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अमरकंटक में कैसे बनेगा ट्रेनिंग सेंटर ? मंत्रीजी बोले- कला–रेशम–हैंडलूम को नई रफ्तार, 2000 रोजगार मिलेंगे, सवाल- मां नर्मदा लोक, सैटेलाइट शहर कागजों पर कैसे रह गया ?

अमरकंटक—नर्मदा की गोद में बसा यह छोटा-सा पहाड़ी कस्बा अब सिर्फ तीर्थस्थल और पर्यटन का केंद्र नहीं रहने वाला। केंद्र सरकार ने यहां एक बड़े बदलाव की नींव रख दी है। केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने घोषणा की है कि अमरकंटक में एक पायलट प्रोजेक्ट ट्रेनिंग सेंटर स्थापित किया जाएगा, जो स्थानीय कला, रेशम उद्योग, हैंडलूम और हस्तशिल्प को एक नए उद्योग मॉडल में बदलेगा।

सरकार का दावा है कि यह सिर्फ एक ट्रेनिंग सेंटर नहीं— यह अमरकंटक में एक मिनी-इंडस्ट्रियल फैक्ट्री जैसी संरचना होगी, जो स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाएगी।

यह ट्रेनिंग सेंटर कैसे बनेगा? – पूरी प्रक्रिया

सरकार ने इस प्रोजेक्ट को दो संस्थाओं के संयुक्त प्रयास से तैयार करने की योजना बनाई है—

  • केंद्रीय सिल्क बोर्ड
  • आत्मा गवर्निंग बोर्ड

इन दोनों संस्थाएं मिलकर अमरकंटक में एक ऐसा केंद्र स्थापित करेंगी, जो रेशम उत्पादन से लेकर उससे बने तैयार उत्पादों तक पूरी वैल्यू चेन को कवर करेगा। इसका मतलब—
यहां ट्रेनिंग + प्रोडक्शन + मार्केटिंग—तीनों प्रक्रिया एक ही छत के नीचे होने लगेंगी।

केंद्र बनाने की संभावित संरचना

  1. रेशम कीट पालन (Silkworm Cultivation) यूनिट
  2. हैंडलूम एवं पावरलूम सेक्शन
  3. डिजाइन एवं क्राफ्टिंग लैब
  4. लकड़ी शिल्प (काष्ठकला) की यूनिट
  5. गोड़ी चित्रकला प्रशिक्षण एवं प्रोडक्शन सेक्शन
  6. पैकेजिंग और फिनिशिंग यूनिट
  7. ई-कॉमर्स एवं मार्केट लिंकिंग सेल
  8. उद्यमिता प्रशिक्षण कक्ष

सरल भाषा में—
अमरकंटक में एक छोटा मैन्युफैक्चरिंग प्लांट तैयार होगा, जिसमें स्थानीय लोग अपनी कला को उद्योग का रूप देंगे।


2 हजार लोगों का रोजगार कैसे बनेगा?

केंद्रीय मंत्री ने साफ कहा— यह केंद्र सीधे–अप्रत्यक्ष रूप से 2000 लोगों को रोजगार देगा।

रोजगार इस तरह मिलेगा—

प्रत्यक्ष रोजगार

  • रेशम की खेती करने वाले किसान
  • बुनकर (हैंडलूम–पावरलूम)
  • लकड़ी शिल्प कलाकार
  • गोड़ी चित्रकला कलाकार
  • मशीन ऑपरेटर
  • प्रशिक्षक (ट्रेनर्स)
  • पैकेजिंग कर्मचारी
  • ई-कॉमर्स ऑपरेटर

अप्रत्यक्ष रोजगार

  • परिवहन
  • कच्चे माल की सप्लाई
  • डिजाइनर
  • मार्केटिंग एजेंट
  • स्थानीय महिलाएं (घर-आधारित यूनिट्स)

यह मॉडल ठीक वैसा ही होगा जैसा असम, कर्नाटक और तमिलनाडु के सिल्क क्लस्टरों में चलता है।


अमरकंटक क्यों चुना गया?

अमरकंटक और पूरे पुष्पराजगढ़ क्षेत्र में

  • रेशम उत्पादन की पारंपरिक संभावना
  • गोड़ी चित्रकला की पहचान
  • काष्ठ शिल्प (Wood Craft)
  • आदिवासी कला की विविधता

मंत्री का कहना है— अमरकंटक के कलाकार को बाजार चाहिए, पहचान चाहिए और आय बढ़ाने का मजबूत आधार।
ट्रेनिंग सेंटर यही पुल बनेगा।


स्थानीय कला को कैसे मिलेगा नया बाजार?

इस केंद्र में तैयार होने वाले उत्पाद—

  • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म
  • हैंडलूम एक्सपो
  • ट्राइबल मार्केट
  • सरकारी एम्पोरियम
  • विदेशी बाजार (Export Promotion Board)

पर भेजे जाएंगे।

इससे कलाकार पहली बार “स्थानीय से राष्ट्रीय” मॉडल में प्रवेश करेंगे।


अमरकंटक में मुस्लिम आबादी पर बयान—विवाद भी बढ़ा

अपने प्रवास के दौरान मंत्री गिरिराज सिंह ने यह भी कहा कि
अमरकंटक में हाल के वर्षों में “बाहरी लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है”
और इसकी जांच की मांग की।

उन्होंने आरोप लगाया कि
कुछ राज्यों में “विदेशी घुसपैठियों” की समस्या है, जो
स्थानीय संसाधनों पर दबाव डालते हैं।

मंत्री ने प्रशासन से
बांग्लादेशी–रोहिंग्या की पहचान कर जांच करने को कहा।

यह बयान राजनीतिक गर्मी भी बढ़ा रहा है, लेकिन
स्थानीय स्तर पर लोग इस घोषणा के बाद
रोजगार और उद्योग के अवसरों पर ज्यादा बात कर रहे हैं।


एक उम्मीद—जो पहाड़ों के बीच से निकलेगी

अमरकंटक के कई गांवों में
कला है, हुनर है, पर बाज़ार नहीं।
यह ट्रेनिंग सेंटर
उन्हें पहचान देगा, सम्मान देगा और एक स्थायी आय देगा।

यह सिर्फ एक फैक्ट्री नहीं—यह अमरकंटक के जनजातीय युवाओं के भविष्य की फैक्ट्री है।

ये वादे आज भी अधूरे ?

अमरकंटक कॉरिडोर बनने की बात मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कही थी। उन्होंने अमरकंटक को आध्यात्मिक और पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना का जिक्र करते हुए यह घोषणा की थी, यह योजना 2018 में घोषित की गई थी, जिसके तहत अमरकंटक से संबंधित कई विकास कार्य किए जाने थे। 

  • शिवराज सिंह चौहान: उन्होंने यह बात अमरकंटक को एक महत्वपूर्ण पर्यटन और आध्यात्मिक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए कही थी।
  • विकास योजना: इस कॉरिडोर के तहत अमरकंटक में कई विकास कार्य किए जाने की योजना थी, जिसमें सड़कों, मंदिरों और अन्य पर्यटन स्थलों का विकास शामिल था।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देना और अमरकंटक के आध्यात्मिक महत्व को बढ़ाना था। 

अब तक नहीं बना मां नर्मदा लोक, सैटेलाइट शहर अमरकंटक

शिवराज सिंह चौहान दो दिवसीय प्रवास पर अनूपपुर आए थे। यहां उन्होंने अमरकंटक में मां नर्मदा कॉरिडोर बनाने की घोषणा की थी। उन्होंने बताया था कि मां नर्मदा लोक की कार्ययोजना बनाने का हमने फैसला किया है। यहां के पुजारी व विद्वानों से चर्चा कर मां नर्मदा महालोक के स्वरूप को अंतिम रूप प्रदान करेंगे।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि लाखों लोग मां नर्मदा की पूजा अर्चना करते हैं। उपलब्धता को देखते हुए एक दिव्य, भव्य मां नर्मदा लोक की स्थापना होगी। मां नर्मदा महालोक बनेगा तो लाखों लोग अमरकंटक आएंगे। अमरकंटक में जगह सीमित है, आज मैं आप सबके समर्थन से यह घोषणा करता हूं एक नया शहर सैटेलाइट शहर अमरकंटक को बनाया जाएगा। यह सेटेलाइट शहर नीचे बनेगा जो अमरकंटक का दर्शन कर नीचे होटल, खाने-पीने के सभी तरह की दुकानें रहेंगी।

काॅरिडोर के लिए 100 करोड़ करेंगे स्वीकृत

उन्होंने कहा कि है यह नए अमरकंटक होगा। मां नर्मदा की आशीर्वाद से। भारत विकास परिषद के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ भाजपा नेता मनोज द्विवेदी ने भी अमरकंटक को शक्ति लोक काॅरिडोर बनाने की मांग करते हुए पत्र लिखा था। चौहान ने अमरकंटक काॅरिडोर के लिए 100 करोड़ स्वीकृत करने की बात कही थी। उन्होंने अमरकंटक को पवित्र बनाए रखने के लिए उद्गम मन्दिर परिसर से दूर न्यू अमरकंटक सिटी बनाने की घोषणा की थी।

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