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मध्यप्रदेश में है चमत्कारी कुंड! अर्जुन के बाण से हुआ था इसका निर्माण, मकर संक्रांति पर स्नान की परंपरा

मध्यप्रदेश के शहडोल संभागीय मुख्यालय में एक ऐसा कुंड है जो ऐतिहासिक, चमत्कारी और अद्भुत औषधीय गुणों से भरपूर है। इस कुंड के संबंध में कहा जाता है कि इसका निर्माण महाभारत काल में अर्जुन ने अपने  बाण से विशेष उद्देश्य के लिए किया था। ये कुंड बाणगंगा के नाम से प्रसिद्ध है। आदिवासी अंचल के आसपास के क्षेत्रों में कुंड अपने चमत्कारी गुणों के चलते ये काफी प्रसिद्ध है, जिसके चलते लोगों की इस कुंड से बड़ी आस्था जुड़ी है।

चमत्कारी बाणगंगा कुंड 

शहडोल संभागीय मुख्यालय में स्थित है बाणगंगा कुंड, जहां आते ही आपको एक अलग ही नजारा देखने को मिलेगा, एक अलग ही अनुभूति होगी। बाणगंगा कुंड में इन दिनों मकर संक्रांति की तैयारी चल रही है। मकर संक्रांति के दिन इस कुंड में हजारों लोग आस्था की डुबकी लगाने पहुंचते हैं, तो वहीं, यहां पर साल भर लोग यहां पहुंचते हैं जो इस कुंड का पानी अपने घर लेकर जाते हैं। कहा जाता है कि इस कुंड के पानी को  चमत्कारी माना गया है, इस कुंड से लोगों की आज भी एक बड़ी आस्था जुड़ी हुई है। ये कुंड क्षेत्र में अपने अलौकिक ऐतिहासिक और चमत्कारी महत्व के चलते काफी प्रसिद्ध है। यहां दर्शन के लिए भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।

 

चमत्कारी है कुंड का पानी

बाणगंगा कुंड के बारे में पुजारी अभिषेक कुमार द्विवेदी ने बताया कि उनके पूर्वजों के मुताबिक इस बाणगंगा कुंड को पांडवों ने अपने अज्ञात वास के दौरान बनाया था। उस दौरान पांडवों ने कई कुंड निर्मित किए गए थे, जिसमें से एक बाणगंगा कुंड भी है।

पुजारी का कहना है कि इस कुंड की विशेषता ये है कि पशुपालन से संबंधित लोग इस कुंड का जल ले जाते हैं, और गाय के पैर में डालते हैं। इस जल को मवेशियों को पिलाने से उन्हें खुरपका रोग नहीं होता। लोगों की कुंड से गहरी आस्था है, जिसके चलते यहां अक्सर लोग स्नान करने के लिए पहुंचते हैं। चर्म रोग से पीड़ित व्यक्ति भी इसका जल ले जाते हैं।

प्रांगण में कई देवी देवता मौजूद 

बाणगंगा कुंड परिसर में पुरातत्व महत्व की कलचुरी कालीन कई प्रतिमाएं हैं। जो आपका मन मोह लेंगी। यहां के पुजारी का कहना है कि इस प्रांगण में भगवान राम का दरबार लगा हुआ है। इसके अलावा दक्षिण मुखी हनुमान जी का एक अलग मंदिर है, शालीग्राम भी विराजमान हैं, साथ ही इस कुंड से लगा हुआ विराट मंदिर भी है, जिसके दर्शन के लिए लोग अक्सर आते रहते हैं। वो ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व का अद्भुत विराट शिव मंदिर है।

 

मकर संक्रांति के दिन लोग लगाते हैं आस्था की डुबकी 

पुजारी का कहना है कि यहां लोग मकर संक्रांति के दिन आस्था की डुबकी लगाने के लिए हजारों लोग यहां सुबह-सुबह पहुंचते हैं, और स्नान करते हैं। मकर संक्रांति के दिन यहां डुबकी लगाने के बाद विशेष दान का भी महत्व होता है, कोई तिल का दान करता है, कोई कंबल का दान करता है। इस कुंड से क्षेत्रवासियों की एक विशेष आस्था जुड़ी हुई है। इस कुंड में डुबकी लगाने के बाद यहां सैकड़ों साल पुराना ऐतिहासिक बाणगंगा मेला लगता है लोग उसमें शामिल होते हैं।

 

ऐतिहासिक और पुरातत्व महत्व का है ये कुंड

यहां के इतिहास को करीब से जानने वाले पुरातत्वविद रामनाथ परमार भी मानते हैं कि बाणगंगा कुंड ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहर है, बाणगंगा कुंड का संबंध महाभारत काल से है, जब पांडव अज्ञातवास में थे इस दौरान राजा विराट के यहां विराट नगरी में आकर उन्होंने अज्ञातवास का कुछ समय बिताया था और उसी दौरान इस कुंड का निर्माण हुआ था। कुंड के निर्माण को लेकर ऐसी किवदंती है कि इस कुंड का निर्माण अर्जुन ने अपने एक बाण से किया था और यहीं पर इसी कुंड में अपने चमत्कारी धनुष और अस्त्र-शस्त्र की शुद्धि की थी। इसी कुंड के पानी से घायल मवेशियों को ठीक किया था और तभी से इस कुंड का पानी इतना अद्भुत और चमत्कारी माना जाता है।

 

राम नाथ परमार कहते हैं कि ये ऐतिहासिक स्थल है इसका संबंध जन भावना और ऐतिहासिकता से जुड़ा हुआ है। धार्मिक स्वरूप से जुड़ा हुआ है मकर संक्रांति के पर्व पर लोग इस कुंड में स्नान करते हैं और विराट मंदिर में शिव के दर्शन करते हैं क्योंकि यह ऐतिहासिक स्थल है पुरातन स्थल है यहां पर मकर संक्रांति के पर्व पर बाणगंगा मेले का भी आयोजन किया जाता है, जो बहुआयामी उद्देश्य को लेकर अंतरराज्यीय मेला है। यहां दूसरे राज्यों के भी व्यापारी आते हैं और पूरे क्षेत्र के लोग अलग-अलग जगहों से आकर  इस मेले का आनंद उठाते हैं। यहां  लगभग 100 साल से भी ज्यादा समय से मकर संक्रांति के दिन मेले का आयोजन किया जा रहा है।

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