
गिरीश जगत की रिपोर्ट | गरियाबंद। छत्तीसगढ़
“कुछ मौते चुपचाप नहीं होतीं… वे सवाल छोड़ जाती हैं — रिश्तों पर, समाज पर और इंसानियत पर…”
मौन गांव झरियाबाहरा की उस सुबह में सब कुछ सामान्य था—चूल्हों से धुआं उठ रहा था, खेतों में हल्की हरियाली पसरी थी… लेकिन तभी एक चीख फिजा में गूंज उठी। 29 वर्षीय उषाबाई यादव, तीन बच्चों की मां, का शव उसके ही घर की बाड़ी में पड़ा मिला। देखते ही देखते गांव में सन्नाटा पसर गया—और मैनपुर थाना पुलिस को खबर दी गई।
घटना का घटनास्थल पर पहली झलक
जब मैनपुर थाना प्रभारी शिवशंकर हुर्रा अपनी टीम के साथ झरियाबाहरा पहुंचे, तब तक गांव वाले शव के चारों ओर जमा हो चुके थे। उषाबाई का चेहरा क्षत-विक्षत नहीं था, पर उस पर चोट के साफ निशान थे। यह महज़ कोई “साधारण मौत” नहीं लग रही थी। पहली नज़र में यह मामला आत्महत्या और हत्या के बीच झूलता दिखाई दिया।
उषा की कहानी: प्यार, संघर्ष और तीन मासूम जिंदगी
उषाबाई का जीवन किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं रहा। उसने अमृत यादव से प्रेम विवाह किया था—जो कि इस क्षेत्र की सामाजिक संरचना में अब भी एक साहसिक कदम माना जाता है। उनके तीन बच्चे हैं—जिनकी आंखों में मां की मौत के बाद अब सिर्फ़ खामोशी बची है।
पति अमृत यादव घटना के वक्त रोज़ की तरह काम पर गया हुआ था। पुलिस को यह बयान उसने खुद दिया, लेकिन उसके चेहरे के हावभाव और तनाव अब सवालों के घेरे में हैं।
आत्महत्या या मर्डर ?
प्रारंभिक जांच में जिस बात ने पुलिस को चौंकाया, वह था चेहरे पर चोट के निशान। अगर यह आत्महत्या होती तो शरीर पर कोई संघर्ष का निशान नहीं होना चाहिए था। लेकिन चेहरे की चोटें कुछ और ही कहानी कहती हैं। अब पुलिस यह जांच कर रही है कि:
- क्या उषा की हत्या कर शव को आत्महत्या का रूप दिया गया?
- क्या घरेलू झगड़े ने इस त्रासदी को जन्म दिया?
- या फिर यह किसी पुराने पारिवारिक तनाव की अंतिम परिणति है?
गांव में चर्चाओं का बाजार गर्म
गांव में लोग बंटी हुई राय दे रहे हैं। कुछ का मानना है कि उषा मानसिक तनाव में थी, जबकि कुछ इसे पूर्व नियोजित हत्या बता रहे हैं। गांव के एक बुजुर्ग ने नाम न छापने की शर्त पर बताया: “बीते कुछ महीनों से उषा अक्सर अकेली दिखती थी, परेशान रहती थी… विवाद की भी चर्चा थी…”
पुलिस जांच की दिशा
फिलहाल, पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, जो पूरे मामले का रुख तय कर सकती है।
थाना प्रभारी शिवशंकर हुर्रा ने साफ किया कि,
“मामले की गहराई से विवेचना की जा रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पारिवारिक बैकग्राउंड की जानकारी के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।”
तीन मासूमों का सवाल: हमारी मां कहां गई?
उषा की मौत से सबसे बड़ा झटका उनके तीन मासूम बच्चों को लगा है—जिनके लिए ‘मां’ सिर्फ़ एक रिश्ता नहीं, पूरी दुनिया थी। वे कुछ नहीं समझ पा रहे, लेकिन उनकी आंखों में भय और अनिश्चितता का साया साफ दिखता है।
मौत की खामोशी में छुपे कई सवाल
उषा की मौत सिर्फ़ एक महिला की मृत्यु नहीं, बल्कि एक ऐसी कहानी है जिसमें प्यार, परिवार, समाज और सिस्टम — सब की परतें उलझी हुई हैं।
आख़िर क्यों एक महिला जो मां थी, पत्नी थी, बहू थी — उसे यूं बाड़ी में अकेले दम तोड़ना पड़ा?
क्या ये सिस्टम की विफलता थी?
या फिर समाज की उस रूढ़ि का खामियाजा, जहां आज भी एक प्रेम विवाह को पूरा सम्मान नहीं मिल पाता?अब ये समय है… जवाब खोजने का।

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