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Indore News: बुनियादी जरूरतों कोपूरा न कर सका इंदौर का पुराना मास्टर प्लान, अब नए की तैयारी शुरू

सरकार और प्रशासन के मुताबिक इंदौर शहर का मास्टर प्लान 2021 का समय पूरा हो गया है और अब नए मास्टर प्लान की तैयारी हो रही है। मगर इसके पहले बहुत जरूरी है कि जो मास्टर प्लान और उसकी अवधि पूरी हो गई है, उसका भी एनालिसिस किया जाए। यह देखा जाए कि इसके क्रियान्वयन में कितनी सफलता और कितनी असफलता मिली। इसके साथ इसके लिए जिम्मेदारी तय करने का भी समय है। तभी अगले 50 साल के लिए एक प्रभावी योजना या गाइडलाइन हम बना सकेंगे। 

इस विषय पर शहर के वरिष्ठ आर्किटेक्ट अतुल शेठ कहते हैं कि वर्तमान मास्टर प्लान 2021 में जो पूरा हुआ है, उसमें कई बातें हैं जो शहर के लिए अति आवश्यक मानी गई थी जिसमें शहर की सडक़ें, शहर के लिए पानी, ऊर्जा आदि क्षेत्रों में कई काम हुए हैं। प्रतिशत की दृष्टि से 50 प्रतिशत से  ज्यादा नंबर हम दे सकते हैं। मगर बसाहट, आवास, हरित क्षेत्र, यातायात, परिवहन, ड्रेनेज, बरसाती पानी की निकासी, खेलकूद के मैदान आदि कई क्षेत्र, आज भी चुनौती बने हुए हैं। नर्मदा का पानी शहर में तो आया, मगर घर तक नहीं पहुंचा। आज भी 45 प्रतिशत से ज्यादा आबादी, बगैर नर्मदा के पानी के है।

 

आज आवश्यकता है एक दृष्टि पत्र की जो शहर को आगामी 50 वर्षों के लिए दिशा दे सके उसके लिए आंकलन प्रस्तुत करता हो। जैसे हमारी आबादी कैसे और कितनी होगी? कैसी होगी जनसामान्य के लिए सारी नगरी सुविधा, कैसे कैसे और कब कब होना चाहिए? उसकी लागत कितनी कितनी, कब कब होगी? जनता की जेब को देखते हुए, उस पर अनुमानित भार, कब-कब कितना होना चाहिए? अधोसंरचना खर्च कब-कब कितना और कहां-कहां से कैसे कैसे आएगा? कौन लाएगा यह पैसा? इंदौर शहर के विकास के लिए आज कई विभाग कार्य कर रहे हैं। नगर निगम, इंदौर विकास प्राधिकरण, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट, जिला योजना समिति, जल संसाधन विभाग, राज्य विद्युत विभाग कमी कंपनी, पुलिस विभाग, आरटीओ आदि कई विभाग हंै। दुर्भाग्य यह है कि वर्तमान मास्टर प्लान में इन सबके लिए कोई जिम्मेदारी नहीं है। कौन क्या करेगा? कब तक करेगा? और उसका पैसा कहां से कैसे आएगा? एक अधिकारी तक तय नहीं है कि इस पूरे मास्टर प्लान को जो इसकी सफलता, असफलता के लिए जिम्मेदार हो।

वर्तमान मास्टर प्लान के अध्याय 7 में इस बारे में कई बातें हैं जो बहुत स्पष्ट हैं, मगर इस पूरे अध्याय को अनदेखा कर दिया गया। सारे अधिकारी, जनप्रतिनिधि और विशेषज्ञों ने भी नहीं देखा। इसी का परिणाम है कि मास्टर प्लान 2021 एक असफल मास्टर प्लान साबित हुआ। आज जरूरत है कि हमारी गलतियों से, अनुभव से, हमें सीखने की। मुझे लगता है कि शहर के जिम्मेदार अधिकारियों ने, जनप्रतिनिधियों ने और विशेषज्ञों ने बैठकर आकलन करते हुए एक दृष्टि पत्र बनाना चाहिए आगामी 50 वर्षों के लिए इसे शासन को सौंपना चाहिए। जिससे शासन को भी मास्टर प्लान बनाने में सहयोग हो सके, वही मास्टर प्लान बनाने वाले भी शहर की वास्तविक आवश्यकताओं से रूबरू हो सकंे और उससे मुंह मोड़ ना सके।

 

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