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Kondagaon News : खुला मां लिंगेश्वरी गुफा का द्वार श्रद्धालुओं की लगी लंबी कतार

फरसगांव । Kondagaon News कोंडागांव जिले के ब्लाक मुख्यालय फरसगांव से बड़ेडांेगर मार्ग पर स्थित ग्राम आलोर से तीन किमी दूर झांटीबन की पहाड़ियों के बीच विराजमान मां लिंगेश्वरी माता की गुफा का द्वार समिति के पुजारियों ने पूजा-अर्चना कर बुधवार को खोला।

इस गुफा मंदिर का पट खोलने के बाद दर्शन व मन्नात के लिए आए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं को गुफा के बाहर से माता के दर्शन कराया गया। मंदिर समिति, जिला प्रशासन, पुलिस की टीम मंदिर तक पहुंचने में श्रद्धालुओं की मदद कर रहे हैं।

दो वर्ष तक कोरोना के चलते भक्त माता के दर्शन नहीं कर पाए थे। जैसे कोरोना की स्थिति कम होने पर इस वर्ष मां लिंगेश्वरी गुफा मंदिर का द्वार खोला गया और श्रद्धालुओं को माता के दर्शन हो पाए। दो वर्ष तक श्रद्धालुओं ने माता के दर्शन का इंतजार किया और जब द्वार खुला तो श्रद्धालुओं की भीड़ लग गई, सुबह से लेकर देर रात तक श्रद्धालुओं ने बारी-बारी से माता का दर्शन कर मन्नात मांगी।

गुफा मंदिर के अंदर मिले बिल्ली के पैर के निशान

बता दें कि प्रति वर्ष भादो महिना की नवमी तिथि के बाद आने वाले प्रथम बुधवार को इस प्रसिद्ध लिंगाई माता गुफा का द्वार खुलता है। सेवा अर्जी के बाद उसके अंदर रेत में उभरे पदचिन्हों को देखकर पेनपुजारी द्वारा वर्ष भर की भविष्यवाणी की जाती है। समिति के सदस्यों ने कहा कि प्रत्येक वर्ष अलग-अलग जीव जंतुओं के पद चिन्ह गुफा के अंदर रेत में उभरे रहते हैं।

जैसे रेत पर यदि कमल फूल के निशान दिखाई दे तो धन संपत्ति वृद्धि, हाथी पांव के निशान दिखे तो परिपूर्ण धनधान्य, यदि घोड़े के खुर के निशान मिले तो युद्ध और कला, बिल्ली के पैर के निशान मिले तो भय, बाघ के पैर के निशान मिले तो जंगली जानवरों का आतंक और मुर्गी के पैर के निशान दिखाई दे तो अकाल का प्रतीक माना जाता है जिससे उस वर्ष क्षेत्र के भविष्य का आकलन किया जाता है। इस वर्ष बिल्ली के पैर के चिन्ह पाए गए जिसका मतलब समिति के द्वारा बताया गया कि इस वर्ष क्षेत्र में भय और वाद विवाद की स्थिति रहेगी।

संतान की कामना लेकर दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु

संतान की कामना को लेकर श्रद्धालु व दर्शनार्थी खीरा लेकर आते हैं। उसे ही माता को चढ़ाया जाता है, तत्पश्चात पुजारियों द्वारा उन्हें प्रसाद स्वरूप खीरे को नाखून से बराबर हिस्सों में फाड़कर दंपती उसे ग्रहण करते हैं। लोग संतान की कामना लेकर छग प्रदेश के साथ-साथ अलग अलग प्रांत से आते हैं, यहां पर कतारबद्ध होकर अपनी बारी का इंतजार करते है। पिछले दो वर्ष से कोरोना काल के चलते श्रद्धालुओं दर्शन को नहीं आ पाए। जिसके चलते इस वर्ष अधिक भीड़ लगी।

पटना बिहार, जैसलमेर राजस्थान से आए श्रद्धालुओं के पूर्ण हुए मन्नत

पटना बिहार निवासी विनय कुमार ने बताया कि शादी के 15 वर्ष के बाद भी उनकी कोई संतान नहीं थी जिसके लिए हम लोगांे ने सभी तीर्थ स्थल पर मन्नते मांगने गए व डाक्टरी इलाज करने के बाद भी संतान नहीं थी। जिसके बाद सोसल मीडिया के माध्यम से हमें जानकारी मिली तब 2019 में दर्शन करने पहुंचे और 2020 में पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। जैसलमेर राजस्थान से पहुंचे महेश जैन ने बताया कि इंटरनेट मीडिया के माध्यम से मंदिर के बारे में जानकारी मिली और कोरोना काल के चलते मैं मंदिर तक नहीं पहुंच पाया मैं घर से ही माता के फोटो से दर्शन कर मन्नात मांगी थी जो पूर्ण हुआ और मैं आज अपने पत्नी बच्चे के साथ माता के दर्शन करने आया हूं।

श्रद्धालुओं के लिए किया गया भंडारे का आयोजन

हर वर्ष की भाती इस वर्ष भी कांग्रेस कमेटी प्रशासनिक महामंत्री रवि घोष ने विशाल रूप में भंडारे का आयोजन किया और श्रद्धालुओं, दर्शनार्थियों को खिचड़ी का प्रसाद के रूप में वितरण किया गया।

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