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‘जहां जाना है जाओ, हम मंत्री के आदमी हैं’: ठेकेदारों के रसूख के आगे बेबस गरियाबंद प्रशासन, 95 लाख की सड़क की खुद रही कब्र, पढ़िए VIP ठेकेदारी का टेरर !


गरियाबंद से गिरीश जगत रिपोर्ट

Gariyaband road scam Ignoring Kamar tribe schemes: छत्तीसगढ़ के आदिवासी जिले गरियाबंद में योजनाओं की तस्वीर जमीनी हकीकत से कोसों दूर है। सरकार की करोड़ों की योजनाएं कागजों में पूरी हो रही हैं, जबकि ज़मीन पर सिर्फ गड्ढे, कीचड़ और अधूरी ढलाई बची है। सबसे ताजा उदाहरण मैनपुर ब्लॉक के बुर्जाबहाल-कमार बस्ती मार्ग पर बनने वाली 95 लाख की पक्की सड़क और पुलिया है, जो 16 महीनों से अधूरी पड़ी है।

दबंग ठेकेदार, खामोश विभाग

Gariyaband road scam Ignoring Kamar tribe schemes: PM आदिवासी न्याय महाभियान के तहत स्वीकृत इस योजना को कुरूद के एक रसूखदार ठेकेदार “मैसर्स पवार कंस्ट्रक्शन” को सौंपा गया था। लेकिन ठेकेदार ने पुल की आधी ढलाई कर काम बंद कर दिया। न कोई मजदूर, न कोई मशीन, न कोई जवाबदेही। ग्रामीणों की बार-बार अपील पर ठेकेदार के मैनेजर का जवाब साफ था—“जहां जाना है जाओ, हम मंत्री के आदमी हैं”

बरसात में रास्ता नहीं, कीचड़ में फंसे लोग

Gariyaband road scam Ignoring Kamar tribe schemes: 300 से ज्यादा कमार आदिवासी परिवारों की इस बस्ती का जिला मुख्यालय से एकमात्र संपर्क यही सड़क है। ग्रामीण बाबूलाल और दिनेश सोरी बताते हैं कि पहले कच्चे रास्ते से किसी तरह आते-जाते थे, लेकिन अब अधूरी पुलिया और फैली हुई निर्माण सामग्री ने आवाजाही भी बंद कर दी है। बरसात में स्कूली बच्चों से लेकर बीमारों तक को अस्पताल ले जाना दूभर हो गया है।

संवेदनहीनता की पराकाष्ठा: रिपोर्ट तक नहीं आई

केंद्र सरकार की इस योजना के क्रियान्वयन में जिला प्रशासन की भूमिका भी कठघरे में है। एक माह पहले दिशा कमेटी की बैठक में खुद सांसद और विधायक ने इन योजनाओं में लापरवाही की बात उठाई थी। आदेश हुआ कि पीडब्ल्यूडी, PMGSY और RWD मिलकर एक जॉइंट कमेटी बनाएं और देरी के कारणों की जांच करें। लेकिन आज तक रिपोर्ट फाइल में ही दबी पड़ी है।

Pmgsy विभाग की चुप्पी सब पर भारी

Gariyaband road scam Ignoring Kamar tribe schemes: सड़क निर्माण कार्यपालन अभियंता अभिषेक पाटकर कहते हैं कि “नई तकनीक टेरा जॉइंट की मंजूरी दिल्ली भेजी गई है, इसलिए सड़क का काम रुका है।” लेकिन सवाल यह है कि पुल ढलाई क्यों नहीं हुई? क्यों बारिश के मौसम में पुलिया अधूरी छोड़ दी गई? कोई सीधा जवाब नहीं मिलता।


सुपेबेड़ा जल प्रदाय योजना में भी रसूखदार ठेकेदार का खेल

Gariyaband road scam Ignoring Kamar tribe schemes: ठेकेदारों की लापरवाही यहीं तक सीमित नहीं है। गरियाबंद जिले की बहुप्रतीक्षित सुपेबेड़ा जल प्रदाय योजना भी एक प्रभावशाली मंत्री समर्थित कंपनी के हाथों में है। हेड वर्क का काम कछुआ गति से चल रहा है, पर विभाग ने न केवल इसे रोका नहीं, बल्कि दो बार एक्सटेंशन दे दिया।

Gariyaband road scam Ignoring Kamar tribe schemes: अफसर जान रहे हैं, देख रहे हैं, फिर भी जुबान बंद है। ये वीआईपी ठेकेदार कल्चर अब जिले की योजनाओं को खा रहा है, और प्रशासन सिर्फ चुपचाप तमाशा देख रहा है।


जनता का सब्र अब जवाब दे रहा है

Gariyaband road scam Ignoring Kamar tribe schemes: कमार जनजाति के लोग जिनके नाम पर योजनाएं स्वीकृत होती हैं, अब खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। आदिवासी विकास, न्याय योजना और सामाजिक समावेशन सिर्फ घोषणाओं तक सीमित हैं। जमीनी हकीकत यह है कि ठेकेदारों की धमकी, अफसरों की चुप्पी और नेताओं के संरक्षण में गरियाबंद की योजनाएं बर्बाद हो रही हैं।


Gariyaband road scam Ignoring Kamar tribe schemes: यह रिपोर्ट उन जनजातीय परिवारों की आवाज है जो विकास के नाम पर छले जा रहे हैं। गरियाबंद कलेक्टर और संभागीय आयुक्त क्या इन सवालों का जवाब देंगे? क्या कोई ठेकेदार कानून से ऊपर है? अगर नहीं, तो अब कार्रवाई क्यों नहीं?

Q1: गरियाबंद की अधूरी सड़क योजना किस योजना के तहत स्वीकृत हुई थी?

A: बुर्जाबहाल से कमार बस्ती को जोड़ने वाली 1.35 किमी सड़क प्रधानमंत्री जनजातीय न्याय महाभियान के तहत 95.24 लाख रुपये की लागत से स्वीकृत हुई थी।

Q2: सड़क और पुल निर्माण में देरी की वजह क्या है?

A: ठेकेदार पवार कंस्ट्रक्शन ने पुल का काम अधूरा छोड़ दिया है और प्रशासनिक स्तर पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है। ठेकेदार पर राजनीतिक संरक्षण का आरोप भी है।

Q3: क्या इस योजना की मॉनिटरिंग के लिए कोई कमेटी बनी है?

A: हां, सांसद-विधायक की बैठक में तीन विभागों की संयुक्त कमेटी गठित की गई थी, लेकिन उसने अब तक कोई रिपोर्ट नहीं सौंपी है।

Q4: सुपेबेड़ा जलप्रदाय योजना में देरी का कारण क्या है?

A: यह योजना भी एक प्रभावशाली मंत्री समर्थित ठेका कंपनी को दी गई है, जिसे दो बार एक्सटेंशन मिल चुका है और कार्य बहुत धीमी गति से चल रहा है।

Q5: क्या प्रशासन इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्यवाही करेगा?

A: फिलहाल कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है। विभागीय अधिकारी भी राजनीतिक दबाव की बात दबी जुबान में स्वीकारते हैं, जिससे कार्यवाही की संभावना क्षीण है।

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