गिरीश जगत, छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में देवभोग जिले की 50 पंचायतों ने आचार संहिता के पहले फाइलों में काम पूरा दिखाकर महज 15 दिनों के भीतर 15वें वित्त से 2.43 करोड़ रुपए का भुगतान एजेंसियों को दिखा दिया। मूडागांव के ग्रामीणों ने जब शिकायत की तो अन्य पंचायतों की करतूतें उजागर हुईं।
Have you read the corruption files of Gariaband: देवभोग जिले की मूडागांव पंचायत के पंचों ने 15वें वित्त योजना व अन्य योजनाओं के काम में सरपंच सचिव पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुए कलेक्टर व सीईओ जिला पंचायत से शिकायत की है।
उप सरपंच भुवन मरकाम, पंच रायबती नागेश, भानो बाई, उपेंद्र समेत 100 से अधिक ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच सचिव ने पहले तो पंचायत में प्रस्ताव पारित किए बिना फर्जी तरीके से कार्ययोजना बना ली, फिर 18 बिलों की मदद से 9 से 26 दिसंबर के बीच फर्मों को 10 लाख से अधिक का भुगतान कर दिया।
गांव में नहीं दिखा उक्त कार्य
शिकायतकर्ताओं को लेकर हमारी टीम गांव पहुंची और जिस कार्य के लिए भुगतान हुआ था, उसे तलाशा। गांव में कूड़ेदान तो नहीं मिला, लेकिन कूड़े का ढेर लगा मिला। सफाई की जगह हैंडपंप गंदे मिले।
जिन दो हैंडपंपों की खुदाई के लिए डेढ़ लाख रुपये का भुगतान किया गया था, वे भी नहीं दिखे। ग्रामीणों ने बताया कि पांच साल में गांव के विकास के लिए इतनी तत्परता नहीं दिखाई गई, पांच दिन में विकास राशि बांट दी गई।
Have you read the corruption files of Gariaband: ग्रामीणों ने बताया कि मौजूदा सरपंच का पति फिर से सरपंच बनना चाहता है। इसलिए अनियमितता कर राशि हड़प ली गई और वोटरों को लुभाने में खर्च की जा रही है।
50 पंचायतों ने 2 करोड़ से अधिक की राशि निकाल ली
पूर्व में जारी निर्देशों के अनुसार मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 23 दिसंबर को होना था। उम्मीद थी कि 30 दिसंबर को ही आचार संहिता लग जाएगी। इसका फायदा उठाकर नियम विरुद्ध 15वें वित्त का खजाना खाली कर दिया गया।
Have you read the corruption files of Gariaband: जांच में पता चला कि 8 दिसंबर से 26 दिसंबर तक 50 पंचायतों ने 15वें वित्त योजना की 2 करोड़ 17 लाख 8150 रुपए की निकासी कर ली। इसके लिए कारोबारियों के बिलों का सहारा लिया गया।
Have you read the corruption files of Gariaband: मामले की जांच की जाए तो मुड़ागांव की तरह अन्य पंचायतों में भी अधिकांश काम फाइलों में ही नजर आएंगे। कार्यकाल 12 फरवरी 2025 को खत्म हो रहा है, ऐसे में मनमानी करने वालों को कार्रवाई का डर नहीं है। नियम विरुद्ध निकासी क्यों?
Have you read the corruption files of Gariaband: 15वें वित्त योजना की राशि का पूरा नियंत्रण पंचायत के हाथ में है। पूर्व में हो रही मनमानी को देखते हुए व्यय के कई सख्त प्रावधान किए गए हैं। जिसके तहत पंचायत में प्रस्ताव पारित कर पहले कार्ययोजना में काम का ब्योरा ऑनलाइन करना होता है। पंचों की जानकारी में काम शुरू होता है।
व्यय का मद भी तय है, जिसके तहत स्वच्छता, स्वास्थ्य जैसे मद तय किए गए हैं। कार्य से पहले 30 प्रतिशत राशि अग्रिम के रूप में खर्च करने का प्रावधान है। फिर 30 प्रतिशत प्रगति पर और अंत में कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र के बाद 40 प्रतिशत अंतिम भुगतान किया जाता है। लेकिन दिसंबर में किए गए भुगतान के तरीकों से पता चलता है कि इनका पालन नहीं किया गया है।
जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी
Have you read the corruption files of Gariaband: देवभोग जनपद सीईओ रवि कुमार सोनवानी ने मूडगांव मामले पर कहा कि मैं मंगलवार को खुद जाऊंगा। अन्य पंचायतों के भुगतान की जानकारी नहीं है। क्योंकि इस मद में खर्च करने का अधिकार पंचायत को है। लेकिन अगर नियमानुसार नहीं किया गया है तो जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
5 लाख से ज्यादा आहरण करने वाले पंचायत-
- ग्रा पं बाड़ीगांव 596888 रुपए
- ग्रा पं बरबहली 740324 रुपए
- ग्रा पं धौराकोट 615682 रुपए
- ग्रा पं डोहल 588800 रुपए
- ग्रा पं डूमरबहाल 1385590 रुपए
- ग्रा पं गंगाराजपुर 749900 रुपए
- ग्रा पं झाखरपारा 571100 रुपए
- ग्रा पं केटपदर 1058870 रुपए
- ग्रा पं करचिया 776492 रुपए
- ग्रा पं लाटापारा 517478 रुपए
- ग्रा पं मुड़ागांव 951580 रुपए
- ग्रा पं नवागुड़ 54300 रुपए
- ग्रा पंच निष्टीगुड़ 496020 रुपए
- ग्रा पं सुकलीभाटा 718930 रुपए
- ग्रा पंच सितलीजोर1065000 रुपए
- ग्रा पं उसरीपानी 746080 रुपए
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