

कोरवा समुदाय के सरकारी कर्मचारी ने की आत्महत्या।
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कोरबा के विशेष जनजातियों के संरक्षण की जिम्मेदारी भारत सरकार ने ली है। राष्ट्रपति की दत्तक संतान का दर्जा भी इन्हें दिया गया है। पहाड़ी कोरवा समुदाय इसी का एक संवर्ग है, जिससे जुड़े एक सरकारी कर्मचारी ने फांसी लगाकर जान दे दी। इस घटना के पीछे शराब को कारण बताया जा रहा है। बालको नगर पुलिस ने मर्ग कायम करने के साथ कार्रवाई शुरू की है।
कोरबा जिले में पहाड़ी कोरवा, पंडो, धनुहार और बैगा जनजातियों को संरक्षित श्रेणी में रखा गया है। इनके हितों की चिंता करने के लिए सरकार कई स्तर पर कोशिश कर रही है। जिला स्तर पर आदिवासी विकास और परियोजना प्रशासन विभाग ऐसे मामलों में सीधे तौर पर नजर रखे हुए हैं। संरक्षित जनजातियों से जुड़ी योजनाएं इन्हीं विभागों की देखरेख में संचालित होती हैं ताकि उनके जीवन स्तर को ऊंचा उठाए जा सके। इन जातियों से जुड़े लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया जा रहा है और सरकारी नौकरी का लाभ भी दिया जाना जारी है।
पहले सरकारी सेवा में आए पहाड़ी कोरबा भरत लाल ने गलत प्रवृत्तियों के चलते खुदकुशी कर ली। बालको नगर के एक शैक्षिक संस्थान में उसे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नौकरी मिली थी। इसी परिसर में इसे फांसी के फंदे पर लटका पाया गया। लेमरु थाना के चिरईझुंझ के रहने वाले भरत की मौत की खबर होने पर परिजन कोरबा आये। भरत की पत्नी शुभामनी ने बताया कि उसे काफी समय से शराब की आदत थी।
मृतक की पत्नी शुभामनी ने बताया कि सरकारी स्कूल में कर्मचारी भर्ती में बड़ी बेटी के विवाह के लिए पांच लाख का लोन लिया था और चार लाख रुपये अदा हो चुके थे। मृतक पिछले 2 महीने से काम पर नहीं जा रहा था।
नियमों के अंतर्गत सरकार इस मामले में मृतक के एक आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति का लाभ प्रदान करेगी ताकि परिवार के सदस्यों का जीवन यापन बेहतर तरीके से चलता रहे। इन सबके बावजूद अहम सवाल कायम है कि आखिरकार जीवन स्तर की चिंता करने वाला वर्ग अपने आप को शराब के चंगुल से मुक्त क्यों नहीं कर पा रहा है
इस मामले में बालको थाना में पदस्थ एएसई ओम प्रकाश परिहार ने बताया कि घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और जांच कार्यवाही करते हुए शव का पंचनामा कार्यवाही करते हुए मृतक का परिजनों का बयान दर्ज किया गया आगे की जांच कार्रवाई की जा रही है।