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MP News: IPS अफसर से मारपीट के 11 साल पुराने मामले में भाजपा के पूर्व विधायक को छह महीने की सजा

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बीजेपी के वरिष्ठ नेता और भिंड विधानसभा से अनेक बार विधायक रहे नरेंद्र सिंह कुशवाह को विधानसभा चुनावों से ठीक पहले कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। एमपी-एमएलए कोर्ट ने एक ग्यारह वर्ष पुराने मामले में कुशवाह और उनके बेटे सहित छह लोगों को छह-छह माह के कारावास की सजा सुनाई है। 

होली के मौके पर 2012 में घटित हुई थी यह घटना

अभियोजन पक्ष के अनुसार घटना होली के मौके पर आठ मार्च 2012 को घटित हुई थी। उप-निरीक्षक रबूदी सिंह ने एफआईआर कराई थी कि लहार चुंगी स्थित शराब की दुकान पर वे आबकारी एक्ट के तहत कार्यवाही कर रहे थे। वहां पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह अपने 20-22 साथियों के साथ आए और शासकीय कार्यवाही को रोककर उसमें बाधा पैदा की। इस मामले में पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश किया।

छह-छह माह की सजा सुनाई 

विशेष न्यायाधीश महेंद्र सैनी ने इस मामले में चली लंबी सुनवाई के बाद फैसला सुनाया है। आरोपी नरेंद्र सिंह कुशवाह, उनके बेटे पुष्पेंद्र सिंह, राजू कुशवाह, अरविंद, छोटे सिंह और राहुल सिंह को दोषी मानते हुए छह-छह माह के कारावास की सज़ा सुनाई है। साथ ही 500-500 रुपये के जुर्माने से दंडित किया। कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी लिखा कि जुर्माना राशि न देने पर इनकी सज़ा एक-एक माह और बढ़ा दी जाए।

आईपीएस अधिकारी के साथ की थी मारपीट

हालांकि, इस मामले की एफआईआर एक सब इंस्पेक्टर ने की थी लेकिन असल में यह घटना एक प्रशिक्षु आईपीएस के साथ मारपीट और अभद्रता का था। भारतीय पुलिस सेवा के अफसर ए. जयदेवन तब भिण्ड में बतौर एएसपी पदस्थ थे। जब वे अपनी गाड़ी से एसपी ऑफिस की तरफ जा रहे थे तो लहार चौराहे पर स्थित शराब की दुकान ड्राइ-डे होने के बाद भी खुली दिखी। उन्होंने पुलिस को कार्यवाही करने बुलाया। जैसे ही यह खबर पूर्व विधायक कुशवाह को लगी वे अपने समर्थक और बेटे को लेकर वहां पहुंच गए। पहले दोनो के बीच बहस हुई। फिर अभद्रता और मारपीट हो गई। जयदेवन ने इसकी सूचना अन्य अफसरों को दी तो फोर्स वहां पहुंचा और फिर सब इंस्पेक्टर के जरिये शिकायत कराई गई। 

चुनाव में दिक्कत पैदा कर सकती है यह सज़ा

पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह भिण्ड विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के टिकट के प्रबल दावेदार है। बीएसपी विधायक संजीव सिंह कुशवाह संजू अनौपचारिक रूप से बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। यह भी अटकल है कि वे किसी अन्य दल से भी चुनाव लड़ सकते हैं। कोर्ट से सज़ा होने की घटना इस मामले में अड़चन पैदा कर सकती है। इसके लिए उन्हें पहले या तो हाईकोर्ट से बरी होना पड़ेगा या सज़ा के आदेश पर रोक लगवानी पड़ेगी। लंबी न्यायिक प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है।

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