दागी नेताओं को ताउम्र बैन करना ठीक नहीं: सुप्रीम कोर्ट में कहा- 6 साल की पाबंदी काफी, इसे तय करना भी संसद का अधिकार

MP MLA Criminal Cases Convicted Politicians Election Ban | Supreme Court: केंद्र सरकार आपराधिक मामलों में दोषी पाए गए नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने के खिलाफ है। केंद्र ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में इसका विरोध किया। उसने कहा कि 6 साल की अयोग्यता पर्याप्त है। ऐसी अयोग्यता पर फैसला लेना संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है।
दरअसल, दोषी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। केंद्र ने कहा, ‘याचिका की मांग कानून को फिर से लिखने या संसद को किसी खास तरीके से कानून बनाने का निर्देश देने जैसी है। यह न्यायिक समीक्षा की शक्तियों के पूरी तरह खिलाफ है।’
वकील अश्विनी उपाध्याय ने 2016 में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 और 9 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने पूछा था कि राजनीतिक दल बताएं कि उन्हें अच्छी छवि वाले लोग क्यों नहीं मिल पा रहे हैं।
MP MLA Criminal Cases Convicted Politicians Election Ban | Supreme Court: याचिका में कहा गया है कि देश में सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले जल्द खत्म किए जाने चाहिए और दोषी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
केंद्र ने कहा कि आजीवन अयोग्यता वह अधिकतम दंड है जो प्रावधानों के तहत लगाया जा सकता है। संसद के पास ऐसी शक्ति है। यह कहना एक बात है कि एक शक्ति मौजूद है और यह कहना दूसरी बात है कि हर मामले में इसका अनिवार्य रूप से प्रयोग किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का जवाब…
याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दों का व्यापक प्रभाव है। जो स्पष्ट रूप से संसद की विधायी नीति के अंतर्गत आते हैं। इस संबंध में न्यायिक समीक्षा के ढांचे में आवश्यक बदलाव किए जाने चाहिए।
MP MLA Criminal Cases Convicted Politicians Election Ban | Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने कई बार माना है कि विधायी विकल्पों के एक या दूसरे विकल्प पर प्रभाव पर अदालतों में सवाल नहीं उठाया जा सकता।
MP MLA Criminal Cases Convicted Politicians Election Ban | Supreme Court: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 (1) के तहत अयोग्यता की अवधि आरोप सिद्ध होने की तिथि से 6 वर्ष या जेल जाने की स्थिति में रिहाई की तिथि से 6 वर्ष थी।
MP MLA Criminal Cases Convicted Politicians Election Ban | Supreme Court: संसदीय नीति के संदर्भ में अयोग्यता एक समय तक सीमित है। याचिकाकर्ता की मुद्दे की समझ को फिर से स्थापित करना और आजीवन प्रतिबंध लगाना सही नहीं होगा।
न्यायिक समीक्षा के मामले में न्यायालय प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित कर सकता है। हालांकि, याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत में अधिनियम की धारा 8 की सभी उपधाराओं में 6 वर्ष के स्थान पर ‘आजीवन’ अवधि पढ़ने की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में दिया था फैसला
अप्रैल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि जिन विधायकों और सांसदों को कम से कम 2 वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई है, उन्हें तत्काल प्रभाव से सदन से निष्कासित कर दिया जाना चाहिए। इसमें अपील करने के लिए 3 महीने की अवधि को नकार दिया गया था।
संविधान के अनुच्छेद 102 और 191 का हवाला देते हुए केंद्र ने कहा था कि संविधान ने संसद को अयोग्यता को नियंत्रित करने वाले कानून बनाने का अधिकार दिया है। संसद को अयोग्यता के आधार और अयोग्यता की अवधि दोनों को निर्धारित करने का अधिकार है।

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