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संसद भवन का उद्घाटन: राष्ट्रपति के अपमान का विरोध, तेलीबांधा तालाब में जल सत्याग्रह, विनोद तिवारी बोले – राष्ट्रपति के अधिकारों का हनन शर्मनाक

रायपुर। नव निर्मित संसद भवन का लोकार्पण आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया है। जिस पर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खड़गे, राहुल गांधी, भूपेश बघेल एवं देश के अन्य वरिष्ठ नेताओं सहित 20 दलों ने संसद भवन का उद्घाटन महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के द्वारा ना कराये जाने पर विरोध स्वरूप कार्यक्रम का बहिष्कार किया है।

विनोद तिवारी ने बताया कि आज 11 बजे रायपुर स्थित मरीन ड्राइव तेलीबांधा तालाब नवनिर्मित संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों ना करवाने के विरोध स्वरूप जल सत्याग्रह किया जिसमे दर्जनों युवा घंटों तक पानी में खड़े रहे हाँथो में संदेश युक्त तख्तियाँ लिये हुए थे। साथ ही केन्द्र सरकार विरोधी नारे भी लगाये जा रहे थे।

विनोद तिवारी ने कहा कि मोदी सरकार सिर्फ चुनाव जीतने और वोट का लाभ लेने के लिए राष्ट्पति पद पर sc/st समुदाय का चयन किया है,नए संसद भवन की आधारशिला के समय भी उस समय के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को निमंत्रण नही दिया गया। अब नए संसद भवन का उद्धघाटन हो रहा है तो वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी को आमंत्रित नहीं किया जा रहा है। यह बहुत शर्म और दुख का विषय है। सद भारतीय गणतन्त्र का सर्वोच्च सदन है और राष्ट्रपति सर्वोच्च संवैधानिक पद होता है, इसलिए नवनिर्मित संसद भवन का उद्धघाटन महामहिम के हाथों करवाना चाहिए ऐसा न कर केंद्र में बैठी मोदी जी की सरकार का sc/st विरोधी चेहरा उजागर हुआ है। पूरे देश मे इस बात की मांग उठ रही है कि नए सांसद भवन का उद्धघाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी के हाथों ही होना चाहिए।

नरेंद्र मोदी जी की सरकार द्वारा संविधान की हत्या की जा रही है। राष्ट्रपति के अधिकारों का हनन किया जा रहा है सविधान पर विश्वास रखने वाले देश के 20 दलों द्वारा इस आयोजन का बहिष्कार किया गया है, भाजपा एक तरफ़ कहती हैं की देश को विश्व गुरु बनायेंगे दूसरी तरफ़ विश्व में ये संदेश जा रहा है आगे जब भी इतिहास पढ़ा जाएगा तो ये भी पढ़ा जायेगा की केंद्र में बैठी भाजपा की सरकार ने भारत के राष्ट्रपति के अधिकारों का हनन किया है।

तिवारी ने कहा की राष्ट्रपति, जो संवैधानिक प्रमुख होता है, शासन में सर्वव्यापी होता है। संविधान के तहत,भारत संघ की कार्यकारी शक्ति राष्ट्रपति के पास है। राष्ट्रपति सशस्त्र बलों के प्रमुख हैं और अनुच्छेद 53 बहुत स्पष्ट है कि मंत्री और अन्य सभी अधिकारी भारत के राष्ट्रपति के अधीन है। जिसमे पीएम भी शामिल है।

अनुच्छेद 299 के आधार पर प्रत्येक अनुबंध,जिस पर भारत सरकार हस्ताक्षर करती है, भारत के राष्ट्रपति के नाम पर होना चाहिए। इसलिए नए संसद भवन के निर्माण का हर अनुबंध राष्ट्रपति के नाम पर होना चाहिए।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दरकिनार कर सरकार ने राष्ट्रपति का अपमान किया है और भारत के संविधान की भावना का उल्लंघन किया है।

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