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छत्तीसगढ़ के पहले एथेनॉल प्लांट का विरोध: सड़क पर उतरी JCCJ, दावा- शराब बनाएंगे, भर्ती में भी फायदा नहीं

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छत्तीसगढ़ के पहले एथेनॉल प्लांट के शुरू होने से पहले ही विरोध होने लगा है। उसके खिलाफ सोमवार को छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (JCCJ) कबीरधाम में सड़क पर उतर आई। कार्यकर्ताओं ने रैली निकालकर कलेक्ट्रेट का घेराव किया। पार्टी का दावा है कि प्लांट में एथेनॉल नहीं, बल्कि शराब बनाई जाएगी। वहीं स्थानीय युवाओं को भी भर्ती मे कोई फायदा नहीं मिलेगा। कार्यकर्ताओं ने एक ज्ञापन भी कलेक्टर को सौंपा है। प्रदेश का पहला एथेनॉल प्लांट कबीरधाम शहर से करीब आठ किमी दूर ग्राम राम्हेपुर स्थित भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाने के पीछे बनकर तैयार हो गया है। 

छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस की ओर से सोमवार को शहर के भारत माता चौक पर सभा का आयोजन किया गया था। इस दौरान पार्टी अध्यक्ष अमित जोगी ने दावा किया कि, एथेनॉल प्लांट में शराब बनाने की तैयारी है। इसके अलावा यहां बेरोजगारों को नौकरी दिए जाने का दावा किया गया था, लेकिन कंपनी की ओर से जारी विज्ञापन में अनुभव की प्राथमिकता देकर स्थानीय युवाओं को दूर किया जा रहा है। अमित जोगी ने कहा कि, इस प्लांट में इतना पानी इस्तेमाल किया जाएगा कि आसपास के खेत तक बंजर हो जाएंगे। आरोप लगाया कि सरकार अपने करीबी दोस्तों के लिए दारू बनाने की फैक्ट्री खुलवा रही है। 

अजीत जोगी छात्र संगठन के प्रदेश अध्यक्ष रवि चंद्रवंशी ने कहा कि, 2018 में शराब बंदी का वादा करने वाली कांग्रेस सरकार हमारे जिले में भोरमदेव एथेनॉल प्लांट के नाम पर अघोषित रूप से शराब बनाने का काम करने वाली है। जिस तरह से हमारी 100 एकड़ जमीन को पानी के मोल पर मात्र 5.27 करोड़ रुपये में सालाना की दर से 30 साल के लिए दिया गया है। उससे पता चलता है कि छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी शराब बनाने वाली वनशीड ग्रुप केसीडीएल (छत्तीसगढ़ डिस्टिलरीज लिमिटेड ) के सहायक उपक्रम एनकेजे बायो फ्यूल में आने वाले दिनों में एथेनॉल की जगह शराब ही बनाई जाएगी। 

ड्राइवर पोस्ट के लिए ग्रेजुएट और 5 साल का अनुभव

जोगी कांग्रेस के जिला अध्यक्ष सुनील केसरवानी ने बताया कि 2020 में भूपेश बघेल द्वारा कंपनी ने एमओयू करते समय कहा गया था कि इससे लोगों को रोजगार मिलेगा। पिछले दिनों प्लांट में कार्य करने के लिए 115  लोगों के लिए रिक्तियां निकाली गईं, लेकिन उसमें  से 20 साल तक कार्य करने के अनुभव मांगा गया। उससे प्रतीत होता है कि कवर्धा में एथेनॉल की फैक्ट्री नहीं, बल्कि शराब फैक्ट्री खुल रही है। स्थानीय लोगों को रोजगार के नाम पर सिर्फ जंग घिसने या मजदूरी कराने की तैयारी है। ड्राइवर पोस्ट के लिए भी ग्रेजुएट और 5 साल का अनुभव मांगा गया है, जो कि स्थानीय लोगों के साथ धोखा है। 

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