छत्तीसगढ़

गरियाबंद में सियासी करंट टू कुर्सी की रेस ? 2 किरदारों के बीच तीसरे की एंट्री से धड़कनें तेज, आदिवासी खेमे में गिर सकती है गेंद, जानिए पर्दे के पीछे की कहानी ?

गिरीश जगत, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद के बिजली दफ्तर के बाहर भीड़ थी, नारे थे, और कैमरों की चमक थी—मगर असली वोल्टेज मंच के पीछे, चीयर के बीच और फुसफुसाहट में नापा जा रहा था। कांग्रेस के दावेदार एक फ्रेम में थे, पर निगाहें अपनी-अपनी फौज गिन रही थीं; तालियां एक ही वक्त पर बज रही थीं, पर हर धड़कन अलग ताल पर चल रही थी। उसी बीच भवानी शंकर शुक्ल की एंट्री—जैसे खेल के आखिरी ओवर में नया गेंदबाज़—और मैच का लाइन-लेंथ ही बदल गया। शुक्ल परिवार की विरासत गरियाबंद की सियासत में सिर्फ नाम नहीं, स्मृति और निष्ठा का नेटवर्क है; यही वजह है कि पुराने कार्यकर्ताओं की आंखों में फिर चमक लौट आई, और बाकी दावेदारों के माथे पर हल्की सिलवटें भी। अब सवाल सिर्फ यह नहीं कि बिजली बिल कितना घटेगा; असली सवाल है कि किसकी करंट सबसे दूर तक पहुंचेगी—और अक्टूबर की रिपोर्ट कार्ड में किसका नाम “पावरहाउस” लिख दिया जाएगा।

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद की हवा में इन दिनों बिजली का करंट ही नहीं, सियासी चालों की तड़प भी घुली है। बिजली दफ्तर के बाहर जहां नारों का शोर था, वहीं असली बिजली कांग्रेस के भीतर तेज़ी से दौड़ रही थी। संगठन चुनाव की आहट के बीच हर दावेदार मुस्कुरा रहा, लेकिन हर मुस्कान के पीछे सत्ता का गणित दर्ज था।

मंच, भीड़, और निगाहों की जंग

Gariaband politics Congress leadership race Bhawani Shukla entry Tribal faction influence: बिजली दफ्तर के घेरे के मंच पर आज हर वह चेहरा नजर आया जिसके नाम की चर्चा जिला अध्यक्ष की कुर्सी के लिए है—भावसिंह साहू, सुखचंद बेसरा, शैलेन्द्र साहू, युगल पांडेय, नीरज ठाकुर। सब एक मंच पर—but every eye quietly measuring the crowd behind each leader. भीड़ में कुछ ताली पीट रहे थे, कुछ गिनती लगा रहे थे—किसका ग्रुप कितना भारी। कांग्रेस के भीतर यह मंच एकजुटता का संदेश था, लेकिन ज़मीन पर हर चेहरा अपनी-अपनी सेना सजाए बैठा था।

किताब़ी एक्शन नहीं, असली शक्ति की परीक्षा

Gariaband politics Congress leadership race Bhawani Shukla entry Tribal faction influence: जब भी आंदोलन की आंधी उठती है, गरियाबंद में कांग्रेस संगठन के असली समीकरण खुलने लगते हैं। कार्यकर्ता सिर्फ विरोध नहीं कर रहे थे, वो ताकत भी तौल रहे थे। यही ताकत आने वाले संगठन चुनाव में वोट के रूप में बदलेगी। “अब चुनाव सिर्फ चेहरा नहीं, चरित्र भी तौलेगा,”—एक पुराने कार्यकर्ता ने कहा।

भवानी शंकर शुक्ल की एंट्री, जैसे सियासत की स्क्रिप्ट ही बदल गई

Gariaband politics Congress leadership race Bhawani Shukla entry Tribal faction influence: सबको लग रहा था कि अबकी बार युगल पांडेय या नीरज ठाकुर का जोर है। लेकिन जैसे ही कांग्रेस के बुजुर्ग नेता अमितेश शुक्ल के बेटे, भवानी शंकर मंच पर आए, समीकरण ही पलट गया। शुक्ल परिवार गरियाबंद की राजनीति में सिर्फ नाम नहीं, भावनाओं की विरासत लिए फिर लौटा। उनके आ जाने से पुराने कार्यकर्ताओं में फिर निष्ठा की लौ तेज हुई, और बाकियों के लिए नया खतरा पैदा हो गया।

Gariaband politics Congress leadership race Bhawani Shukla entry Tribal faction influence: कुछ सप्ताह पहले तक युगल पांडेय और नीरज ठाकुर को सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा था, मगर लोकसभा चुनाव के बाद अचानक भवानी शंकर शुक्ल की सक्रियता ने सारी स्क्रिप्ट बदल दी। शुक्ल परिवार भले राजिम के कीरवाई के मतदाता हों, उनका पुराना रिश्ता गरियाबंद के कांग्रेस कार्यकर्ताओं से गहरा है।

Gariaband politics Congress leadership race Bhawani Shukla entry Tribal faction influence: श्यामा चरण शुक्ल के जमाने से इस परिवार के प्रति कार्यकर्ताओं में गहरी निष्ठा रही है। अमितेश शुक्ल की हार के बाद जो खत्म सा दिखता संबंध था, उसे भवानी भरने की जिद के साथ लौटे हैं—इसीलिए बाकी दावेदार बेचैन हैं कि “पारिवारिक विरासत” के साथ अब भावनाओं की राजनीति भी मुकाबले में उतर आई है।

हर शख्स एक इरादे की पोस्टर

Gariaband politics Congress leadership race Bhawani Shukla entry Tribal faction influence: नारे गूंजे, भीड़ में तान छिड़ी—फिर भी, निर्णायक सियासत मंच के बाहर तय हो रही थी। मंच पर हर चेहरा अपने-अपने ग्रुप की ताकत दिखाते हुए, सामने लोकतंत्र का शो, पीछे समीकरणों का झरोखा। नेताओं के दावे, कार्यकर्ताओं का समर्थन और चेहरे की मुस्कान—हर इशारे में, हर ताली में चुनावी गणित छिपा था।

आदिवासी, महिला, अल्पसंख्यक: सन्नाटा जिसमें इशारे छुपे

Gariaband politics Congress leadership race Bhawani Shukla entry Tribal faction influence: गरियाबंद जिला बनने के बाद आदिवासी नेता सिर्फ एक बार ओंकार शाह के रूप में जिला अध्यक्ष बने। इस बार आदिवासी नेतृत्व और महिला-अल्पसंख्यक की दावेदारी मंच से कोसों दूर थी। क्या ये खामोशी रणनीति है, या उपेक्षा? कांग्रेसी गलियारों में यह सवाल रहस्यमय फुसफुसाहट में बदल चुका है। कहा जा रहा है कि कहीं आदिवासी खेमे में न सियासी गेंद गिर जाए ?

संगठन चुनाव के नए मानदंड और दिल्ली की निगाह

Gariaband politics Congress leadership race Bhawani Shukla entry Tribal faction influence: इस बार कांग्रेस के संगठन चुनाव की प्रक्रिया बदल गई है। एआईसीसी ने राजस्थान की पूर्व मंत्री रेहाना रियाज चिश्ती को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है, जो 9 से 12 अक्टूबर तक जिले में सूचीबद्ध दावेदारों परखेंगी। केवल नेताओं से ही नहीं, पत्रकारों, समाजसेवियों, वकीलों और व्यापारियों से भी राय ली जाएगी।

Gariaband politics Congress leadership race Bhawani Shukla entry Tribal faction influence: यानी अब चुनाव सिर्फ सिफारिश, धनबल, या बड़े नेताओं की नजदीकी से नहीं, आचरण, कार्यकुशलता और जनाधार के आधार पर होगा। पार्टी के सूत्रों का कहना है, अगर किसी दावेदार ने एप्रोच दिखाने की कोशिश की तो अंक कटेंगे भी।

सवालों के पीछे सियासत की धड़कन

अब असली सवाल—क्या यह बिजली बिल विरोध मंच महज बढ़ी दरों के खिलाफ था, या असली मकसद संगठन के ताज को पाने की रेस थी? अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में जब “संगठन सृजन” का रिपोर्ट कार्ड दिल्ली जाएगा, फैसला भी वहीं से तय होगा। मुस्कराहटों के पीछे की चालें, गठजोड़ और विरोध का हर पोस्टर अब यही संदेश दे रहा है—असल लड़ाई संगठन पर कब्जे की है, मुद्दा कोई भी हो, मैदान सत्ता का है।

Gariaband politics Congress leadership race Bhawani Shukla entry Tribal faction influence: गरियाबंद की कांग्रेस में फिलहाल हर चर्चा, हर बैठक, हर भीड़—छुपे हुए सियासी संदेश से भरपूर है। यहाँ विरोध असली कम, संगठन की सत्ता का इरादा ज्यादा नज़र आ रहा है।

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