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17 बच्चों के जिंदा जलने की खौफनाक कहानी: BJP नेता की कंपनी ने वायरिंग में कराया घटिया तार का इस्तेमाल, जानिए कैसे कब्रगाह बना मेडिकल कॉलेज ?

Jhansi Hospital Fire Tragedy; Medical College Employee Ward Boy | BJP: 15 नवंबर की रात झांसी मेडिकल कॉलेज में 10 नवजात जिंदा जल गए थे। बाद में 7 और बच्चों की मौत हो गई। अब अफसर इस लापरवाही को हादसा बताने में जुटे हैं।

Jhansi Hospital Fire Tragedy; Medical College Employee Ward Boy | BJP: डॉक्टर और कर्मचारियों से हिडन कैमरे पर बात की। उनके मुताबिक यह हादसा नहीं, बल्कि सरकारी सिस्टम ने मासूम बच्चों की जान ले ली है।

बताया जा रहा है कि जिस भाजपा नेता की कंपनी इलेक्ट्रीशियन सप्लाई करने की जिम्मेदारी है, वह सफाई कर्मचारियों और वार्ड बॉय से इलेक्ट्रीशियन का काम करवा रहा है। कमीशन कमाने के चक्कर में घटिया क्वालिटी की वायरिंग करवाई गई। करीब 2 महीने पहले भी यहां स्पार्किंग हुई थी, जिसे वार्ड बॉय ने ठीक किया था।

Jhansi Hospital Fire Tragedy; Medical College Employee Ward Boy | BJP: 6 महीने पहले हुए ऑडिट में भी वायरिंग में घटिया मटीरियल के इस्तेमाल पर सवाल उठे थे, लेकिन उसे ठीक नहीं किया गया। नतीजा… शॉर्ट सर्किट हुआ और 17 मासूम बच्चों की मौत हो गई।

हिडन कैमरे में वार्ड बॉय ने क्या कहा?

हमने हिडन कैमरे पर इलेक्ट्रीशियन कमलेश कुमार से बात की। हादसे की रात वह स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में ड्यूटी पर था। कमलेश वार्ड बॉय है और आउटसोर्स कर्मचारी है।

उसने कहा- मुझे रोज वार्ड में जाने की जरूरत नहीं है। जब शिकायत मिलती है, तभी जाता हूं। डेढ़ महीने पहले शिकायत मिली थी कि सॉकेट ढीला है और स्पार्किंग हो रही है। हमने उसे ठीक कर दिया था।

बाजपेयी ट्रेडर्स के पास है ठेका

कमलेश ने बताया, 2015 में मैनपावर कंपनी ‘बाजपेयी ट्रेडर्स’ के जरिए वार्ड बॉय के पद पर उसकी भर्ती हुई थी। धीरे-धीरे उसे जेनरेटर पर लगा दिया गया। उसने बिजली का काम सीखा। इसके बाद उसे एसएनसीयू में इलेक्ट्रीशियन बना दिया गया।

पदनाम के आगे इलेक्ट्रीशियन लिखा

जब कमलेश से पूछा गया कि क्या उसने कहीं से इलेक्ट्रीशियन की ट्रेनिंग ली है या कोई डिग्री? कमलेश ने बताया कि वह 8वीं पास है। कमलेश ने हमें आई-कार्ड भी दिखाया, जिस पर बाजपेयी ट्रेडर्स लिखा था और नीचे उसका नाम था। पदनाम के आगे इलेक्ट्रीशियन लिखा था।

Jhansi Hospital Fire Tragedy; Medical College Employee Ward Boy | BJP: उसे नहीं पता कि वह किस सुपरवाइजर के अधीन काम करता है। न ही उसे यह पता है कि बाजपेयी ट्रेडर्स में कौन-कौन लोग हैं। वह सिर्फ इंजीनियर संजीत कुमार को जानता है।

कैंपस में भाजपा नेता की 5 कंपनियां काम कर रही हैं

झांसी मेडिकल कॉलेज में आउटसोर्स मैनपावर सप्लाई करने का काम बाजपेयी ट्रेडर्स और ऑल सर्विसेज ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड कर रही है। ऑल सर्विसेज ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड मुंबई की कंपनी है।

दूसरी ओर, बाजपेयी ट्रेडर्स 10 साल से ज्यादा समय से मेडिकल कॉलेज में काम कर रही है। यह कंपनी झांसी में रहने वाले भाजपा नेता सुभाष बाजपेयी की है। इस कंपनी के दूसरे पार्टनर राजेश उपाध्याय भी झांसी के एक बड़े भाजपा नेता के करीबी हैं।

सुभाष बाजपेयी और उनके दूसरे पार्टनर राजेश उपाध्याय के नाम बाजपेयी ट्रेडर्स के अलावा चार और कंपनियां हैं। जो झांसी मेडिकल कॉलेज कैंपस में अलग-अलग काम कर रही हैं।

सुमन मेडी स्टोर्स प्राइवेट लिमिटेड और मां पीतांबरा फार्मेसी दवाइयों की सप्लाई करती हैं और मरीजों को दवा भी बेचती हैं। ओम भद्रकाली डायग्नोस्टिक एंड रिसर्च सेंटर मरीजों का एक्स-रे, सोनोग्राफी और एमआरआई करता है।

Jhansi Hospital Fire Tragedy; Medical College Employee Ward Boy | BJP: झांसी मेडिकल कैंपस में ही एक और कंपनी बाजपेयी ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड भी है। दोनों पार्टनर के झांसी से लेकर लखनऊ तक कई बड़े नेताओं से संबंध हैं।

यही वजह है कि इस कंपनी का गठजोड़ कई सालों से झांसी मेडिकल कॉलेज में फैला हुआ है। सत्ता का इस्तेमाल कर और अफसरों से मिलीभगत कर ये कई सालों से झांसी मेडिकल कॉलेज के सारे ठेके हासिल करने में सफल रहे हैं।

ऑडिट रिपोर्ट में थीं गड़बड़ियां, फिर भी नहीं हुआ सुधार

जिस एसएनसीयू में बच्चे जले थे, उसका जून में इलेक्ट्रिकल सेफ्टी डिपार्टमेंट ने ऑडिट किया था। इसमें कई जगह एल्युमिनियम के तार मिले थे, जो प्रतिबंधित हैं। कुछ जगहों पर कॉपर के तारों का इंसुलेशन भी कमजोर मिला था। फिर भी उसे ठीक नहीं किया गया।

Jhansi Hospital Fire Tragedy; Medical College Employee Ward Boy | BJP: मेडिकल कॉलेज के बिजली विभाग में काम करने वाले एक कर्मचारी से हमारी मुलाकात हुई। उसने नाम न छापने की शर्त पर चौंकाने वाली जानकारी दी। इस कर्मचारी की रिकॉर्डिंग हमारे पास है।

वार्ड में बिजली व्यवस्था में खामियां

गौरतलब है कि प्रिंसिपल, इलेक्ट्रीशियन और कर्मचारी के बयानों से साफ है कि बच्चों के वार्ड में बिजली व्यवस्था में खामियां थीं। इसे पहले ही ठीक कर लिया जाना चाहिए था, लेकिन देरी के कारण 17 नवजात शिशुओं की मौत हो गई।

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