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राहुल गांधी से कहा- पद तो है पर पावर नहीं: अब बड़े नेताओं पर करेंगे निगरानी, भूपेश के सामने बोले जिला अध्यक्ष- सत्ता मिलते ही संगठन दरकिनार

Meeting of Delhi Congress District Presidents, meeting with Rahul Gandhi: दिल्ली में कांग्रेस के जिला अध्यक्षों की बैठक हुई, जिसमें संगठन को मजबूत करने पर चर्चा की गई। इस दौरान भूपेश बघेल की मौजूदगी में जिला अध्यक्षों ने राहुल गांधी से कहा कि, जब सत्ता मिलती है तो संगठन को किनारे कर दिया जाता है। संगठन और सत्ता साथ-साथ चलना चाहिए, हमारे पास पद है, लेकिन सत्ता नहीं। इस पर राहुल गांधी ने कहा कि, आपकी ताकत जरूर बढ़ेगी, लेकिन जिम्मेदारियां भी बढ़ेंगी।

जिला अध्यक्ष अपने क्षेत्र के बड़े नेताओं पर भी नजर रखेंगे। बैठक और प्रदर्शन में नेता कितनी भागीदारी निभा रहे हैं। इसकी रिपोर्ट जिला अध्यक्षों से ली जाएगी। राष्ट्रीय अधिवेशन में इसके लिए योजना बनाई जाएगी।

क्षेत्र में निष्क्रिय नेता हटाए जाएंगे

क्षेत्र में निष्क्रिय और पार्टी की बैठकों से गायब रहने वालों के बारे में राहुल गांधी ने कहा कि ऐसे लोगों को हटाया जाएगा, जिससे अच्छा काम करने वालों को और ताकत मिलेगी।

वहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘आप लोग संकट में पार्टी के साथ रहे, आप जमीन पर संघर्ष कर रहे हैं, जिन्हें मंत्री और अध्यक्ष बनाया गया, वे पार्टी छोड़कर चले गए। संकट के समय जो पार्टी के साथ रहे, वही असली योद्धा है।’

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हर जिला अध्यक्ष को अलग सीट आवंटित की गई

इस बैठक में छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश और चंडीगढ़ के जिला अध्यक्ष शामिल हुए। इस बार बैठक राज्यवार नहीं थी, बल्कि रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर बैठने की व्यवस्था की गई थी, ताकि सभी को अलग-अलग राज्यों के जिला अध्यक्षों के साथ बैठने का मौका मिले।

यहां राज्य के हिसाब से बैठने की व्यवस्था नहीं थी, बल्कि सभी को अलग-अलग जगहों पर सीटें आवंटित की गई थीं। बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी मौजूद थे। बातचीत के दौरान संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत करने, आगामी रणनीतियों को लेकर अहम चर्चा हुई।

जिला अध्यक्षों ने कहा- सत्ता में आने के बाद संगठन को दरकिनार कर दिया गया

बैठक में कई जिला अध्यक्षों ने कहा कि सत्ता में आने के बाद संगठन को दरकिनार कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि संगठन और सत्ता साथ-साथ चलने चाहिए, लेकिन कई राज्यों में ऐसा नहीं हो पाया।

‘हमारे पास पद है, लेकिन सत्ता नहीं।’ यह शिकायत लगभग सभी राज्यों के जिला अध्यक्षों की थी। उनका कहना था कि विधायक, पूर्व विधायक और स्थानीय प्रभावशाली नेता जिलों में संगठनात्मक निर्णयों में जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप करते हैं। इससे संगठन स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर पाता।

बैठक के दौरान जिला अध्यक्षों ने मांग की कि इस मुद्दे पर एआईसीसी स्तर से निगरानी रखी जाए और संगठन को मजबूत करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए जाएं।

सोशल मीडिया प्रशिक्षण और नई जिम्मेदारियां

बैठक में कांग्रेस की सोशल मीडिया प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर विशेष प्रशिक्षण दिया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में जिला स्तर पर भी डिजिटल प्रचार की बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी। इस दौरान जिला अध्यक्षों को बोलने का मौका भी मिला, ताकि वे संगठन से जुड़ी अपनी बात खुलकर रख सकें।

बैठक में एआईसीसी सचिवों ने सभी जिला अध्यक्षों से बूथ स्तर की जानकारी मांगी। साथ ही जिलों में पार्टी की संपत्तियों के उपयोग को लेकर भी चर्चा हुई। जैसे छत्तीसगढ़ के किन जिलों में कांग्रेस भवन हैं और उनका उपयोग संगठन के लिए कैसे किया जा सकता है। यह भी अहम हिस्सा रहा।

बड़े नेताओं की गतिविधि पर भी नजर

बैठक में जिला अध्यक्षों से कहा गया कि वे अपने काम तक ही सीमित न रहें, बल्कि पार्टी के बड़े नेताओं की गतिविधियों पर भी नजर रखें। उनसे कहा गया कि अब यह भी देखना होगा कि उनके जिले के नेता, विधायक या वरिष्ठ पदाधिकारी संगठन के कार्यक्रमों, बैठकों और प्रदर्शनों में कितनी भागीदारी निभा रहे हैं। इन सब बातों की रिपोर्ट भी जिला अध्यक्षों से ली जाएगी।

बस्तर से प्रेमशंकर शुक्ला को मिला मंच

बैठक में छत्तीसगढ़ के बस्तर जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रेमशंकर शुक्ला को मंच से अपने विचार रखने का मौका दिया गया। उन्होंने बस्तर जिले के हालात और संगठन की स्थिति पर अपने विचार रखे।

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