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गरियाबंद में खुला ‘घोटाले’ का पिटारा: बिना मरम्मत लूटा सरकारी खजाना, कागजों में 56 जगह टूटी नहरें, फर्जीवाड़े की परतें खोलने वाले SDO की छीनी पावर ?

गिरीश जगत की रिपोर्ट। गरियाबंद। छत्तीसगढ़

गरियाबंद के फिंगेश्वर सिंचाई अनुविभाग में नहरों की मरम्मत के नाम पर बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। किसान यादराम साहू ने RTI से दस्तावेज निकालकर खुलासा किया कि जिन नहरों को कागज़ों में 56 जगह क्षतिग्रस्त बताकर मरम्मत दिखाया गया, वे मौके पर बिल्कुल सही-सलामत हैं।

इतना ही नहीं, इन नहरों की मरम्मत के नाम पर कोरबा के ठेकेदारों को 4.46 लाख रुपये का भुगतान भी कर दिया गया। जबकि मजदूरों के मस्टररोल तक विभागीय रिकॉर्ड से गायब करा दिए गए हैं। किसानों का दावा है कि बीते वित्तीय वर्षों में सिर्फ फिंगेश्वर उपसंभाग में ही मरम्मत के नाम पर 1 करोड़ से ज्यादा का गबन किया गया है।

नहरों की मरम्मत का फर्जी खेल

यादराम साहू—जो पहले सिंचाई विभाग में टाइमकीपर थे और अब खेती करते हैं—ने बताया कि खरीफ सीजन में जब नहरों से पानी ही नहीं आया तो शक गहराया। किसानों के साथ दफ्तर का घेराव हुआ, लेकिन मरम्मत के लिए कोई नहीं आया। इस पर साहू ने RTI डाली और जब दस्तावेज मिले तो हैरान रह गए।

कागज़ों में भसेरा, पसौद, सीरीकला, रोबा समेत 10 से ज्यादा गांवों को पानी देने वाली 9 माइनर नहरों को 1600 मीटर तक क्षतिग्रस्त दिखाया गया। मरम्मत के लिए 4600 प्लास्टिक बोरे में रेत भरने, साइट की सफाई और अन्य सामग्रियों पर खर्च का दावा किया गया। लेकिन जब किसान मौके पर पहुंचे तो न तो कोई टूटा हिस्सा मिला और न ही मरम्मत में लगे बोरे।

दस्तावेजों में 9 माइनर नहरों को 56 जगहों से टूटा दिखाया

कृषक यादराम साहू ने आरटीआई के माध्यम से जानकारी हासिल की। जब उन्होंने अन्य किसानों और अनुविभागीय अधिकारियों के साथ मौके पर जांच की, तब इस बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। किसान द्वारा प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, फिंगेश्वर वितरक शाखा नहर और टेल एरिया की 9 माइनर नहरों को 56 स्थानों पर कुल 1600 मीटर से भी अधिक लंबाई में क्षतिग्रस्त दिखाया गया।

मरम्मत के नाम पर 4,600 प्लास्टिक बोरियों में रेत भरकर क्षतिग्रस्त स्थानों की मरम्मत का दावा किया गया। इसके साथ ही सफाई और अन्य सामग्रियों के इस्तेमाल का भी उल्लेख दर्ज किया गया है। इस कार्य के एवज में कोरबा के डी-श्रेणी ठेकेदार विजय कुमार सहिस और इंडियन इंफ्रा बिल्ड नामक फर्म को कुल 4.46 लाख रुपये का भुगतान किया गया।

पूरे काम को वित्तीय वर्ष 2025 समाप्त होने से ठीक एक माह पहले, यानी 20 से 25 फरवरी के बीच कराया जाना दिखाया गया है, लेकिन किसानों को मरम्मत कार्य में लगे मजदूरों का मस्टर रोल तक उपलब्ध नहीं कराया गया, जबकि दस्तावेज़ों में मजदूरी के नाम पर 2 लाख रुपये से अधिक का भुगतान दर्शाया गया है।

स्पष्ट है कि यह कार्य केवल कागज़ों में किया गया। इसलिए मजदूरों का मस्टर रोल तक गायब कर दिया गया।
विभाग की लापरवाही और रवैये को देखते हुए किसान यादराम साहू ने सत्यापित दस्तावेजों के साथ इस पूरे मामले की लिखित शिकायत एसपी से की है।

अधिकारियों पर पर्देदारी के आरोप

मामले में और भी बड़ा खुलासा तब हुआ जब पता चला कि मार्च के पहले मरम्मत बजट को खपाने के लिए राजिम के SDO को एक महीने का स्पेशल प्रभार दिया गया था। मौजूदा SDO वी. वी. मलैया ने खुद किसानों के साथ निरीक्षण कर मरम्मत कार्य को फर्जी बताया और डिविजन दफ्तर व एसपी को पत्राचार भी किया। लेकिन घोटाले की परतें खुलने लगीं तो विभाग ने मलैया को हटाने की कोशिश की। फिलहाल हाईकोर्ट से स्टे लेकर वे पद पर हैं, लेकिन उनका वित्तीय प्रभार छीन लिया गया है।

जानिए इस पर क्या बोले SDO ?
एसडीओ वी. वी. मलैया ने कहा“किसानों की मांग पर निरीक्षण किया गया। नहरों पर मरम्मत का कोई कार्य नहीं मिला। जितनी लंबाई को क्षतिग्रस्त बताया गया है, अगर उतना नुकसान होता तो नहरों का अस्तित्व ही खत्म हो जाता। हमने डिविजन कार्यालय से जांच के लिए मार्गदर्शन मांगा है, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है।”

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