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Harda: एक साथ निकलीं चार अर्थियां, अष्टमी की पूजा करने निकले थे पर रास्ते में सड़क हादसे ने ले ली जान

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मध्य प्रदेश के हरदा में सोमवार को एक साथ चार अर्थियां निकलीं। जिसने भी ये दृश्य देखा, आंख से आंसू नहीं रोक पाया। शुक्ला परिवार के चार सदस्यों का अंतिम संस्कार किया गया। पति-पत्नी का अलग-अलग और दोनों बेटियों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया। 
बता दें कि हरदा के छीपानेर रोड पर रहने वाले शुक्ला परिवार के 40 वर्षीय मोहित शुक्ला अपनी पत्नी दक्षा शुक्ला और बेटियों मान्या (8) और लावण्या (14) के साथ दुर्गाष्टमी का पूजन करने कार से उन्नाव के लिए निकले थे। पर सागर के राहतगढ़ में उनकी कार ट्रक से टकरा गई, जिससे चारों की मौत हो गई थी। पीएम के बाद सोमवार सुबह चारों के शव सागर से हरदा पहुंचे थे। सड़क दुर्घटना में चारों के शव क्षत-विक्षत हो गए थे। ऐसे में किसी को उनका चेहरा तक नहीं दिखाया गया।

चारों सदस्यों की अर्थियां एकसाथ निकलीं तो पूरा इलाका गमजदा हो गया। हर किसी की आंख से आंसू निकल रहे थे। मुक्तिधाम में मोहित और दक्षा का अलग-अलग चिताओं पर अंतिम संस्कार किया गया। वहीं दो बेटियों लावण्या और मान्या को एक ही चिता पर अंत्येष्टि की गई। मोहित के मंझले चाचा के बेटे ने मुखाग्नि दी। 

मोहित की मां शकुन्तला देवी अपने बेटे-बहू और दोनों पोतियों का चेहरे दिखाने और अंतिम बार दुलार करने के लिए कहती रही, लेकिन कोई भी उनका चेहरा दिखाने की हिम्मत नहीं जुटा सका। दक्षा के 71 वर्षीय पिता द्वारकानाथ तिवारी भी बिलख-बिलखकर रो रहे थे। अंतिम संस्कार के दौरान वे कहने लगे मेरी प्यारी बेटी ने कभी भी गुस्सा नहीं किया। वह मेरी लाडली थी, मैंने अपने जाने की सोच रहा था, मुझे मेरी बेटी-दामाद व नातनियों को इस तरह बिना चेहरा देखे अंतिम विदाई देनी पड़ी है। 

पढ़ें हादसे की खबर- सड़क हादसे में एक परिवार के चार की मौत, अष्टमी पूजन के लिए जाते वक्त कार ट्रक से टकराई  
 

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मध्य प्रदेश के हरदा में सोमवार को एक साथ चार अर्थियां निकलीं। जिसने भी ये दृश्य देखा, आंख से आंसू नहीं रोक पाया। शुक्ला परिवार के चार सदस्यों का अंतिम संस्कार किया गया। पति-पत्नी का अलग-अलग और दोनों बेटियों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया। 

बता दें कि हरदा के छीपानेर रोड पर रहने वाले शुक्ला परिवार के 40 वर्षीय मोहित शुक्ला अपनी पत्नी दक्षा शुक्ला और बेटियों मान्या (8) और लावण्या (14) के साथ दुर्गाष्टमी का पूजन करने कार से उन्नाव के लिए निकले थे। पर सागर के राहतगढ़ में उनकी कार ट्रक से टकरा गई, जिससे चारों की मौत हो गई थी। पीएम के बाद सोमवार सुबह चारों के शव सागर से हरदा पहुंचे थे। सड़क दुर्घटना में चारों के शव क्षत-विक्षत हो गए थे। ऐसे में किसी को उनका चेहरा तक नहीं दिखाया गया।

चारों सदस्यों की अर्थियां एकसाथ निकलीं तो पूरा इलाका गमजदा हो गया। हर किसी की आंख से आंसू निकल रहे थे। मुक्तिधाम में मोहित और दक्षा का अलग-अलग चिताओं पर अंतिम संस्कार किया गया। वहीं दो बेटियों लावण्या और मान्या को एक ही चिता पर अंत्येष्टि की गई। मोहित के मंझले चाचा के बेटे ने मुखाग्नि दी। 

मोहित की मां शकुन्तला देवी अपने बेटे-बहू और दोनों पोतियों का चेहरे दिखाने और अंतिम बार दुलार करने के लिए कहती रही, लेकिन कोई भी उनका चेहरा दिखाने की हिम्मत नहीं जुटा सका। दक्षा के 71 वर्षीय पिता द्वारकानाथ तिवारी भी बिलख-बिलखकर रो रहे थे। अंतिम संस्कार के दौरान वे कहने लगे मेरी प्यारी बेटी ने कभी भी गुस्सा नहीं किया। वह मेरी लाडली थी, मैंने अपने जाने की सोच रहा था, मुझे मेरी बेटी-दामाद व नातनियों को इस तरह बिना चेहरा देखे अंतिम विदाई देनी पड़ी है। 

पढ़ें हादसे की खबर- सड़क हादसे में एक परिवार के चार की मौत, अष्टमी पूजन के लिए जाते वक्त कार ट्रक से टकराई  

 

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