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High Court: बाघों की मौत मामले में हाई कोर्ट के सख्त निर्देश, कहा- तत्कालीन अधिकारी के खिलाफ जांच की जाए

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मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने टाइगर रिजर्व के पर्यटन की सीमा को निर्धारित किए जाने और बाघों की मौत को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को सरकार की तरफ से बताया गया कि निर्धारित गाइड लाइन के परिपालन के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। हाई कोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव फॉरेस्ट को तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ जांच के निर्देश दिए हैं।

भोपाल निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि पेंच टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत को लेकर नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी ने एक रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट में बाघों के अलावा अन्य जानवरों की हो रही मौतों के लिए बफर जोन में टाइगर सफारी के नाम पर की जा रही फेन्सिंग को जिम्मेदार में ठहराया गया था। कमेटी ने तत्काल इस फेन्सिंग को हटाए जाने की सिफारिश की थी। याचिकाकर्ता ने सूचना के अधिकार के तहत रिपोर्ट की प्रति ली और इसके बाद दिए गए आवेदनों के बाद भी कोई कार्रवाई न होने पर यह याचिका दायर की गई है।

असफलता छिपाने के लिए गोलमोज जवाब…
बढ़ते पर्यटन और अन्य कारणों से बाघों की मौत होने संबंधी जवाब पर याचिकाकर्ता की तरफ से रिज्वाइंडर पेश कर कहा गया कि प्रबंधन अपनी असफलता छिपाने के लिए गोलमोज जवाब दे रहा है। जबकि पर्यटकों के कारण ही बाघों की मौत का पता चलता है। याचिका में निर्धारित गाइड लाइन के परिपालन और प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर ऑफ फारेस्ट, एबी श्रीवास्तव तत्कानील प्रमुख सचिव फॉरेस्ट, विनय वर्मन तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी एमपी ईको ट्यूरिजम बोर्ड के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।

युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी की गाइड लाइन के परिपालन संबंधित आदेश जारी कर दिए गए हैं। युगलपीठ ने अतिरिक्त मुख्य सचिव फॉरेस्ट को तत्कानील अधिकारी के खिलाफ जांच के निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी की।

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मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने टाइगर रिजर्व के पर्यटन की सीमा को निर्धारित किए जाने और बाघों की मौत को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को सरकार की तरफ से बताया गया कि निर्धारित गाइड लाइन के परिपालन के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। हाई कोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव फॉरेस्ट को तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ जांच के निर्देश दिए हैं।

भोपाल निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि पेंच टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत को लेकर नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी ने एक रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट में बाघों के अलावा अन्य जानवरों की हो रही मौतों के लिए बफर जोन में टाइगर सफारी के नाम पर की जा रही फेन्सिंग को जिम्मेदार में ठहराया गया था। कमेटी ने तत्काल इस फेन्सिंग को हटाए जाने की सिफारिश की थी। याचिकाकर्ता ने सूचना के अधिकार के तहत रिपोर्ट की प्रति ली और इसके बाद दिए गए आवेदनों के बाद भी कोई कार्रवाई न होने पर यह याचिका दायर की गई है।

असफलता छिपाने के लिए गोलमोज जवाब…

बढ़ते पर्यटन और अन्य कारणों से बाघों की मौत होने संबंधी जवाब पर याचिकाकर्ता की तरफ से रिज्वाइंडर पेश कर कहा गया कि प्रबंधन अपनी असफलता छिपाने के लिए गोलमोज जवाब दे रहा है। जबकि पर्यटकों के कारण ही बाघों की मौत का पता चलता है। याचिका में निर्धारित गाइड लाइन के परिपालन और प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर ऑफ फारेस्ट, एबी श्रीवास्तव तत्कानील प्रमुख सचिव फॉरेस्ट, विनय वर्मन तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी एमपी ईको ट्यूरिजम बोर्ड के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।

युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी की गाइड लाइन के परिपालन संबंधित आदेश जारी कर दिए गए हैं। युगलपीठ ने अतिरिक्त मुख्य सचिव फॉरेस्ट को तत्कानील अधिकारी के खिलाफ जांच के निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी की।

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