
गरियाबंद से गिरीश जगत की रिपोर्ट।
Chhattisgarh Gariyaband Farmer self immolation due to land dispute: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में प्रशासनिक भ्रष्टाचार और राजस्व विभाग की लापरवाही का एक और शर्मनाक चेहरा सामने आया है। अमलीपदर तहसील के खरीपथरा गांव निवासी 48 वर्षीय मुरहा नागेश अपनी पुश्तैनी 7 एकड़ ज़मीन का हक पाने के लिए पिछले चार साल से सिस्टम के दरवाज़े खटखटा रहा है। अब उसने हारकर कलेक्टोरेट के सामने 14 जुलाई से परिवार सहित अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठने का ऐलान कर दिया है। चेतावनी साफ है — “अगर फिर भी सुनवाई नहीं हुई, तो यहीं आत्मदाह करूंगा।”

पुश्तैनी ज़मीन पर दबंगों का कब्जा, रिकॉर्ड में हेरफेर
Chhattisgarh Gariyaband Farmer self immolation due to land dispute: मुरहा नागेश का कहना है कि पीढ़ियों से वह जिस ज़मीन की खेती करता आ रहा था, वह ज़मीन अब रिकॉर्ड में कहीं और दर्ज कर दी गई है। ग्राम के कुछ दबंगों ने राजस्व अमले की मिलीभगत से उस ज़मीन को अपने नाम करा लिया और मुरहा को बेदखल कर दिया गया। अब हालत यह है कि उसके परिवार में पत्नी और तीन बेटे हैं, लेकिन गुज़ारे के लिए जमीन नहीं बची।
2 लाख की रिश्वत, फिर भी नहीं मिला इंसाफ
Chhattisgarh Gariyaband Farmer self immolation due to land dispute: मुरहा के मुताबिक उसने बंदोबस्त सुधार के लिए तहसील में आवेदन किया था। इस दौरान तीन अलग-अलग तहसीलदार बदले और हर बार कुछ न कुछ “नजराना” माँगा गया। वह कहता है —
“कर्ज लेकर एक लाख, फिर 60 हजार और आख़िर में 20 हजार — कुल दो लाख रुपए अलग-अलग बार में दे चुका हूँ। लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात।”

तीन दिन की राहत, फिर नया झटका
Chhattisgarh Gariyaband Farmer self immolation due to land dispute: हाल ही में अमलीपदर तहसील ने मुरहा नागेश के पक्ष में फैसला दिया था। उसे लगा अब न्याय मिलेगा। लेकिन यह राहत सिर्फ तीन दिन ही टिक पाई। गांव के दबंगों ने इस आदेश को एसडीएम न्यायालय में चुनौती दे दी। अब एसडीएम दफ्तर ने स्टे आदेश देते हुए मुरहा को दोबारा खेत से रोक दिया है। यानि इंसाफ का रास्ता एक बार फिर बंद कर दिया गया है।
तहसीलदार की सफाई और सिस्टम का सच
तहसीलदार सुशील भोई का कहना है:
“मामले में परीक्षण और पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर मुरहा नागेश के पक्ष में फैसला दिया गया था। लेकिन उभय पक्ष द्वारा एसडीएम कोर्ट में अपील कर दी गई है। अब यह मामला वहां विचाराधीन है।”
लेकिन सवाल ये है कि जब तहसील स्तर पर फैसला स्पष्ट था, तो एसडीएम स्तर पर क्यों रोक लगा दी गई? क्या यही है आम आदमी को न्याय देने की प्रशासनिक प्रक्रिया?

भूख हड़ताल और आत्मदाह की चेतावनी
10 अगस्त को मुरहा नागेश ने एसपी और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा, जिसमें साफ लिखा —
“14 जुलाई से परिवार सहित भूख हड़ताल पर बैठूंगा। अगर अब भी हमारी नहीं सुनी गई तो कलेक्टोरेट परिसर से वापस नहीं जाऊंगा — आत्मदाह ही आख़िरी रास्ता होगा।”
इस चेतावनी के बाद भी अब तक जिला प्रशासन की ओर से कोई ठोस पहल नहीं हुई है।
सरकार, क्या यही है तुम्हारा न्याय?
Chhattisgarh Gariyaband Farmer self immolation due to land dispute: एक तरफ सरकार किसानों के अधिकार, भ्रष्टाचार मुक्त शासन और पारदर्शिता की बात करती है, दूसरी तरफ जमीन के लिए चार साल से भटकता किसान रिश्वत देकर भी न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है। आखिर कब तक एक आम नागरिक को अपनी ज़मीन के लिए आत्मदाह की चेतावनी देनी पड़ेगी?
1. गरियाबंद के मुरहा नागेश की जमीन का मामला क्या है?
उत्तर: गरियाबंद ज़िले के खरीपथरा गांव निवासी मुरहा नागेश की पुश्तैनी 7 एकड़ कृषि भूमि को राजस्व विभाग की मिलीभगत से दबंगों ने अपने नाम करवा लिया। पिछले चार साल से वह बंदोबस्त त्रुटि सुधार के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन अब तक न्याय नहीं मिला।
2. मुरहा नागेश को कितनी रिश्वत देनी पड़ी?
उत्तर: मुरहा नागेश ने बताया कि बंदोबस्त सुधार के दौरान तहसील में तीन बार रिश्वत दी — ₹1 लाख, ₹60 हजार और ₹20 हजार। कुल मिलाकर करीब ₹2 लाख रुपये खर्च कर दिए, फिर भी स्थायी समाधान नहीं मिला।
3. अब मुरहा नागेश क्या करने जा रहे हैं?
उत्तर: मुरहा नागेश और उनका परिवार 14 जुलाई 2025 से गरियाबंद कलेक्टोरेट के सामने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेगा। उनका कहना है कि अगर सुनवाई नहीं हुई, तो वे वहीं आत्मदाह करेंगे।
4. इस मामले में अब तक क्या निर्णय लिया गया है?
उत्तर: अमलीपदर तहसील ने हाल ही में मुरहा नागेश के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन गांव के विरोधी पक्ष ने उस फैसले को एसडीएम न्यायालय में चुनौती दे दी है। फिलहाल मामला एसडीएम कार्यालय में लंबित है।
5. क्या प्रशासन ने कोई प्रतिक्रिया दी है?
उत्तर: अमलीपदर तहसीलदार सुशील भोई ने कहा कि बंदोबस्त त्रुटि सुधार में पर्याप्त जांच के बाद मुरहा के पक्ष में फैसला दिया गया था, लेकिन मामले को एसडीएम कोर्ट में चुनौती दिए जाने के बाद फिलहाल सुनवाई वहीं जारी है।
6. क्या मुरहा नागेश की जमीन पर अभी कृषि कार्य हो रहा है?
उत्तर: नहीं, एसडीएम दफ्तर से स्थगन आदेश जारी होने के बाद मुरहा को जमीन पर खेती करने से रोक दिया गया है, जिससे उनका परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है।
7. क्या मुरहा नागेश को न्याय मिलने की उम्मीद है?
उत्तर: मुरहा नागेश अब पूरी तरह हताश हो चुके हैं। उनका कहना है कि अगर 14 जुलाई से भूख हड़ताल के बाद भी सुनवाई नहीं हुई, तो वह अपने परिवार समेत आत्मदाह करेंगे।

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