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MP News: ऊर्जा मंत्री सहित 52 लोग बरी, 12 साल पुराने मामले में एमपीए-एमएलए कोर्ट से सुनाया फैसला

ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को एमपीए -एमएलए कोर्ट से बड़ी राहत मिली है।

ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को एमपीए -एमएलए कोर्ट से बड़ी राहत मिली है।
– फोटो : सोशल मीडिया

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मध्यप्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को एमपीए -एमएलए कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कांग्रेस नेता के तौर पर उनके विरुद्ध दर्ज तोड़फोड़, शासकीय कार्य में बाधा सहित अन्य आरोप वाले केस में उन्हें बरी कर दिया गया है। मामले में 54 लोगों को आरोपी बनाया था। दो की मौत हो गई, शेष 52 अब बरी कर दिए गए हैं।  

बता दें कि ग्वालियर नगर निगम द्वारा आनंद नगर में 11 नवंबर 2011 को सड़क निर्माण के कार्य का भूमिपूजन कार्यक्रम आयोजित किया गया था। उस समय प्रद्युम्न सिंह तोमर कांग्रेस से विधायक थे। उन्होंने अपने समर्थकों के साथ विरोध प्रदर्शन किया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने अपने साथियों के साथ वहां पहुंचकर हंगामा किया। माइक फेंके, कुर्सियां तोड़ीं और शासकीय कार्य को प्रभावित करने की कोशिश की। यह शिकायत नगर निगम अधिकारियों की ओर से बहोड़ापुर थाना में की गई थी। पुलिस ने इसके आधार पर तोमर सहित 54 लोगों के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा का केस दर्ज किया था।  

इस मामले में नगर निगम के तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष और ऊर्जा मंत्री के भाई देवेंद्र सिंह तोमर, शम्मी शर्मा, तत्कालीन पार्षद सुषमा चौहान को भी आरोपी बनाया गया था। 54 आरोपियों में से दो लोगों की ट्रायल के दौरान मौत हो गई। 52 लोगों के खिलाफ न्यायालय में ट्रायल हुई। तोमर के विधायक होने की वजह से केस विशेष न्यायिक की कोर्ट में आ गया। पुराना केस होने की वजह से ट्रायल तेजी से खत्म की गई। 

यह बात बनी बरी होने का आधार  

मामले में तोमर सहित सभी आरोपियों की पैरवी एडवोकेट भूपेंद्र सिंह चौहान, जितेंद्र त्रिपाठी और महेंद्र कुशवाह ने की। उन्होंने न्यायालय को बताया कि आरोपियों की इस कृत्य में संलिप्तता नहीं थी और पुलिस द्वारा जुटाए गए अभियोजन साक्ष्य भी घटना के कथानक का समर्थन नहीं करते हैं। इसी के आधार पर न्यायालय ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। 

दो आरोपियों की हो चुकी है मौत 

इस बहुचर्चित मामले में पुलिस ने जो 54 आरोपी नामजद किए गए थे उनमें तत्कालीन जिला कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. दर्शन सिंह और एक अन्य आरोपी जितेंद्र की मौत हो चुकी है। इस फैसले के बाद अब ऊर्जा मंत्री के खिलाफ न्यायालय में कोई केस विचाराधीन नहीं रहा। आंदोलन से जुड़े एक मामले में वे गत माह भी अदालत से बरी हो चुके हैं।

 

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