देखने आती थी। उन्होंने ग्वालियर रियासत की ओर से समाज को ध्वजा निशान दिए हैं जो आज भी समाज के मंदिर पर होली से सीतला सप्तमी तक लगाए जाते हैं। इस क्षेत्र के कई महिला और पुरुष होली देखने आते हैं।

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