MP News: नापतौल विभाग में 530 में से 202 पद रिक्त, निरीक्षक के 42 पद खाली, फिर भी कर्मचारी मंत्रालय अटैच
भोपाल नापतौल विभाग का मुख्यालय
– फोटो : अमर उजाला
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मध्य प्रदेश के नापतौल विभाग में करीब आधे पद खाली है। इसके बावजूद मुख्यालय के स्टाफ का दूसरे जिले में ट्रांसफर किया जा रहा है या फिर मंत्रालय में अटैच किया जा रहा है। इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों को लिखने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। खास बात तो यह है कि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्टाफ की कोई ही नहीं है।
निरीक्षकों के 110 में से 42 पद रिक्त
नापतौल विभाग में 530 पद स्वीकृत है। इसमें से 202 पद खाली है। सिर्फ 328 पद पर भरे हुए है। नापतौल विभाग में संयुक्त नियंत्रक का स्वीकृत एक पद लंबे समय से खाली है। उपनियंत्रक का एक पद, सहायक नियंत्रक के 10 में से 7 पद लंबे समय से रिक्त है। खास बात यह है कि उपभोक्ताओं के हितों का ध्यान रखने के लिए फील्ड में काम करने वाले निरीक्षकों के 110 में से 42 पद खाली है। वहीं, अधीक्षक के 6 में से 5 पद खाली है। स्टेनो के 3 पद 15 साल से खाली है। सहायक ग्रेड 1 के 5, सहायक ग्रेड-2 के 7 और सहायक ग्रेड-3 के 25 पद लंबे समय से भरे नहीं गए। वहीं, चतुर्थ श्रेणी के 103 पद खाली है।
इसलिए महत्वपूर्ण है विभाग
नापतौल विभाग सीधे जनता से जुड़ा विभाग है। इसे उपभोक्ताओं के हितों का ख्याल रखने के लिए बनाया गया है। नापतौल विभाग की जिम्मेदारी है कि उपभोक्ता के साथ पेट्रोप पंप पर कोई गड़बड़ी तो नहीं की जा रही है। राशन की दुकानों पर अनाज तो कम नहीं तौला जा रहा है। मंडियों में तौल कांटे ठीक है। साल में ताराजू बांट पर सील लगाना सुनिश्चित करना और पैकेट बंद सामान पर एमआरपी, कंज्यूमर नंबर, वजन, एक्सपायरी डेट लिखा है या नहीं देखना। इतनी अहम जिम्मेदारी होने के बावजूद विभाग में स्टाफ का टोटा है।
मंत्रालय में चार कर्मचारी अटैच
नापतौल मुख्यालय में स्वीकृत स्टाफ में से 7 कर्मचारियों का दूसरे जिले में ट्रांसफर कर दिया है। वहीं, 4 कर्मचारियों को मंत्रालय में अटैच कर दिया गया है। जबकि विभाग में पहले ही कर्मचारियों की कमी है। इसके चलते मौजूदा स्टाफ पर ही काम का बोझ बढ़ रहा है।
वरिष्ठों को लिखने पर भी कुछ नहीं हो रहा
नापतौल विभागीय समिति अध्यक्ष उमाशंकर तिवारी का कहना है कि हम खाली पदों को भरने के लिए लगातार मांग उठा रहे है। अब मुख्यालय में पहले से ही स्टाफ नहीं होने के बावजूद यहां से मंत्रालय में कर्मचारियों को अटैच कर दिया गया है। जबकि कर्मचारियों के सभी काम भोपाल स्थित मुख्यालय से हो रहे है। इसको लेकर हमने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को भी लिखा है।
इनका कहना- स्टाफ की नहीं हैं
वहीं, नापतौल नियंत्रक कैलाश बुंदेला का कहना है कि स्टाफ की कमी नहीं है। जहां तक खाली पदों की बात है तो उसको भरने के लिए कार्रवाई शासन स्तर पर चल रही है।
विस्तार
मध्य प्रदेश के नापतौल विभाग में करीब आधे पद खाली है। इसके बावजूद मुख्यालय के स्टाफ का दूसरे जिले में ट्रांसफर किया जा रहा है या फिर मंत्रालय में अटैच किया जा रहा है। इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों को लिखने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। खास बात तो यह है कि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्टाफ की कोई ही नहीं है।
निरीक्षकों के 110 में से 42 पद रिक्त
नापतौल विभाग में 530 पद स्वीकृत है। इसमें से 202 पद खाली है। सिर्फ 328 पद पर भरे हुए है। नापतौल विभाग में संयुक्त नियंत्रक का स्वीकृत एक पद लंबे समय से खाली है। उपनियंत्रक का एक पद, सहायक नियंत्रक के 10 में से 7 पद लंबे समय से रिक्त है। खास बात यह है कि उपभोक्ताओं के हितों का ध्यान रखने के लिए फील्ड में काम करने वाले निरीक्षकों के 110 में से 42 पद खाली है। वहीं, अधीक्षक के 6 में से 5 पद खाली है। स्टेनो के 3 पद 15 साल से खाली है। सहायक ग्रेड 1 के 5, सहायक ग्रेड-2 के 7 और सहायक ग्रेड-3 के 25 पद लंबे समय से भरे नहीं गए। वहीं, चतुर्थ श्रेणी के 103 पद खाली है।
इसलिए महत्वपूर्ण है विभाग
नापतौल विभाग सीधे जनता से जुड़ा विभाग है। इसे उपभोक्ताओं के हितों का ख्याल रखने के लिए बनाया गया है। नापतौल विभाग की जिम्मेदारी है कि उपभोक्ता के साथ पेट्रोप पंप पर कोई गड़बड़ी तो नहीं की जा रही है। राशन की दुकानों पर अनाज तो कम नहीं तौला जा रहा है। मंडियों में तौल कांटे ठीक है। साल में ताराजू बांट पर सील लगाना सुनिश्चित करना और पैकेट बंद सामान पर एमआरपी, कंज्यूमर नंबर, वजन, एक्सपायरी डेट लिखा है या नहीं देखना। इतनी अहम जिम्मेदारी होने के बावजूद विभाग में स्टाफ का टोटा है।
मंत्रालय में चार कर्मचारी अटैच
नापतौल मुख्यालय में स्वीकृत स्टाफ में से 7 कर्मचारियों का दूसरे जिले में ट्रांसफर कर दिया है। वहीं, 4 कर्मचारियों को मंत्रालय में अटैच कर दिया गया है। जबकि विभाग में पहले ही कर्मचारियों की कमी है। इसके चलते मौजूदा स्टाफ पर ही काम का बोझ बढ़ रहा है।
वरिष्ठों को लिखने पर भी कुछ नहीं हो रहा
नापतौल विभागीय समिति अध्यक्ष उमाशंकर तिवारी का कहना है कि हम खाली पदों को भरने के लिए लगातार मांग उठा रहे है। अब मुख्यालय में पहले से ही स्टाफ नहीं होने के बावजूद यहां से मंत्रालय में कर्मचारियों को अटैच कर दिया गया है। जबकि कर्मचारियों के सभी काम भोपाल स्थित मुख्यालय से हो रहे है। इसको लेकर हमने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को भी लिखा है।
इनका कहना- स्टाफ की नहीं हैं
वहीं, नापतौल नियंत्रक कैलाश बुंदेला का कहना है कि स्टाफ की कमी नहीं है। जहां तक खाली पदों की बात है तो उसको भरने के लिए कार्रवाई शासन स्तर पर चल रही है।