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Navratri 2023: यहां गिरी थी देवी सती की कोहनी, सम्राट विक्रमादित्य भी करते थे मां हरसिद्धि की उपासना

उज्जैन का हरसिद्धि माता शक्तिपीठ मंदिर, माता सती के 51 शक्तिपीठों में 13वां शक्तिपीठ कहलाता है। कहा जाता है कि यहां माता सती के शरीर में से बाये हाथ की कोहनी के रूप मे 13वां टुकड़ा गिरा था। हरसिद्धि माता को मंगल-चाण्डिकी के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के पुजारी पंडित रामचंद्र गिरि ने बताया कि माता हरसिद्धि की साधना करने से सभी प्रकार की दिव्य सिद्धियां प्राप्त होती हैं। राजा विक्रमादित्य जो अपनी बुद्धि, पराक्रम और उदारता के लिए जाने जाते थे, वे इन्हीं देवी के उपासक थे। इसलिए उन्हें भी हर प्रकार की दिव्य सिद्धियां प्राप्त हो गईं थीं। बताया जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने 11 बार अपने शीश को काटकर मां के चरणों में समर्पित कर दिया था, लेकिन हर बार देवी मां उन्हें जीवित कर देती थीं। इस स्थान की इन्हीं मान्यताओं के आधार पर कुछ गुप्त साधक यहां विशेष रूप से नवरात्र में गुप्त साधनाएं करने आते हैं। इसके अतिरिक्त तंत्र साधकों के लिए भी यह स्थान विशेष महत्व रखता है। उज्जैन के आध्यात्मिक और पौराणिक इतिहास की कथाओं में इस बात का विशेष वर्णन भी मिलता है।



आकर्षण की केंद्र हैं दीप स्तंभ

माता के 51 शक्तिपीठों में यह एक ऐसा चमत्कारी शक्तिपीठ है जहां मान्यता है कि यहां स्तंभ पर दीपक लगाने से हर मन्नत पूरी होती है। इस मंदिर में दीप स्तंभों की स्थापना राजा विक्रमादित्य ने करवाई थी। यदि अनुमान लगाया जाए तो दीप स्तंभ दो  हजार साल से अधिक पुराने हैं। क्योंकि राजा विक्रमादित्य का इतिहास भी करीब दो हजार साल पुराना है। मंदिर में लोगों के आकर्षण का केंद्र यहां प्रांगण में मौजूद दो दीप स्तंभ हैं। यह स्तंभ लगभग 51 फीट ऊंचे हैं, दोनों दीप स्तंभों में लगभग 1 हजार 11 दीपक हैं। कहा जाता है कि इस स्तंभों पर दीप जलाना बहुत ही कठीन है।


नवरात्रि पर होते हैं विशेष आयोजन 

यह अद्भुत शक्तिपीठ मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में हरसिद्धि मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। वैसे तो हर समय ही यहां भक्तों की भीड़ रहती है। लेकिन नवरात्रि के समय और खासकर यहां चैत्र और अश्विन नवरात्रि के अवसर पर अनेक धार्मिक आयोजन होते हैं। रात्रि को आरती में एक उल्लास मय वातावरण होता है। इसलिए नवरात्रि के पर्व पर यहां खासा उत्साह देखने को मिलता है। यह मंदिर महाकाल मंदिर से कुछ ही दुरी पर स्थित हैं। रात के समय हरसिद्धि मंदिर के कपाट बंद होने के बाद गर्भगृह में विशेष पर्वों के अवसर पर विशेष पूजा की जाती है। श्रीसूक्त और वेदोक्त मंत्रों के साथ होने वाली इस पूजा का तांत्रिक महत्व बहुत ज्यादा है। भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए यहां विशेष तिथियों पर भी पूजन करवाया जाता है।


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