नव संवत्सर: सूर्य की पहली किरण को अर्घ्य देकर हिंदू नववर्ष का स्वागत, महाकाल को चढ़ा नीम का जल, ध्वजा बदली गई
इस दौरान महिलाओं द्वारा गुड़ी एवं ध्वज का पूजन भी किया गया। उसके बाद वही ध्वज भगवान महाकाल के शिखर पर लगाया गया। कार्यक्रम में संतों के वचन के साथ नीम एवं मिश्री का प्रसाद वितरण कर कार्यक्रम का समापन हुआ। इसी तरह नवसंवत 2080 की शुरुआत आज सुबह ज्योतिषाचार्य पंडित आनंद शंकर व्यास के आचार्यतव में शिप्रा नदी किनारे रामघाट पर ध्वजा पूजन और शंख बजाकर किया गया। सुबह सूर्य को अर्घ्य देकर उगते सूरज का पूजन कर विक्रम संवत के नए वर्ष की शुरुआत की गई। सुबह 6:30 मिनट पर शिप्रा नदी के रामघाट पर नववर्ष की शुरुआत पर बंगाली महिलाओं ने शंख बजाकर की। इस दौरान शहर के गणमान्य नागरिक व पुजारियों ने कलश का पूजन कर सूर्य को अर्घ्य दिया।
गुड़ी पड़वा पर महाकाल मंदिर में चढ़ा नया ध्वज
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 22 मार्च 2023 को गुड़ी पड़वा पर ध्वज चढ़ाया गया। इस दौरान पुजारियों ने कोटितीर्थ कुंड पर सूर्य को अर्घ्य देकर नवसंवत्सर का स्वागत किया। इसके बाद पंचांग का पूजन भी किया गया। पं. महेश पुजारी ने बताया पृथ्वी के नाभि केंद्र पर स्थित भगवान महाकाल के आंगन में हिंदू नववर्ष का स्वागत धर्म परंपरा के अनुसार किया गय। मंदिर के शिखर पर नया ध्वज लगाकर ब्रह्म मुहूर्त में पुजारी कोटितीर्थ कुंड के तट पर खड़े होकर सूर्य की पहली किरण को अर्घ्य दिया। इसके बाद मंदिर के नैवेद्य कक्ष में भगवान चंद्रमौलेश्वर और नए साल के पंचाग का पूजन हुआ। पं. महेश पुजारी ने बताया की महाकाल मंदिर में ग्वालियर के पंचांग अनुसार त्यौहार मनाए जाते हैं। इसी पंचांग का साल के पहले दिन पूजन होता है। उज्जयिनी के सम्राट विक्रमादित्य द्वारा स्थापित विक्रम संवत का यह 2080 वां वर्ष है।