Jhunjhunu Bhagwan Das Khetan Hospital Controversy | Alive Man Postmortem: झुंझुनूं में श्मशान घाट में चिता पर लेटा व्यक्ति जिंदा हो गया। हालांकि, 12 घंटे बाद जयपुर में उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। वहीं, जिला कलेक्टर ने जीवित युवक को मृत घोषित कर शवगृह और फिर श्मशान घाट भेजने वाले तीन डॉक्टरों को निलंबित कर दिया है।
दरअसल, झुंझुनूं जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल भगवान दास खेतान (बीडीके) में गुरुवार दोपहर एक मूक-बधिर युवक को उपचार के लिए लाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने चंद मिनटों में ही उसे मृत घोषित कर दिया।
इसके बाद युवक को दो घंटे तक शवगृह के डीप फ्रीजर में रखा गया। शाम करीब पांच बजे जब उसका अंतिम संस्कार किया जा रहा था, तो अचानक उसके शरीर में हरकत हुई और उसकी सांसें चलने लगीं। इसके बाद उसे पहले बीडीके और बाद में जयपुर के एसएमएस अस्पताल ले जाया गया।
तबीयत बिगड़ने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया
जानकारी के अनुसार झुंझुनूं जिले के बगड़ में मां सेवा संस्थान के आश्रय गृह में रहने वाले रोहिताश (25) की गुरुवार दोपहर तबीयत खराब हो गई। रोहिताश अनाथ था।
वह काफी समय से यहां रह रहा था। उसे बीडीके अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में भर्ती कराया गया। अस्पताल के डॉक्टरों ने गुरुवार दोपहर 2 बजे उसे मृत घोषित कर दिया।
इसके बाद उसके शव को मोर्चरी में रखवाया गया। इसके बाद पुलिस को बुलाकर पंचनामा बनाया गया और शव को एंबुलेंस की मदद से श्मशान घाट पहुंचाया गया।
जब रोहिताश के शव को चिता पर रखा गया तो उसकी सांसें चलने लगीं और शरीर में हरकत होने लगी। यह देखकर वहां मौजूद सभी लोग घबरा गए। इसके बाद तुरंत एंबुलेंस बुलाई गई और रोहिताश को अस्पताल ले जाया गया।
एक ने मृत घोषित किया, दूसरे ने पोस्टमार्टम किया
सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि रोहिताश का पोस्टमार्टम राजकीय भगवान दास खेतान अस्पताल में हुआ या नहीं। अगर पोस्टमार्टम हुआ तो वह जिंदा कैसे हो गया?
अगर पोस्टमार्टम नहीं हुआ तो रिपोर्ट कैसे तैयार हुई? मेडिकल ज्यूरिस्ट डॉ. नवनीत ने बीडीके अस्पताल में जिंदा व्यक्ति की पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार की थी।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट नंबर 223 के पहले पेज पर मौत 1.50 मिनट पर होना बताया गया है। आखिरी कॉलम में मेडिकल ऑफिसर की टिप्पणी में डॉक्टर की राय लिखी है।
इसमें बताया गया है कि मौत फेफड़ों की खराबी और सीओपीडी या टीबी की बीमारी के कारण हुई है। रिपोर्ट पर डॉ. नवनीत के हस्ताक्षर हैं और उसके नीचे मेडिकल ज्यूरिस्ट की मुहर भी लगी है।
पहचानें लापरवाह डॉक्टर्स को….
डॉ. योगेश कुमार जाखड़: डॉक्टर जाखड़ ने इमरजेंसी में सबसे पहले मरीज को देखा था। इन्होंने ही मृत घोषित किया। डॉ. योगेश कुमार जाखड़ चिकित्सा अधिकारी (मेडिसिन), सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, मन्ड्रेला में पोस्टिंग है। लेकिन वर्तमान में बीडीके अस्पताल, झुंझुनूं में प्रतिनियुक्ति पर है।
डॉ. नवनीत मील: चिकित्सा अधिकारी डॉ. मील ने ने ही जिंदा मरीज के पोस्टमार्टम की खानापूर्ति पूरी की। इसमें सामने आया कि बगड़ पुलिस की तहरीर पर डॉ. मील ने पोस्टमार्टम किया और उसके बाद रोहिताश को समिति के सदस्यों को मृत बताकर सुपुर्द किया गया।
डॉ. संदीप पचार: ये BDK हॉस्पिटल के PMO और चर्म रोग विशेषज्ञ हैं। इन्होंने देर रात तक मामले को दबाकर रखा। किसी सीनियर अधिकारी को जानकारी भी नहीं दी। कलेक्टर ने कहा इतना बड़ा घटनाक्रम हुआ, पीएमओ ने कोई जानकारी नहीं दी। उन्हें सबसे पहले एसपी ने बताया। इसके बाद पीएमओ से पूछा तब उसने बताया।
रात को कमेटी गठित, रात को ही डॉक्टर्स पर एक्शन
जिला कलेक्टर रामअवतार मीणा ने बताया कि देर रात ही जिला कलेक्टर ने जिंद युवक को मृत बताने वाले डॉ योगेश जाखड़, डॉ नवनीत मील और पीएमओ डॉ संदीप पचार को सस्पेंड कर दिया।
निलंबन के दौरान संदीप पचार को मुख्यालय जैसलमेर सीएमएचओ रहेगा। वहीं, डॉ योगेश जाखड़ का मुख्यालय सीएमएचओ बाड़मेर व डॉ नवनीत मील का मुख्यालय सीएचएचओ जालोर रहेगा।
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