
आदिवासी लोककला अकादमी रायपुर और छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ की ओर से छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के रतनपुर में जारी 20 दिवसीय आवासीय नाचा-गम्मत कार्यशाला का समापन हुआ। 20 जनवरी से हो रही कार्यशाला में छत्तीसगढ़ के युवाओं ने नाचा विधा में निखार लाने अपनी कला का प्रदर्शन किया। इसमें नाचा के प्रख्यात गुरु और संगीत नाटक अकादमी सम्मान से सम्मानित काशीराम साहू के निर्देशन में 25 युवाओं को नाचा की विभिन्न विधाओं में गहन प्रशिक्षण दिया गया।
सामाजिक संदेश देने नाचा को बेहतर माध्यम बनाएं: नवल शुक्ल
इस मौके पर आदिवासी लोककला अकादमी के अध्यक्ष नवल शुक्ल ने अपने उद्बोधन में उम्मीद जताई कि यहां से सीखकर जाने वाले कलाकार और बेहतर ढंग से नाचा का मंचन करेंगे। सामाजिक संदेश देने नाचा को बेहतर माध्यम बनाएंगे।
20 दिन में सीखा नाटक की बारिकयां
यहां पर नवोदित कलाकारों को प्रशिक्षण दे रहे नाचा गुरु काशीराम साहू ने बताया कि पूरे 20 दिन हम सबने एक दूसरे से सीखने की कोशिश की। युवाओं में बहुत से ऐसे प्रतिभागी थे, जो पहली बार नाचा के तौर-तरीकों से परिचित हुए, लेकिन सभी ने बेहत अंदाज और गंभीरता से इसे सीखा। उन्होंने उम्मीद जताई कि आगे नाचा विधा को नई ऊंचाई देने में इन युवा कलाकारों का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।
नाचा गुरु काशीराम साहू के मार्गदर्शन में ‘सच पर लबर झबर के चलवा चलती’, ‘लेड़गा’,’सियान के सिखौना’ और ‘कंजूस बनिया’ प्रहसन तैयार किए गए थे। इनमें से ‘सच पर लबर झबर के चलवा चलती’ का समापन हुआ।
दिया सामाजिक संदेश
यह नाटक मूल रूप से समाज में झूठ के बढ़ते चलन पर प्रहार करते हुए सामाजिक संदेश पर आधारित था। दर्शक इस प्रहसन पर हंस-हंस कर लोटपोट हो गए। कार्यशाला में शामिल सभी कलाकारों ने इस अवसर पर दर्शकों और आदिवासी लोककला अकादमी रायपुर का आभार जताया।