शिव के राज में लकड़ी में मध्यान्ह भोजन: सिलेंडर रिफलिंग की राशि बंदरबाट की बू, अधिकारियों की मनमानी, चूल्हा फूंककर खाना बना रहे रसोईया, कौन डकार रहा पैसा ?
![शिव के राज में लकड़ी में मध्यान्ह भोजन: सिलेंडर रिफलिंग की राशि बंदरबाट की बू, अधिकारियों की मनमानी, चूल्हा फूंककर खाना बना रहे रसोईया, कौन डकार रहा पैसा ? शिव के राज में लकड़ी में मध्यान्ह भोजन: सिलेंडर रिफलिंग की राशि बंदरबाट की बू, अधिकारियों की मनमानी, चूल्हा फूंककर खाना बना रहे रसोईया, कौन डकार रहा पैसा ?](https://i0.wp.com/mpcgtimes.com/wp-content/uploads/2023/09/mp-dindori-news-1.jpg?fit=1200%2C675&ssl=1)
गणेश मरावी,डिंडौरी। भाजपा सरकार में मध्यप्रदेश के डिंडौरी जिले में संचालित विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन योजना धरातल पर दम तोड़ती नजर आ रही है। यहां पर सरकार द्वारा प्रदाय की गई गैस सिलेंडर का उपयोग नहीं किया जा रहा है, बल्कि समूहों या प्राधानाध्यापकों के द्वारा गैस को कमरों में सुरक्षित रखते हुए लकड़ी के चूल्हा में मध्यान्ह भोजन बनवाया जा रहा है। साथ ही मेनू के आधार पर भोजन नहीं बनाया जा रहा है।
इन मामलों को लेकर ब्लाॅक स्तर के अधिकारी समेत जिले स्तर के अधिकारियों के द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जबकि समय – समय पर मध्यान्ह भोजन योजना को बेहतर संचालित कराने को लेकर विभाग के अधिकारियों को निरीक्षण करने के निर्देश हैं, लेकिन संबंधित अधिकारी – कर्मचारियों के द्वारा नियमित निगरानी और निरीक्षण नहीं करने के कारण जिले के कई विद्यालयों में मेनू के आधार पर गुणवत्तायुक्त भोजन नहीं दिया जाना और सरकार द्वारा प्रदाय की गई गैस सिलेंडरों से मध्यान्ह भोजन नहीं बनाया जा रहा है।
वहीं रसोईयों का कहना है कि समूहों के द्वारा सिलेंडरों को रिफलिंग नही करा रहे हैं, जिसके कारण स्वयं ही लकड़ी लाकर खाना पकाते हैं। उनका यह भी कहना है कि जिम्मेदारों के द्वारा लकड़ी का पैसा भी नहीं दिया जा रहा है, जबकि सरकार के द्वारा धुआं से निजात देने के लिए प्रत्येक विद्यालयों में गैस सिलेंडर और चूल्हा वितरित किया गया है ,किंतु आज भी रसोईयां मिटटी के चूल्हा में फूंक – फूंक कर मध्यान्ह भोजन बनाने को मजबूर है,जिन पर कोई ध्यान नही दे रहे हैं।
4 साल से लकड़ी के चूल्हा में बना रहे मध्यान्ह भोजन
डिंडौरी जिले के विकासखंड मेहंदवानी के ग्राम केवलारदर में संचालित प्राथमिक स्कूल लगभग 4 वर्षों से रसोईया के द्वारा लकड़ी के चूल्हा में मध्यान्ह भोजन बना रही हैं। रसोईया ने बताया कि 4 वर्षों से मैं स्वयं ही लकड़ी लाकर खाना बना रही हूॅं,जब शुरुआत में गैस सिलेंडर मिला था, तब खाना बनाए थे। ईंधन खत्म होने के बाद नहीं बनाए हैं। सिलेंडर खाली होने के बाद लकड़ी से ही बना रहे है। साथ ही लकड़ी का पैसा भी नही दिया जा रहा है।
इसी तरह समनापुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम केवालारी में संचालित प्राथमिक स्कूल का सामने आया है। उक्त स्कूल में प्राधानाध्यापक अर्धगोप के द्वारा मध्यान्ह भोजन संचालित कराया जा रहा है। यहां भी 4 – 5 वर्षों से लकड़ी के चूल्हा में मध्यान्ह भोजन बनाया जा रहा है।
बताया गया कि प्रधानाध्यापक अर्धगोप के पहले भी मध्यान्ह भोजन लकड़ी के चूल्हा में बनाया गया है,और आज भी मिटटी के चूल्हा में बना रहे है। वहीं प्राथमिक स्कूल धोबा केवलारी में दो – तीन दिनों से बच्चों को भोजन नही दिया गया है।
प्राधानाध्यापक अर्धगोप से गैस सिलेंडर से मध्यान्ह भोजन नही बनाने को लेकर बात की गई तो उनका कहना है था कि मुझे गैस सिलेंडर से खाना भोजन बनाना है व गैस सिलेंडर रिफलिंग कराने के लिए पैसे दी जाती है। इसकी जानकरी नहीं है और अभी तक ईंधन की राशि नहीं आई है।
उक्त मामले को लेकर जब बीएसी मदन सोनवानी से बात की गई तो उन्होनें बताया कि प्राधानाध्यापक के खाते में ईंधन की राषि डाली गई है,लेकिन गैस सिलेंडर से नही बनाया जा रहा है,इसकी जानकारी नही है, मामले को लेकर सोमवार को जांच कराई जाएगी।
अधिकारियों की माॅनिटरिंग पर उठ रहे सवाल
जिस तरह डिंडौरी जिले के विकासखंड अंतर्गत संचालित विद्यालयों में विद्यार्थियों को मीनू के आधार पर मध्यान्ह भोजन नही मिलना ,मिटटी के चूल्हा में लकड़ी से मध्यान्ह भोजन बनाना, सरकार द्वारा प्रदान की गई गैस सिलेंडर व चूल्हा से मध्यान्ह भोजन नही बनाना, इसको देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि विकासखंड स्तर के अधिकारी अपने कर्तव्यों को जिम्मेदारी पूर्वक निर्वहन नहीं कर रहे है।
जिम्मेदार मध्यान्ह भोजन योजना को बेहतर तरीके से संचालन कराने में गंभीर लापरवाही बरती जा रही है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जिम्मेदार अधिकारी – कर्मचारी कभी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन की निरीक्षण व निगरानी नही रखते है,जिसके चलते स्कूल प्रबंधन व समूहों की मनमानी चरम पर है।
यदि संबंधित विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के द्वारा नियमित निगरानी व निरीक्षण किया जाता तो आज विद्यालयों में गैस सिलेंडर से खाना बनाया जाता और मेनू के आधार पर बच्चों को गुणवत्तायुक्त भोजन मिलता। जिम्मेदारों के द्वारा यदि विद्यालयों की ईमानदारी पूर्वक जांच करेंगी तो कई गड़बड़ियां सामने आएगी।
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