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एक गन, 21 गोलियां और 4 शॉर्प शूटर्स: टारगेट में छत्तीसगढ़ के कोल कारोबारी, Lawrence Bishnoi और Aman Gang ने बिछाई मौत की जाल ?

Lawrence Bishnoi and 4 shooters of Aman Gang arrested Chhattisgarh coal Businessman: छत्तीसगढ़ के बड़े कोयला कारोबारी अंतरराष्ट्रीय गैंगस्टर की निगाहों में चढ़ गए है, लिहाजा उगाही के लिए भी इन कारोबारियों को तकादा किया जा रहा था, लेकिन धौंस असर नहीं करने पर इन कारोबारियों को सबक सिखाने के लिए गैंगस्टर ने अपने गुर्गों को रायपुर भेज दिया था. योजना थी कि कारोबारी के सीने पर पूरे 21 की 21 गोलियां दाग दी जाए, लेकिन उससे पहले ही मिले इंटेलिजेंस इनपुट पर रायपुर पुलिस ने इन गुर्गों को धर दबोचा.

रायपुर पुलिस ने कुख्यात अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराधिक गिरोह के खिलाफ बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए छत्तीसगढ़ से तीन और राजस्थान से एक आरोपी को गिरफ्तार किया है. आरोपियों का झारखण्ड के कुख्यात अमन साहू गैंग के सक्रिय सदस्य थे, जिनके पास से घटना में इस्तेमाल किए जाने वाले पिस्टल बरामद किए गए हैं. पुलिस के मुताबिक, मास्टर माइंड मयंक सिंह मलेशिया से अमन साहू गैंग से जुड़े इन आरोपियों को निर्देशित कर रहा था.

रायपुर आईजी अमरेश मिश्रा ने एसएसबी संतोष कुमार सिंह के साथ प्रेस कांफ्रेंस में पूरे मामले का खुलासा करते हुए बताया कि मयंक सिंह अपने शूटर्स के माध्यम से लॉरेंस बिश्नोई एवं अमन साहू के टार्गेट को अंजाम देता है. गिरफ्तार शूटर रोहित स्वर्णकार तथा राजस्थान निवासी पप्पू सिंह लगातार मयंक सिंह के संपर्क में थे.

आरोपियों के कब्जे से एक पिस्टल, एक खाली मैग्जीन और चार मोबाइल फोन जब्त किया है. आरोपियों के विरूद्ध थाना गंज में अपराध क्रमांक 223/24 धारा 399, 402, 386, 120बी भादवि. एवं 25 आर्म्स एक्ट का अपराध पंजीबद्ध किया गया है.

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, झारखण्ड के अमन साहू गैंग को संचालित करने वाला मास्टर माइंड मयंक सिंह मलेशिया से आरोपियों के संपर्क में था. उसने बोकारो, झारखण्ड निवासी रोहित स्वर्णकार को पहले पिस्टल के लिए मध्य प्रदेश के इंदौर शहर भेजा था.

इंदौर के सेंधवा से अपने संपर्क के माध्यम से एक पिस्टल और एक मैग्जीन उपलब्ध कराने के बाद रोहित को रायपुर पहुंचने के लिये निर्देशित किया. वहीं मयंक सिंह ने दूसरी ओर राजस्थान के पाली जिला के ग्राम सारन में बैठे पप्पू सिंह को वारदात को अंजाम देने के लिए एक बाइक राइडर की व्यवस्था करने को कहा.

पप्पू सिंह ने सारन निवासी मुकेश कुमार भाट और देवेन्द्र सिंह को वारदात के वक्त बाइक राइडिंग के लिए रायपुर रवाना किया. इधर रोहित स्वर्णकार इंदौर के सेंधवा से पिस्टल लेकर उज्जैन में महाकाल के दर्शन करने के बाद ट्रेन के जरिए रायपुर पहुंचा और दूसरी ओर मुकेश एवं देवेन्द्र बस के जरिए रायपुर पहुंचे.

वहीं इंटेलिजेंस इनपुट के आधार पर, रायपुर पुलिस के जवान इन्हें चिन्हित करने सादे लिबास में शहर के अलग-अलग जगहों पर तैनात किए गए. सादे लिबास में पेट्रोलिंग की अलग पार्टियां तैनात की गई. सतत् मॉनिटरिंग के दौरान 72 घंटे के इस गोपनीय ऑपरेशन में आरोपी रोहित स्वर्णकार को गंज थाना क्षेत्र में चिन्हित कर उसकी गतिविधि पर नजर रखी गई. संदिग्ध हरकत नजर आने पर लिफ्ट कर उसके कब्जे से एक पिस्टल व एक मैग्जीन बरामद किया गया है.

‘राम-राम’ और ‘जय माता दी’ थे कोड

अभिरक्षा में लिए गए तीनों आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि गैंग के मोडस में शूटर और राइडर को एक – दूसरे से अपनी पहचान छिपाने तथा किसी तकनीकी संपर्क में न रहने और अपने – अपने माध्यमों से एप के माध्यम से नेट कॉलिंग से ही संपर्क में रहने की हिदायत थी, तथा किसी भी विपरीत परिस्थिति या पुलिस की गिरफ्त की स्थिति में अलग-अलग कोड वर्ड तय किए गए थे. मयंक ने रोहित को 29-29 कोड यूज करने तथा पप्पू ने मुकेश को ‘राम-राम’ और ‘जय माता दी’ कोड यूज करने निर्देशित किया गया था.

तीन आरोपी राजस्थान तो एक झारखंड से

रायपुर पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, उनमें से तीन राजस्थान से और एक को झारखंड से है. इनमें राजस्थान के पाली जिला निवासी मुकेश कुमार पिता चिमनलाल (26 साल), देवेन्द्र सिंह पिता मोहन सिंह (20 साल), पप्पू सिंह उर्फ पप्सा पिता मोहन सिंह (31 साल) और बोकारो, झारखंड निवासी रोहित स्वर्णकार पिता निरंजन स्वर्णकार (26 साल) शामिल है. वहीं मास्टर माइंड मयंक सिंह फरार है.

रायपुर पुलिस की 100 सदस्यीय टीम का ऑपरेशन

रायपुर क्राइम ब्रांच और थाना पुलिस की 100 सदस्यीय टीम पूरे ऑपरेशन पर जुटी हुई थी. रायपुर आईजी अमरेश मिश्रा ने पूरे मामले का खुलासा करते हुए बताया कि अंतर्राष्ट्रीय गैंगस्टर को ट्रैप करने के लिए जयपुर, रायपुर, और झारखंड समेत अन्य स्थानों पर 100 पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों को ऑपरेशन की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी.

उनके साथ रायपुर एसएसपी संतोष कुमार सिंह खुद पूरे ऑपरेशन की पल-पल की जानकारी ले रहे थे. इसी का नतीजा है कि कोयला कारोबारी की हत्या से पहले अंतर्राष्ट्रीय गिरोह के गुर्गों को धरदबोचा गया. पुलिस अधिकारी गोपनीय रूप से गिरोह के शूटर्स के पीछे लगे हुए थे, ताकि इनके ऑपरेशन के अंतिम बिंदु तक पहुँचा जा सके.

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