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ई-ऑफिस सिस्टम में अनूपपुर का जलवा: CM मोहन, शिवराज के जिले को भी पछाड़ा, टॉप-5 में जमाया कब्जा, जानिए किस मंत्री के जिले का क्या है हाल ?

MP Ministers E Office System Status NHM | Police Commissioner: मध्यप्रदेश में 1 जनवरी से लागू ई-ऑफिस सिस्टम में बड़े जिले और संभागों के अधिकारियों की ज्यादा रुचि दिखाई नहीं दे रही है। मंत्रालय की बात करें तो केवल मुख्य सचिव का दफ्तर ही 100 फीसदी ई-ऑफिस में तब्दील हुआ है, जबकि मुख्यमंत्री सचिवालय में भी 30 फीसदी फाइलों का मूवमेंट मैनुअली हो रहा है। बात करें, मंत्रियों के दफ्तरों की तो 30 में से केवल 5 मंत्रियों का दफ्तर ही ई-ऑफिस में तब्दील हुआ है।

MP Ministers E Office System Status NHM | Police Commissioner: नेशनल इनफोर्मेटिक्स सेंटर ( NIC) ने मंत्रालय समेत विभागाध्यक्ष कार्यालय, संभागीय कार्यालय और जिलों में ई-ऑफिस सिस्टम का एनालिसिस किया है। ये रिपोर्ट सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपी है। 1 जनवरी से 30 अप्रैल तक किए गए एनालिसिस में सामने आया कि 55 जिलों में से केवल 15 जिलों में ही 500 से ज्यादा ई-फाइलें क्रिएट हुई हैं, बाकी जिलों में ये आंकड़ा 500 से नीचे है।

इसी तरह विभागों की बात करें तो सामान्य प्रशासन विभाग ई-ऑफिस सिस्टम में अव्वल है, जबकि प्रवासी भारतीय विभाग में सिस्टम चालू ही नहीं हुआ है। मंडे स्टोरी में पढ़िए, कौन से विभाग और जिले टॉप 5 में हैं और कौन ई-ऑफिस सिस्टम लागू करने में पिछड़ गया है।

ई- फाइल मूवमेंट सिस्टम का अहम हिस्सा

MP Ministers E Office System Status NHM | Police Commissioner: ई-ऑफिस एक ऑनलाइन सिस्टम है। इसमें फाइलों के मूवमेंट के साथ अधिकारी- कर्मचारियों का पूरा डेटाबेस, उनकी छुट्टी, दौरे, गोपनीय चरित्रावली और संपत्ति के विवरण को डिजिटलाइज करने के निर्देश हैं। इसके लिए नेशनल इनफोर्मेटिक्स सेंटर ने एक डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार किया है, जिसमें ये सारी सुविधाएं मौजूद हैं।

MP Ministers E Office System Status NHM | Police Commissioner: इसका सबसे अहम हिस्सा फाइलों का मूवमेंट है, क्योंकि ये सीधे आम लोगों से जुड़ा मामला है। सरकारी दफ्तरों में फाइलों के मूवमेंट में ही सबसे ज्यादा देरी होती है। कई-कई सालों तक फाइलें धूल खाती हैं, आगे नहीं बढ़तीं। ई-ऑफिस सिस्टम में अधिकारी से लेकर कर्मचारियों को अपने कंप्यूटर पर बैठकर ही फाइलें निपटानी हैं।

MP Ministers E Office System Status NHM | Police Commissioner: इससे ये भी पता चलता है कि कौन सी फाइल किस अफसर के पास कब से लंबित है, उसकी क्या वजह है? यानी फाइल के मूवमेंट को रियल टाइम ट्रैक किया जा सकता है।

ई-फाइलिंग सिस्टम का फायदा

  • हर फाइल की लोकेशन अपडेट रहेगी, जिससे फाइलों का तेजी से मूवमेंट होगा।
  • ई-ऑफिस सिस्टम में लिपिक से लेकर मुख्य सचिव तक फाइल निपटाने की समय सीमा तय की गई है।
  • तय समय पर फाइल आगे नहीं बढ़ाई गई, तो संबंधित अफसर को इसकी वजह भी बतानी पड़ेगी।
  • बिना किसी कारण के फाइल को नहीं रोका जा सकेगा। इसके बाद भी फाइलें लंबित रहती हैं, तो संबंधितों पर कार्रवाई की जा सकेगी।
  • इमरजेंसी में एक ऑफिस से दूसरे ऑफिस में अधिकारियों को फाइल लेकर आना-जाना नहीं पड़ेगा। एक क्लिक पर फाइल सामने स्क्रीन पर मिल जाएगी।

मुख्यमंत्री सचिवालय में 70 फीसदी पेपरलैस वर्क
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव गृह, सामान्य प्रशासन समेत 10 अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उनके भी कई विभागों में ई-ऑफिस सिस्टम पूरी तरह से लागू नहीं हो सका है। मुख्यमंत्री सचिवालय में 70 फीसदी काम पेपरलैस है। सूत्र कहते हैं कि मुख्यमंत्री के लिए मैनुअल फाइल व्यवस्था को पूरी तरह से बंद भी नहीं किया है।

मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री के साइन की कॉपी कर कोई इसका दुरुपयोग न कर सके, इसका भी ख्याल रखा गया है। इसलिए कुछ अहम फाइलों को मैनुअली ही तैयार किया जाता है। ऑनलाइन सुरक्षा को और ज्यादा पुख्ता कर धीरे-धीरे फाइलों का मैनुअल मूवमेंट भी ऑनलाइन किया जाएगा।

मंत्रियों को भेजी जाने वाली फाइलें नहीं हो सकीं ऑनलाइन

MP Ministers E Office System Status NHM | Police Commissioner: मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय में मुख्य सचिव के दफ्तर से लेकर निचले स्तर का कामकाज ऑनलाइन हो चुका है। फाइलों का मूवमेंट ई फाइलिंग सिस्टम के जरिए ही हो रहा है। मगर, जो फाइलें स्वीकृति के लिए मंत्री को भेजी जाती हैं, उन्हें मैनुअली तैयार करना पड़ता है।

मंत्रियों के पास फाइल पहुंचती हैं, वे इन फाइलों पर टीप लिखकर वापस विभागों को लौटा देते हैं। इसके बाद उसे फिर से ई-फाइलिंग सिस्टम में अपलोड करना पड़ता है। इसके लिए फाइल के मुख्य पृष्ठ को स्कैन करना पड़ता है। इससे एक फाइल की कई सारी डिजिटल कॉपियां बन रही हैं। सूत्रों का कहना है कि मंत्रियों के घर और दफ्तरों पर जो स्टाफ तैनात है, उन सभी को ई-ऑफिस सिस्टम की ट्रेनिंग दी जा चुकी है।

ये हैं वे पाँच मंत्री जिनके विभाग हुए पेपरलेस:

  1. राकेश सिंह
    मंत्री, पीडब्ल्यूडी विभाग
    सड़क और भवन निर्माण से जुड़े इस विभाग में अब सभी योजनाओं, टेंडरों और परियोजनाओं की मॉनिटरिंग डिजिटल प्लेटफॉर्म पर की जा रही है।
  2. गोविंद सिंह राजपूत
    मंत्री, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग
    राशन वितरण से लेकर उपभोक्ता शिकायतों तक, सभी प्रक्रियाएं ऑनलाइन हो चुकी हैं।
  3. राव उदय प्रताप सिंह
    मंत्री, स्कूल शिक्षा एवं परिवहन विभाग
    स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों की मॉनिटरिंग से लेकर शिक्षकों की नियुक्तियों तक सब कुछ अब डिजिटल फॉर्मेट में संचालित हो रहा है।
  4. निर्मला भूरिया
    मंत्री, महिला एवं बाल विकास विभाग
    महिला सशक्तिकरण और बाल संरक्षण से जुड़ी योजनाओं की फाइलें अब डिजिटल पोर्टल पर ट्रैक की जा रही हैं।
  5. करण सिंह वर्मा
    मंत्री, राजस्व विभाग
    भू-अभिलेखों से लेकर नामांतरण प्रक्रिया तक, सब कुछ ऑनलाइन होने से लोगों को काफी राहत मिली है।

मंत्री बोले- ये अच्छी शुरुआत

25 मंत्रियों के दफ्तरों में पेपरलैस काम हो रहा है, मगर उसकी रफ्तार बेहद धीमी है। खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का दफ्तर पूरी तरह से ई-ऑफिस हो चुका है। वे कहते हैं कि इस सिस्टम से सरकारी दफ्तरों में पारदर्शिता आई है। काम तेजी और सुरक्षित तरीके से हो रहा है। कागजों को न संभालने का झंझट है और न ही उनके फटने या नष्ट होने का डर है। दस्तावेजों को लंबे समय तक सुरक्षित रखना है तो डिजिटल फॉर्मेट ही एकमात्र विकल्प है।

MP Ministers E Office System Status NHM | Police Commissioner: वे बताते हैं कि जब मैं राजस्व मंत्री था, तब जिलों के कलेक्टर कार्यालय में नकल के दस्तावेज पीले कपड़ों में रखे हुए थे। राजस्व मंत्री रहते हुए मैंने सारे रिकॉर्ड को डिजिटल करवा दिया था। अब एक क्लिक पर आप राजस्व का बरसों पुराना रिकॉर्ड निकाल सकते हैं।

11 फीसदी विभागों में 10 हजार से ज्यादा ई-फाइलों का मूवमेंट

विभागों की बात करें तो 56 विभागों में सामान्य प्रशासन विभाग, वित्त, वन, स्कूल शिक्षा और कृषि ये वो टॉप 5 विभाग हैं, जहां तेजी से ई-ऑफिस सिस्टम को अपनाया जा रहा है। एनआईसी की 1 जनवरी से 30 अप्रैल तक की रिपोर्ट के मुताबिक सामान्य प्रशासन विभाग में 58 हजार से ज्यादा ई-फाइलों का मूवमेंट हुआ है जबकि 4320 पी-फाइल (पेपर) का मूवमेंट हुआ है।

MP Ministers E Office System Status NHM | Police Commissioner: दूसरे नंबर पर वित्त विभाग है, जहां 25 हजार ई-फाइलों का मूवमेंट हुआ है। हालांकि, बाकी विभागों में ई-फाइल मूवमेंट की रफ्तार धीमी है। 56 में से 6 विभागों में ही 10 हजार से ज्यादा ई-फाइलों का मूवमेंट हुआ है। 5 हजार से ज्यादा ई-फाइलों का मूवमेंट करने वाले 10 विभाग हैं।

विभाग प्रमुखों के दफ्तरों में जल निगम टॉप पर

मंत्रालय के बाद 30 दिनों के भीतर विभाग प्रमुख (संचालनालय) में भी ई-ऑफिस सिस्टम लागू किया गया था। जमीनी स्तर पर सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन और मॉनिटरिंग का काम इन्हीं के जरिए होता है। ई-फाइल मूवमेंट में पीएचई विभाग का जल निगम टॉप पर है। चार महीने में यहां 1 लाख से ज्यादा ई-फाइलों का मूवमेंट हुआ है।

दूसरे नंबर पर कोष एवं लेखा संचालनालय है, यहां 50 हजार से ज्यादा ई-फाइलों का मूवमेंट हुआ है। इसके बाद मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, नेशनल हेल्थ मिशन, मप्र स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन और फिर भोपाल पुलिस कमिश्नर कार्यालय आता है। कमिश्नर लैंड रिकॉर्ड और एक्साइज, टेक्निकल और हायर एजुकेशन डायरेक्टोरेट में भी फाइलों का ज्यादातर मूवमेंट ई-फाइलिंग के तौर पर हो रहा है।

वहीं, पंडित कुंजीलाल दुबे राष्ट्रीय संसदीय विद्यापीठ, जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर का ऑफिस, एडवोकेट जनरल और चीफ इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर के दफ्तर में इन चार महीनों में केवल 1-1 ई-फाइल का मूवमेंट हुआ है। हैरानी की बात ये है कि 68 विभाग प्रमुखों के दफ्तरों में ई-फाइल मूवमेंट शून्य है।

इनमें सभी रेंज के आईजी और डीआईजी दफ्तर, एमपी पुलिस एकेडमी, गौ संवर्धन बोर्ड, पिछड़ा वर्ग आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, वक्फ ट्रिब्यूनल, विद्युत नियामक आयोग, लोकायुक्त, एमपी भवन, राज्य सूचना आयोग, आनंद संस्थान, सेंट्रल और जिला जेल, एमपी बोर्ड और मप्र लोकसेवा आयोग जैसे अहम विभाग शामिल हैं।

ई-ऑफिस सिस्टम लागू करने में छोटे जिले अव्वल
जिले और संभागों की बात करें तो छोटे जिले ई-ऑफिस सिस्टम लागू करने में अव्वल हैं। बैतूल में सबसे ज्यादा ई-फाइलें क्रिएट हुई हैं और यहां फाइलों का मूवमेंट भी ई-फाइल के तौर पर हुआ है। इसके बाद नर्मदापुरम, बालाघाट, अनूपपुर और हरदा है।

MP Ministers E Office System Status NHM | Police Commissioner: जहां तक बड़े जिलों की बात करें तो ग्वालियर 9वें, इंदौर 26वें, भोपाल 27वें, उज्जैन 38वें और जबलपुर 42वें नंबर पर है। आलीराजपुर, पन्ना, मैहर, छतरपुर और पांढुर्ना जिलों में ई-फाइल सिस्टम की हालत बेहद खराब है। यहां न तो ई-फाइल उतनी संख्या में क्रिएट की गईं और न ही इनका मूवमेंट हैं।

ई-फाइलिंग सिस्टम में बैतूल टॉप पर, अलीराजपुर सबसे पीछे

मध्यप्रदेश में सरकारी कार्यालयों को डिजिटल बनाने की दिशा में ई-फाइलिंग सिस्टम के तहत 55 जिलों की रैंकिंग जारी की गई है। इस रैंकिंग में बैतूल जिला ई-फाइल मूवमेंट और ई-फाइल क्रिएशन दोनों में शीर्ष पर है, जबकि अलीराजपुर सबसे निचले पायदान पर है।


टॉप 5 जिले (ई-फाइलिंग में अग्रणी)

जिलाई-फाइल क्रिएटई-फाइल मूवमेंट
बैतूल26948304
नर्मदापुरम17846584
बालाघाट13344505
अनूपपुर13125078
हरदा11756329

इन जिलों में डिजिटल कार्यप्रणाली को प्रभावी रूप से अपनाया गया है। फाइलों का निर्माण और स्थानांतरण अब तेजी से ई-माध्यम से हो रहा है, जिससे पारदर्शिता और गति दोनों में सुधार हुआ है।


बॉटम 5 जिले (ई-फाइलिंग में पिछड़े)

जिलाई-फाइल क्रिएटई-फाइल मूवमेंट
पांढुर्ना3463
छतरपुर1655
मैहर1513
पटवा1013
अलीराजपुर47

इन जिलों में अभी भी ई-फाइलिंग सिस्टम का उपयोग सीमित है। डिजिटल अवसंरचना, स्टाफ की ट्रेनिंग और जागरूकता की कमी जैसे कारण इसके पीछे हो सकते हैं।

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