छत्तीसगढ़

दिल्ली विज्ञान भवन में गरियाबंद का गौरव: ‘मोर गांव-मोर पानी’ की गूंज देशभर में, गरियाबंद बना ईस्ट जोन का तीसरा सर्वश्रेष्ठ जिला, राष्ट्रपति से मिला राष्ट्रीय सम्मान

गिरीश जगत, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के लिए ऐतिहासिक बन गया। दिल्ली के प्रतिष्ठित विज्ञान भवन में आयोजित राष्ट्रीय जल मिशन समारोह में गरियाबंद को जोन-1, केटेगरी-2 में देश का तीसरा सर्वश्रेष्ठ जिला चुना गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के करकमलों से यह राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त करते हुए न केवल जिला, बल्कि पूरा छत्तीसगढ़ गौरव से भर उठा।

यह पुरस्कार जिला प्रशासन द्वारा जल संरक्षण, सतही जल संरचनाओं के रख-रखाव, सामुदायिक भागीदारी और तकनीकी नवाचार के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों की राष्ट्रीय स्तर पर मिली बड़ी स्वीकृति है।

सम्मान समारोह में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल, जल शक्ति एवं रेल राज्यमंत्री वी. सोमन्ना, तथा जल शक्ति मंत्रालय के राज्यमंत्री राज भूषण चौधरी भी उपस्थित रहे। जिला प्रशासन की ओर से यह पुरस्कार कलेक्टर बी. एस. उइके, जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता एस. के. बर्मन, और सहायक अभियंता मनोज तांडिल्य ने प्राप्त किया।


26,025 जल संरचनाओं के संरक्षण का बड़ा अभियान

राष्ट्रीय जल पुरस्कार के लिए हुए विस्तृत निरीक्षण व मूल्यांकन में सामने आया कि गरियाबंद जिले ने सतही जल संरचनाओं के 26,025 से अधिक इकाइयों का संरक्षण, पुनरुद्धार और प्रबंधन अत्यंत व्यवस्थित तरीके से किया है। यह काम केवल विभागीय प्रयास नहीं, बल्कि एक सामुदायिक आंदोलन बन चुका है, जिसमें—

  • स्थानीय नागरिक
  • महिला समूह
  • स्वयंसेवी संगठन
  • जनप्रतिनिधि

सभी की सक्रिय व महत्वपूर्ण भूमिका रही।


एक करोड़ रुपये का पुरस्कार, जिले में विकास की नई ऊर्जा

राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा स्थान हासिल करने पर गरियाबंद को एक करोड़ रुपये का पुरस्कार प्रदान किया गया है। यह राशि आगे जल संरक्षण, रिचार्ज, संवर्धन और सामुदायिक जल सुरक्षा परियोजनाओं को और विस्तार देने में महत्वपूर्ण योगदान देगी।


मोर गांव-मोर पानी: ‘नारी शक्ति से जल शक्ति’ तक की यात्रा

तेजी से गिरते भूजल स्तर को देखते हुए जिले ने व्यापक रणनीति के साथ जल शक्ति अभियान—कैच द रेन, और स्थानीय अभियान मोर गांव-मोर पानी के अंतर्गत “मिशन जल रक्षा—नारी शक्ति से जल शक्ति” की शुरुआत की। इस मिशन ने गांवों में जल संरक्षण को एक सामाजिक संकल्प का रूप दे दिया है।


तकनीकी नवाचार: गरियाबंद मॉडल बना राष्ट्रीय उदाहरण

जिले में किए गए तकनीकी नवाचारों को भी राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी सराहना मिली। प्रमुख नवाचार इस प्रकार हैं—

1. असफल बोरों में रिचार्ज तकनीक

  • रिचार्ज सॉफ्ट बोरवेल
  • सेंड फिल्टर तकनीक
    इन तकनीकों से असफल बोरवेल को रिचार्ज कर उन्हें फिर से उपयोगी बनाया गया।

2. परकुलेशन टैंकों में इंजेक्शन वेल

वर्षाजल को सीधे जलस्तर से जोड़ने के लिए इंजेक्शन वेल का निर्माण किया गया, जिससे भूजल रिचार्ज में बड़ी बढ़ोतरी हुई।

3. पहाड़ी और लो-लाइन क्षेत्रों में विशेष संरचनाएँ

  • पहाड़ी इलाकों में रिचार्ज संरचनाएँ
  • लो-लाइन क्षेत्रों में जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण
  • संरचनाओं की व्यापक मरम्मत एवं संधारण

4. GIS आधारित योजना निर्माण

पूरे जिले का GIS आधारित जल संरचना मैप तैयार किया गया, जिससे योजनाओं को वैज्ञानिक तरीके से लागू किया जा सके।


गरियाबंद की उपलब्धि – छत्तीसगढ़ के लिए प्रेरक संदेश

गरियाबंद की इस उपलब्धि ने यह साबित किया है कि यदि प्रशासनिक इच्छाशक्ति, तकनीकी नवाचार और सामुदायिक भागीदारी एकजुट हो जाएं, तो जल संकट पर काबू पाना मुश्किल नहीं—यह एक मॉडल है जिसे देश के अन्य जिलों में भी लागू किया जा सकता है।

राष्ट्रीय स्तर पर मिले इस सम्मान ने न केवल जिले का बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ का मान बढ़ाया है। अब यह उपलब्धि जिले के विकास और जल सुरक्षा अभियान को नई दिशा और नई ऊर्जा देगी।

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