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Budget Analysis: ‘मामा’ को चाहिए बहनों का साथ, क्या चल सकेगा दांव

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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनावी साल में मास्टर स्ट्रोक चला है। प्रदेश के 2023-24 के बजट में उन्होंने अपनी ‘लाड़ली बहना’ को याद किया है। लक्ष्य है कि एक करोड़ महिलाओं को इस साल योजना का लाभ देंगे। इसके लिए आठ हजार करोड़ रुपये का भारी-भरकम आवंटन भी कर दिया है। जाहिर है, मामा को अपनी बहनों का साथ चाहिए। लेकिन क्या यह साथ मिलेगा? 

मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने बुधवार को 2023-24 के लिए अपना बजट पेश किया। यह 2023 के नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सरकार का आखिरी बजट था। इस वजह से मंशा साफ थी कि शिवराज कुछ बड़ा करेंगे। कर भी दिया। कुछ दिन पहले ही घोषणा कर दी। रविवार को आनन-फानन में कैबिनेट की मीटिंग बुलाई और लाड़ली बहना योजना के नियम भी फाइनल कर दिए। बजट पर चर्चा चल रही होगी और पांच मार्च को शिवराज लाड़ली बहना योजना लॉन्च भी कर देंगे। यानी विपक्ष को समझने का मौका भी नहीं मिला और शिवराज अपनी बहनों को ‘प्यारे’ हो गए। 

भले ही बजट वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा ने पेश किया हो, उनके भाषण का एक-एक शब्द शिवराज के शब्दकोष से निकला था। देवड़ा ने कहा कि हमारी सरकार कन्या के जन्म के बाद से हर संस्कार पर नारी शक्ति के साथ है। बजट पेश होने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा भी कि मां, बहन, बेटी मतलब आधी आबादी। उनका कल्याण हमारी प्राथमिकता रही है। 1.02 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान उनके लिए किया गया है और यह ऐतिहासिक कदम है।

पिछले चुनावों से सबक 

2018 में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। वोट प्रतिशत जरूर बढ़ा था, लेकिन बहुमत से छह सीटें पीछे रह गई थीं। खास बात यह थी कि 2013 में 31 महिलाएं जीतकर विधानसभा पहुंची थीं और 2018 में ऐसा करने वाली महिलाओं की संख्या सिर्फ 17 थी। यानी सदन में महिला विधायकों की संख्या में 14 का अंतर था। उम्मीदवारों की बात करें तो कांग्रेस ने 12% और भाजपा ने 10% टिकट महिलाओं को दिए थे। 

मध्यप्रदेश में महिला वोटरों के मायने 

दिलचस्प पहलू यह है कि 2018 में मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 51 सीटों पर महिलाओं ने वोटिंग में पुरुषों को पीछे छोड़ दिया था। इनमें से करीब 80% सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी। करीब दो दर्जन सीटों पर महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 80% से भी अधिक था। 2023 का नया इलेक्टोरल रोल कहता है कि 2018 के मुकाबले महिला वोटरों का प्रतिशत बढ़ा है। 2018 में मध्यप्रदेश में जहां एक हजार पुरुष वोटर्स पर 898 महिला वोटर थीं, 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 931 हो गया है। इस समय 2.79 करोड़ पुरुष वोटर हैं तो 2.60 करोड़ महिला वोटर। यदि एक करोड़ के आसपास महिलाएं लाड़ली बहना योजना का लाभ लेती हैं तो शिवराज की जीत सुनिश्चित है। खैर, ट्विस्ट यह भी है कि कमलनाथ अगर जीतकर आएंगे तो यह राशि बढ़कर 1,500 रुपये हो जाएगी।

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