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EC की नियुक्ति पर बने नए कानून की सुनवाई: केंद्र ने संविधान पीठ का फैसला पलटा था; 17 फरवरी को ज्ञानेश कुमार नए CEC बने

Hearing on the new law made on appointment of EC: चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बने कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा। इस मामले की सुनवाई 12 फरवरी को होनी थी, लेकिन उस दिन मामला सूचीबद्ध नहीं हो सका।

तब वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच के समक्ष मामला उठाया। उन्होंने कहा कि सीईसी राजीव कुमार 18 फरवरी को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। सरकार नए सीईसी की नियुक्ति कर सकती है, इसलिए कोर्ट को इस पर जल्द सुनवाई करनी चाहिए।

इस पर कोर्ट ने 19 फरवरी की तारीख देते हुए कहा कि इस बीच अगर कुछ होता है तो वह कोर्ट के फैसले के अधीन होगा, इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है। इधर 17 फरवरी को केंद्र सरकार ने ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया है।

2 मार्च 2023: सुप्रीम कोर्ट का फैसला- चयन पैनल में सीजेआई को शामिल करना जरूरी

सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक पैनल करेगा। इसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) शामिल होंगे।

यह समिति मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्त (ईसी) के नामों की सिफारिश करेगी। इसके बाद राष्ट्रपति उनकी नियुक्ति करेंगे। इससे पहले चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति केंद्र सरकार करती थी। कोर्ट ने यह भी कहा था कि जब तक संसद उनकी नियुक्ति पर कानून नहीं बना लेती, तब तक यह प्रक्रिया लागू रहेगी।

21 दिसंबर 2023: चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़ा नया विधेयक पारित हुआ

केंद्र सरकार सीईसी और ईसी की नियुक्ति, सेवा, शर्तों और कार्यकाल से जुड़ा नया विधेयक लेकर आई। इसके तहत चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यों वाले पैनल द्वारा की जाएगी।

इसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे। इस पैनल से सीजेआई को बाहर रखा गया था। 21 दिसंबर 2023 को शीतकालीन सत्र के दौरान दोनों सदनों में यह विधेयक पारित हो गया। विपक्ष ने नए कानून पर आपत्ति दर्ज कराई थी

इस कानून पर विपक्षी दलों ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश के खिलाफ विधेयक लाकर इसे कमजोर कर रही है। कांग्रेस कार्यकर्ता जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

याचिका में कहा गया है कि अधिनियम की धारा 7 और 8 स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांत का उल्लंघन करती है क्योंकि यह चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए स्वतंत्र तंत्र प्रदान नहीं करती है। इस विवाद के बीच केंद्र ने मार्च 2024 में ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया।

चुनाव आयोग में कितने आयुक्त हो सकते हैं

संविधान में इस बारे में कोई संख्या तय नहीं की गई है कि कितने चुनाव आयुक्त हो सकते हैं। संविधान का अनुच्छेद 324 (2) कहता है कि चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त शामिल हो सकते हैं। यह राष्ट्रपति पर निर्भर करता है कि उनकी संख्या कितनी होगी। आजादी के बाद देश में चुनाव आयोग में केवल मुख्य चुनाव आयुक्त ही थे।

16 अक्टूबर 1989 को प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने दो और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की। इससे चुनाव आयोग बहुसदस्यीय निकाय बन गया। ये नियुक्तियां 9वें आम चुनाव से पहले की गई थीं। उस समय कहा गया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त आरवीएस पेरी शास्त्री के पर कतरने के लिए ऐसा किया गया।

2 जनवरी 1990 को वीपी सिंह सरकार ने नियमों में संशोधन कर चुनाव आयोग को फिर से एक सदस्यीय निकाय बना दिया। 1 अक्टूबर 1993 को पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने अध्यादेश के ज़रिए दो और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को फिर से मंज़ूरी दी। तब से चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ दो चुनाव आयुक्त हैं।

सुप्रीम कोर्ट

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