मियां भोपाली के झोले-बतोले: मियां, एक पहाड़ी तो बची पर बाकी का क्या होगा?

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को खां, अपने एमपी के सतना जिले में भगवान श्रीरामजी द्वारा विंध्याचल के सिद्धा पहाड़ पर राक्षसों के सफाए की कसम लिए जाने की बात जित्ती भी सच हो, मगर इस वजह से एक पूरी की पूरी पहाड़ी खनन माफिया का शिकार होने से बच गई। वरना आजकल पूरे पिरदेश में बालू रेत, मुरम और पत्थर खोदने वाले माफिया इस कदर बेखोफ हेंगे के कोई माई का लाल उनपे हाथ डालने की हिम्मत नई पर पा रिया। ये माफिया पिरदेश में आला अफसरों तक को निपटा चुके हेंगे।
मियां, सिद्धा पहाड़ का भी वोई हश्र होने में देर नई लगती। कल तक जो पहाड़ की तरह कुदरत की गोद में शान से खड़ा नजर आता हेगा, उसी को खान माफिया कुछ ही दिनों में मिट्टी में मिला देते हेंगे। कुदरत ने उसे पहाड़ बनाया, हमने उसे मेदान बना दिया। सिद्धा पहाड़ भी इस वास्ते मेदान बनने वाला था कि सरकार राम वन गमन पथ तैयार करने में जुटी हे। ओर जब काम रामजी का हो तो उसके आगे रामजी से जुड़ी बाकी बातों की क्या बिसात? सरकार को कमाई करनी हे। पहाड़ खोद के रायल्टी वसूलनी हेगी।
यूं सिद्धा पहाड़ की कहानी भोत गजब की हे। जब रामजी बन को जा रिए थे तो चित्रकूट उनका दूसरा पड़ाव था। तुलसीदासजी ने राम चरित मानस के अरण्य कांड में लिखा हेगा के बन को जाने वकत भगवान राम को चित्रकूट के पास मौजूद सिद्धा पहाड़ पर कई मुनियों की हड्डियों का पहाड़ खड़ा मिला। ये वो हड्डियां थीं जो राक्षसों ने मुनियों को खाकर फेंकी थीं। तब भगवान इसी जगह कसम खाई के पूरी धरती से राक्षसों को मिटा देंगे। इसी मशहूर ओर रामभक्तों की अकीदत के मरकज सिद्धा पहाड़ को एमपी सरकार खुदाई के लिए देने जा रई थी। लोकल पिरशासन ने इसकी पूरी तैयारी भी कर ली थी। इस पहाड़ पे खुदाई के पेले परयावरण की परमीशन लेने पोलूशन कंटरोल बोर्ड में 30 सितंबर को जनसुनवाई भी होनी थी। लिहाजा लोगों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।
खिलाफत में बेठी कांगरेस ने भी इसे मुद्दा बनाते हुए सड़क पे उतरने की धमकी दी थी। पिरदेश कांगरेस अध्यक्ष कमलनाथ ने बयान जारी करा था कि राम भगत बनने वाली ये सरकार भगवान राम की निशानियों को भी नई छोड़ रई। कुछ लोगों ने तो मोदी जी तक गुहार लगा डाली थी के कम से कम रामजी की निशानियों को तो बख्शो। मैहर के बीजेपी विधायक नारायण तिरपाठी ने भी सिद्धा पहाड़ को हर कीमत पर बचाने की अपील करी थी। अगर ये परमीशन जारी रहती तो इस पहाड़ से 43 हजार टन खनिज की खुदाई हो जाती। उस पहाड़ की, जिसमें हमारे ऋषि मुनियों की अस्थियां मिली हेंगी।
वेसे तो मियां, पूरे पिरदेश में कई पहाड़ियां खनन माफिया ने मिटा दी हें। कई पे तो बाकायदा खुदाई परमीशन मिली हेगी तो भोत सी जगह नाजायज तरीके से खुदाई चल रई हेगी। इंदोर भोपाल रोड पर देवास के पास एक पहाड़ खोद-खोद के खनन माफिया ने चोथाई कर दिया हेगा। इसी तरह गवालियर, जबलपुर जिलों में भी कई पहाड़ियां मेदान में तब्दील हो चुकी हें। पब्लिक मुखालिफत करती हे, मगर सरकार के आंख-कान बंद रेते हें। सरकार को खाली खुदाई से मिलने वाली रायल्टी दिखती हे। परयावरण खत्म हो रिया हेगा, ये नई दिखता।
बहरहाल, लोक लाज की खातिर ही सही मुखमंतरी शिवराज सिंह चोहान ने ट्वीट करा के सरकार लोगों के जज्बात की कदर करी हे ओर सिद्धा पहाड़, सतना जैसे अमूल्य सांसकिरतिक धरोहर की पाकीजगी का कायम रखा जाएगा। यहां किसी किसम की खुदाई की इजाजत नई दी जाएगी। जिला पिरशासन को भी ताकीद कर दी गई हेगी। सो, मियां अवाम पे रहम के कम से कम एक पहाड़ी तो मरने से बच गई। मगर बाकी की उन पहाडि़यों को कोन बचाएगा, जिन पर खनन माफिया की गिद्ध की नजर टिकी हेगी।
-बतोलेबाज
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