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Indore News: भारत के मिलेट्स दुनिया को दिखाएंगे बेहतर स्वास्थ्य की राह- सिंधिया

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इंदौर में चल रहे जी 20 समिट में मंगलवार को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शिरकत की। उन्होंने एग्रीकल्चर वर्किंग ग्रुप की पहली मीटिंग के दूसरे दिन जी-20 के सदस्यों से विभिन्न विषयों पर चर्चा की। सेशन के बाद उन्होंने पत्रकारों से भी बातचीत की और बताया कि भारत कृषि के क्षेत्र में कैसे नवाचारों के माध्यम से आगे बढ़ रहा है। 

सिंधिया ने कहा कि मप्र ने कृषि के क्षेत्र में पिछले 18 साल में कई बड़ी उपलब्धि हासिल की है। मप्र में पहले करीब 2 लाख हेक्टेयर सिंचाई का रकबा था जो अब बढक़र 18 साल में 200 लाख हेक्टेयर से 300 लाख हेक्टेयर तक हो चुका है। इस हिसाब से इसमें 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। कुछ साल पहले तक मप्र में 163 लाख टन अनाज का उत्पादन होता था जो आज बढक़र 619 लाख टन हो गया है। इस हिसाब से इसमें 400 गुना की वृद्धि हुई है।

मिलेट्स पर भारत की बात को संयुक्त राष्ट्र ने माना

सिंधिया ने यहां कहा कि मिलेट्स भारत की पुरातन संस्कृति का हिस्सा रहे हैं और पूरी दुनिया इनका महत्व समझ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर संयुक्त राष्ट्र ने इस साल को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित किया है। इसका मकसद पूरी दुनिया में मिलेट्स का महत्व बताना है। उन्होंने कहा कि यहां जो सम्मेलन चल रहा है उसमें भी मिलेट्स ही प्रमुखता से रखा गया है। इस समिट में जो भी सार निकलेगा उससे पूरी दुनिया के कृषि क्षेत्र में बड़े बदलाव आएंगे। यह इंदौर के लिए भी गौरव की बात है। 

यह बातें भी बताई

भारत विश्व में फल और सब्जियों के क्षेत्र में दूसरे नंबर पर और अनाज के उत्पादन में तीसरे नंबर पर है। यह देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। 

मप्र का कृषि उत्पादन 10.50 मिलियन डॉलर का हो चुका है।

मप्र सोयाबीन, गेहूं, दाल और लहसुन के उत्पादन में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

देश के पांच सबसे बड़े दूध उत्पादक राज्यों में मप्र भी शामिल हो चुका है। 

किसान को प्रोडक्शन से लेकर मार्केटिंग तक सीखना होगी

सिंधिया ने कहा कि किसान को अच्छे फायदे के लिए प्रोडक्शन से लेकर मार्केटिंग तक सीखना चाहिए। आज जो भी तकनीकें आ रही हैं उन सभी को किसान को समझना चाहिए। इससे उसका लाभ भी बढ़ेगा और पैदावार भी ज्यादा होगी। एग्रीकल्चर इकोसिस्टम के लिए थ्री-एस स्ट्रेटेजी अपनानी होगी। ऐसी स्ट्रेटेजी जो स्मार्ट, सस्टेनेबल हो जो सभी को सर्व कर पाए। आज ड्रोन तकनीकें आ रही हैं जिनसे कृषि को बहुत फायदा हो रहा है। किसान को यह भी सीखना चाहिए। 

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