
तारीख: 20 सितंबर
वक्त: सुबह 8 बजे
जगह: दुर्ग, कुम्हारी…छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 500 के नोटों से भरी 2 गाड़ियां निकलीं। दोनों गाड़ियों में 6 करोड़ 60 लाख रुपए बंडलों में लोड थे। डिलीवरी प्वाइंट गुजरात थी। हवाला सिंडिकेट ने हमेशा की तरह 1200 किलोमीटर का सीक्रेट कॉरिडोर बनाया।
रायपुर के कारोबारी की रकम बड़े बिजनेस हब से उठाई गई थी। प्रोफेशनल हवाला सिंडिकेट ने तीन लेयर के सीक्रेट-लॉकर में कैश छुपाया। लॉकर की डिजाइन इतनी जबरदस्त थी कि आसानी से पकड़ पाना मुश्किल था। रकम रायपुर से दुर्ग, भिलाई, नागपुर होते हुए गुजरात भेजी जा रही थी, लेकिन कुम्हारी में पकड़े गए।
सिंडिकेट ने टोल प्लाजा, ग्रामीण बाईपास और एस्कॉर्ट व्हीकल का इस्तेमाल कर पुलिस की नजरों से बचने की पूरी रणनीति बनाई। भरोसेमंद ड्राइवर और सदस्य रकम को सुरक्षित तरीके से डिलीवर करने वाले थे। बताया जा रहा कि सिंडिकेट के पीछे बड़े बिजनेस लॉबी का हाथ होने का शक है।
इस रिपोर्ट में विस्तार से पढ़िए कैसे रायपुर हवाला हब बन रहा, पैसा कहां से आया और कहा जा रहा था, इन पैसों को ले जाने वाला कौन था, किस तरह से पूरा सिंडिकेट काम करता रहा था, आखिर किसकी गाड़ी से गुजरात भेजी जा रही थी रकम ?

अब जानिए पूरी कहानी और कैसे चढ़े पुलिस के हत्थे ?
दरअसल, शनिवार सुबह करीब शंकर नगर से सुबह 7 बजे के करीब संदिग्ध गाड़ियां रायपुर बॉर्डर से दुर्ग में एंट्री ली। दुर्ग क्राइम ब्रांच और कुम्हारी पुलिस को पहले से पता था कि गाड़ियों में बड़ी तादाद में हवाला का पैसा आना वाला है। पुलिस अपने इनपुट के आधार पर गाड़ियों का इंतजार करने लगी।
आरोपी 2 गाड़ियों में NH-53 (पुराना NH-6) मार्ग से दुर्ग और भिलाई होते हुए नागपुर की ओर बढ़ रहे थे। नागपुर से सीधे गुजरात तक पहुंचना सिंडिकेट के लिए सबसे तेज और सेफ रूट माना जाता है। गाड़ियां जैसे ही कुम्हारी टोल प्लाजा पास पहुंची।

पुलिस ने गाड़ी अड़ाकर तस्करों की गाड़ी रोकी
इस दौरान पुलिस ने दोनों तरफ से गाड़ी अड़ाकर तस्करों की गाड़ी रोकी। गाड़ियों में सवार चार लोग उतरे। इनमें शक्ति सिंह, अल्पेश कुमार, ठाकुर महेश सिंह और वाघेला जुहरू भाई शामिल थे। शुरू में खुद को व्यापारी बता रहे थे। गाड़ियां जीपीएस से लैस थी। आरोपी खुद को कारोबारी बता रहे थे।
पुलिस ने गाड़ियों की तलाशी ली। हवाला कारोबारियों ने गाड़ियों को काटकर सीटों के नीचे सीक्रेट चेंबर बनाकर रखा था। यह प्रोफेशनल तरीके से डिजाइन किया गया था, ताकि सामान्य जांच में कैश का पता न चले। इन सीक्रेट चेंबर में 500 के नोटों की गड्डियां मिलीं। गाड़ी की तलाशी में 6 करोड़ 60 लाख रुपए मिले।

पुलिस को मंगानी पड़ी नोट गिनने की मशीन
कुम्हारी पुलिस ने चारों आरोपियों से कैश से संबंधित दस्तावेज मांगे, लेकिन आरोपी दस्तावेज नहीं दे पाए। पुलिस कैश को जब्त कर आयकर विभाग को सौंप दिया। आयकर विभाग भी जांच कर रहा है। वहीं पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया हैं। आरोपियों से पूछताछ की गई।
इस दौरान आरोपियों ने रायपुर के शंकर नगर इलाके से पैसा उठाने की बात बताई। पैसों को गुजरात लेकर जा रहे थे। हालांकि कैश किस कारोबारी के हैं, गुजरात में किस कारोबारी को देना था, या हवाला सिंडिकेट तक पहुंचाना था अभी क्लियर नहीं हुआ है।
बताया जा रहा है कि इतनी बड़ी रकम चुनावी माहौल या अन्य संदिग्ध गतिविधियों से जुड़ी हो सकती है। आरोपियों के सिंडिकेट में और कौन सदस्य हैं? इसकी डिटेल जानकारी पूछताछ के बाद सार्वजनिक करने की बात वरिष्ठ अधिकारियों ने कही है।

अब जानिए किसकी गाड़ी से नोटों की तस्करी ?
महाराष्ट्र पासिंग व्हीकल के अनुसार गाड़ी नंबर MH47BZ5957 के मालिक कल्पेश कुमार है, जिनके पिता का नाम बाबूलाल पटेल है। कल्पेश कुमार का वर्तमान और स्थायी पता एक ही है, जो कि नंबर 3, ग्राउंड फ्लोर, शुक्रा बिल्डिंग, मलाड (पूर्व), मुंबई, महाराष्ट्र- 400097 है।
इसके साथ ही, ज़ब्त वाहन का चेसिस नंबर MA1TJ2YJ2R6M60335 भी दर्ज है। हालांकि, यह जानकारी वाहन के रजिस्ट्रेशन रिकॉर्ड के अनुसार है। पुलिस कल्पेश की पहचान की जांच कर रही है, जिसने नोटों की डिलीवरी के लिए तस्करों को वाहन सौंपा था।

रायपुर में इसी पैटर्न पर पकड़ा जा चुका पैसा
12 मार्च 2025 को रायपुर के आमानाका इलाके में एक कार से 4.52 करोड़ रुपए मिले। ये पैसे किसके थे? इसका खुलासा फिलहाल पुलिस आज तक नहीं कर पाई है, लेकिन इसे हवाला कारोबार से जोड़कर जांच की जा रही थी।
इस केस में भी पुलिस ने चेंबर से पैसा बरामद किया था। इस पैसों को भी कार्रवाई के दौरान सदर बाजार-हलवाई लाइन के कारोबारियों का बताया गया था।


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