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भगवान जगन्नाथ को आया बुखार ! अब 15 दिन पट रहेंगे बंद, पालनहार क्यों पड़े बीमार और क्या है मान्यताएं ?

Lord Jagannath Got Fever: ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा के दिन देशभर में भगवान जगन्नाथ के मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं. जो रथ यात्रा के लिए खुलता है. माना जाता है कि ऐसा भगवान के बीमार होने के कारण होता है. जानिए क्या है मान्यता और मध्य प्रदेश में कहां कहां निभाई गई.

क्या आपने कभी सुना है कि संसार के पालनहार भगवान स्वयं कभी-कभी बीमार पड़ जाते हैं. सुनकर हैरानी हो सकती है, लेकिन, इस दुनिया में भगवान भी बीमार हो जाते हैं. हम बात कर रहे हैं भगवान जगन्नाथ स्वामी जी की जो आज से 15 दिनों तक लू के कारण बीमार हो गए हैं, जिसके चलते 15 दिनों तक भगवान के मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे. जानिए क्या है मान्यता.

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सर्दी से बीमार पड़ना रविवार को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा है. इस दिन भगवान जगन्नाथ लकड़ी की मूर्ति के रूप में दारुब्रह्मा के रूप में प्रकट हुए थे. मान्यता के अनुसार दर्शन होते ही भक्तों ने भगवान का जोरदार अभिषेक किया.

जिससे भगवान को सर्दी लग गई थी और वह बीमार पड़ गए थे. बीमारी के दौरान भगवान एकांत में रहे और भगवान के काढ़े व अन्य आयुर्वेदिक औषधियों से उनका इलाज किया गया. 15 दिन में स्वस्थ होकर भगवान आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को भक्तों को दर्शन देने के लिए रथ पर निकले.

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कई लोग कहते हैं कि उन्हें लू लग गई. कई जगहों पर यह माना जाता है कि भगवान को भीषण गर्मी में लू लग जाती है. इस वजह से वे बीमार पड़ जाते हैं. इसके चलते उन्हें 15 दिन का आराम दिया गया है. इस दौरान उसे 15 दिन तक राजभोग नहीं लगाया जाता और वैद्य उसे दवा देने के लिए रोज आता है.

स्वस्थ होकर करेंगे नगर भ्रमण 15 दिन बाद स्वस्थ होते ही भगवान नगर भ्रमण पर निकल जाते हैं, जिसे रथ यात्रा के नाम से जाना जाता है. इस दिन से देशभर में भगवान की रथ यात्रा निकाली जाती है. इस दिन भक्त भगवान के दर्शन कर पाते हैं.

अवंतिका नगरी में यह पर्व खास होता है. उज्जैनी की अवंतिका नगरी स्थित इस्कॉन मंदिर में हर साल के हिसाब से इस विशेष उत्सव का आयोजन किया जाता था. पारंपरिक वेशभूषा में भगवान जगन्नाथ का जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालुओं की कतार लगी रही. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि नियमित पूजा में लगने वाले भोग आदि में राजभोग की जगह सादा भोजन जैसे खिचड़ी, फल, हरी सब्जियां, जूस आदि परोसा जाएगा. आज अभिषेक के बाद भक्त अब 20 जून को रथ यात्रा के दिन सीधे भगवान के दर्शन करेंगे.

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पन्ना के मंदिर में बंद पुरी की तर्ज पर मंदिरों की नगरी पन्ना में भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथ यात्रा का कार्यक्रम 150 साल से अधिक समय से चल रहा है. पूरे देश की तरह यहां भी भगवान बीमार पड़े और अब अगले 15 दिनों तक मंदिर के कपाट बंद रहेंगे.

नर्मदापुरम में निभाई जाती है परंपरा

जगन्नाथ पुरी की तरह नर्मदापुरम के 750 साल पुराने जगदीश मंदिर में ज्येष्ठ पूर्णिमा पर्व मनाया गया. मंदिर में भगवान को करीब 100 लीटर पंचामृत से स्नान कराने के बाद सहस्त्रधारा स्नान किया गया.

बुरहानपुर में निभाई परंपरा बुरहानपुर के 190 साल पुराने मंदिर में विराजमान भगवान स्वामीनारायण का 501 लीटर दूध और केसर जल से अभिषेक किया गया. मान्यता है कि यहां दूध, दही, केसर, शुद्ध घी, शक्कर और ब्राह्मण मंत्रों का जाप करने से भगवान को प्रसन्न कर भक्तों की मनोकामना पूरी होती है.

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