Kuno National Park: कूनो आए 12 और चीते, अब हो गए 20, दक्षिण अफ्रीकी टीम करेगी निगरानी

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस अवसर पर कहा कि हमारा मूल उद्देश्य वन्यप्राणियों को बचाना है। चीता विलुप्त हो गया था। हम उसे पुनर्स्थापित कर रहे हैं। पर्यावरण बचाने की दृष्टि से यह काम महत्वपूर्ण है। चीतों की वजह से टूरिज्म भी तेजी से बढ़ेगा। इससे अनेकों प्रकार की आर्थिक गतिविधियां होटल, होमस्टे, रिजॉर्ट को बढ़ावा मिलेगा। ट्राइबल्स के साथ रहने का आनंद अलग ही है। हम उनके बीच होमस्टे को बढ़ावा दे रहे हैं। प्रोजेक्ट चीता के तहत हम इन सब बातों पर काम कर रहे हैं। इससे पहले उन्होंने ट्वीट किया कि चीतों का आना एक ऐतिहासिक घटना है, सारा देश इसका साक्षी बन रहा है। पूरा मध्यप्रदेश प्रसन्नता और उत्साह के साथ चीतों का स्वागत कर रहा है। चारों ओर उत्सव का वातावरण है। सभी देशवासियों को इस अद्भुत और अनुपम क्षण के लिए बधाई! चीतों का पुनर्वास पर्यटन तथा रोजगार की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
एक महीना रखा जाएगा क्वारंटीन
कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से आठ चीते लाए गए थे। अब दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते आए हैं। इन 12 चीतों को फिलहाल एक महीने तक क्वारंटीन रखा जाएगा। इस दौरान उन्हें भैंसे का मांस खिलाया जाएगा। यह किसी भी जानवर का दुनिया का पहला इंटर-कॉन्टिनेंटल रीहैबिलिटेशन प्रोजेक्ट है। इस वजह से प्रोसीजर के तहत एक महीने तक चीतों पर नजर रखी जाती है, ताकि वह नए माहौल में रच-बस सके। नामीबिया से आए चीतों को एक-एक कर क्वारंटीन बाड़ों से बड़े बाड़ों में छोड़ा गया था।
दक्षिण अफ्रीकी टीम रखेगी चीतों पर नजर
दक्षिण अफ्रीका से आए 12 चीतों की निगरानी के लिए दक्षिण अफ्रीका से विशेषज्ञों की चार सदस्यीय टीम आई है। वह चीतों के कूनो के माहौल में पूरी तरह घुलने-मिलने तक यहीं पर रहेगी और निगरानी करेगी। उनकी डे-टू-डे रिपोर्ट बनाई जाएगी। प्रोजेक्ट चीता के तहत बने टास्क फोर्स के साथ मिलकर काम करेगी। सुरक्षा की दृष्टि से देखा जाए तो कूनो नेशनल पार्क में सीसीटीवी कैमरे से लेकर डॉग स्क्वॉड की टीम और रिटायर्ड सैनिको को भी तैनात किया गया है। चीतों को तेंदुओं और बाघों से सुरक्षित रखने के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं।
15 घंटे का सफर तय किया है चीतों ने
दक्षिण अफ्रीका से यह चीते 17 फरवरी की रात आठ बजे रवाना हुए थे। 15 घंटे का सफर तय कर एयरफोर्स का विशेष विमान सी-ग्लोबमास्टर ग्वालियर के पास हिंडन एयरबेस पहुंचा। वहां चीतों की प्राथमिक जांच की गई। वहां से हेलीकॉप्टर में चीतों को कूनो नेशनल पार्क लाया गया। यहां पर इन्हें क्वारंटीन बाड़ों में छोड़ा गया। प्रोजेक्ट चीता के तहत अगले आठ से दस साल सालाना 12 चीतों को देश में लाया जाएगा। हर पांच साल में प्रोजेक्ट की समीक्षा होगी।
52 साल पहले विलुप्त हुए थे चीते
भारत में 52 साल पहले चीते विलुप्त हो गए थे। इन्हें पुनर्स्थापित करने की योजना पर लंबे अरसे से काम चल रहा था। सितंबर में नामीबिया से आठ चीते आए थे। इनमें तीन मेल और पांच फीमेल चीते थे। इस बार दक्षिण अफ्रीका से जो 12 चीते आए हैं, उनमें सात मेल और पांच फीमेल हैं।