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मोबाइल टॉर्च की रोशनी में हुई डिलीवरी: गरियाबंद अस्पताल में 8 घंटे बिजली गुल रही, एंबुलेंस तक नहीं, सुविधाओं की कमी से जूझ रहा अस्पताल

Gariaband Amlipar Community Health Center Delivery done in light of mobile torch: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में मोबाइल टॉर्च की रोशनी में एक महिला का प्रसव कराया गया. 26 अप्रैल को अमलीपार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 8 घंटे तक बिजली आपूर्ति बंद थी. उस दौरान डबरीगुड़ा की एक गर्भवती महिला प्रसव के लिए पहुंची थी. दर्द से तड़प रही महिला का तत्काल उपचार जरूरी था.

इमरजेंसी में डॉक्टरों की टीम ने मोबाइल की रोशनी में ही प्रसव कराया. गर्भवती महिला के प्रसव के दौरान डॉ. इंद्रजीत, नर्स वंदना लखरा और एक मितानिन मौजूद थीं, जिन्होंने महिला की सामान्य डिलीवरी कराई. मां और नवजात दोनों स्वस्थ हैं.

जानकारी के मुताबिक 2022 में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को अपग्रेड कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया. लेकिन अब तक यहां जरूरी सुविधाएं मुहैया नहीं कराई जा सकी हैं. इस अस्पताल पर 40 से ज्यादा वनवासी और सुदूर गांवों की करीब 80 हजार की आबादी निर्भर है. लेकिन इमरजेंसी के लिए यहां एंबुलेंस की सुविधा नहीं है.

इसलिए इमरजेंसी में प्रसव कराना पड़ा

नर्स वंदना लखरा ने बताया कि अस्पताल में इन्वर्टर की व्यवस्था नहीं थी। कम क्षमता के कारण सोलर सिस्टम काम नहीं कर रहा था। इसके अलावा यहां सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। नर्स ने सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने की भी मांग की। प्रभारी चिकित्सक डॉ. इंद्रजीत ने बताया कि अस्पताल में सीसीटीवी और लाइट की मांग कई बार की गई, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

इसके साथ ही अस्पताल परिसर में बाउंड्रीवाल न होने के कारण असामाजिक तत्व भी वहां डेरा जमाए रहते हैं। हालांकि महिला की स्थिति को देखते हुए सुरक्षित प्रसव कराया गया है। मितानिन ने बताया कि इतना बड़ा अस्पताल होने के बावजूद हमें कोई सुविधा नहीं मिल रही है। जब हम मरीज को रेफर करते हैं तो डॉक्टर डांटते हैं कि इतनी रात को मरीज को कैसे लेकर आए।

सुविधाओं की कमी से जूझ रहा अस्पताल

वहीं यह भी जानकारी सामने आई है कि अस्पताल में 102 एंबुलेंस सेवा भी नहीं है। प्रसव कक्ष और इमरजेंसी कक्ष में बिजली का बैकअप नहीं है। वैक्सीन व्यवस्था सोलर पर ही निर्भर है। बिल्डिंग में चारदीवारी नहीं है और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगे हैं। स्टाफ और डॉक्टरों की भी कमी है। इन कमियों के कारण इलाके के ज्यादातर ग्रामीण निजी या अप्रशिक्षित डॉक्टरों की सेवाएं लेने को मजबूर हैं।

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