मध्यप्रदेश

Chhindwara: टीचर्स डे पर पूर्व प्राचार्य को जेल, न्यायालय ने फ्लावरवेल स्कूल में गबन के मामले में सुनाई सजा

छिंदवाड़ा जिले के परासिया न्यायालय ने सोमवार को फ्लावरवेल स्कूल चांदामेटा के पूर्व प्राचार्य को गबन के मामले में जेल भेज दिया है। स्कूल सोसायटी ने न्यायालय में पूर्व प्राचार्य के खिलाफ गबन का केस लगाया है। मामले की सोमवार को न्यायालय ने पूर्व प्राचार्य एसके गांगुली को जेल भेजा है। 

पूर्व प्राचार्य गांगुली के खिलाफ न्यायालय में उस समय प्रकरण दायर किया गया था जब वे स्कूल में प्राचार्य के पद पर पदस्थ थे। उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट था। उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए प्रयास किया था, लेकिन उन्हें अग्रिम जमानत नहीं मिल पाई थी। सोमवार को पेशी पर पुलिस उन्हें कोर्ट लेकर आई थी। धारा 409 के तहत उन पर प्रकरण दायर किया गया है। इसे सुनने का अधिकार नहीं होने से न्यायालय ने उनको जेल भेज दिया।
 
बता दें, फ्लावरवेल में वेकोलि के जीएम ने रजिस्ट्रार के आदेश के तहत एस के गांगुली को प्राचार्य नियुक्त किया था। इस आदेश  पर हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया था। लेकिन स्टे के बाद भी एसके गांगुली इस पद पर कार्य करते रहे। समिति के तत्कालीन अध्यक्ष पूरन राजलानी ने उनके विरुद्ध न्यायालय में प्रकरण दाखिल किया था। इस दौरान प्राचार्य पर स्कूल में प्रतिमाह फीस के आने वाले लगभग 24 लाख रुपये स्कूल के खाते में जमा न कर उसका मनमर्जी से निजी उपयोग करने के आरोप लगाए गए हैं। मामले में पूरन राजलानी के अधिवक्ता ने कहा कि एसके गांगुली के विरुद्ध धारा 409 का प्रकरण दायर किया गया है। इस मामले में न्यायालय ने उन्हें जेल भेज दिया।

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छिंदवाड़ा जिले के परासिया न्यायालय ने सोमवार को फ्लावरवेल स्कूल चांदामेटा के पूर्व प्राचार्य को गबन के मामले में जेल भेज दिया है। स्कूल सोसायटी ने न्यायालय में पूर्व प्राचार्य के खिलाफ गबन का केस लगाया है। मामले की सोमवार को न्यायालय ने पूर्व प्राचार्य एसके गांगुली को जेल भेजा है। 

पूर्व प्राचार्य गांगुली के खिलाफ न्यायालय में उस समय प्रकरण दायर किया गया था जब वे स्कूल में प्राचार्य के पद पर पदस्थ थे। उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट था। उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए प्रयास किया था, लेकिन उन्हें अग्रिम जमानत नहीं मिल पाई थी। सोमवार को पेशी पर पुलिस उन्हें कोर्ट लेकर आई थी। धारा 409 के तहत उन पर प्रकरण दायर किया गया है। इसे सुनने का अधिकार नहीं होने से न्यायालय ने उनको जेल भेज दिया।

 

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