MP News: पांच पहलवान मिलकर भी नहीं उखाड़ पाते दुर्लभ पौधा, धबोटी गांव में 100 वर्षों से जारी है रहस्यमयी प्रथा
ग्राम धबोटी के बुजुर्ग ईश्वर सिंह ने बताया कि कई दशकों से धबोटी के समीप दीपावली के बाद गोवर्धन पूजन के पावन अवसर पर हर साल हजारों की संख्या में मवेशियों के स्वास्थ्य सहित अन्य कामनाओं को लेकर लोग यहां आते हैं, जो मंदिर में मौजूद खुटियादेव की पूजा अर्चना पूरी आस्था और विश्वास के साथ करते हैं। ईश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि यहां पौधा उखाड़ने की प्रथा कई दशकों से चली आ रही है, लेकिन अभी तक कोई भी इस दुर्लभ पौधे को नहीं उखाड़ सका है।
उन्होंने बताया कि गांव के चौकीदार पटेल जगदीश प्रसाद के मार्गदर्शन में विशेष पूजा अर्चना के साथ ग्राम में स्थित खुटियादेव के मंदिर परिसर में पुवाड़िया का दो फीट का पौधा जमीन के अंदर चार इंच के करीब गाड़ा जाता है और उसके बाद सुबह यहां पर करीब तीन घंटे तक आने वाले श्रद्धालु खुटियादेव के दर्शन करने के पश्चात इस पौधे को उखाड़ने का प्रयास करते हैं, लेकिन यह चार इंच जमीन में गड़ा हुआ पौधा न तो टूटता है और न ही चार-पांच लोगों के अथक प्रयास के बाद भी जमीन से टस से मस होता। हालांकि शाम को इस पौधे को बड़ी आसानी से उखाड़कर विसर्जित कर दिया जाता है। इस पौधे को जंगल से हर साल उखाड़कर लाया जाता है और गोर्वधन पूजा से पहले रोपित किया जाता है।
ग्राम के सरपंच ईश्वर सिंह ने बताया कि हमारे बुजुर्गों से मिली जानकारी के अनुसार दीपावली के दूसरे दिन ग्राम धबोटी में छोटा बारहखंभा के नाम से इस प्रसिद्ध मेले और पौधा उखाड़ने की इस अद्भुत घटना में करीब 12 से 15 हजार श्रद्धालु हर साल साक्षी के रूप में मौजूद रहते हैं, जिसमें ग्राम धबोटी, धामनखेड़ा, शिकारपुर, काहरी, बामूलिया, बडनगर, कांकडख़ेड़ा, भाउखेड़ी, आमझिर, मोगरा, हसनाबाद, जहागीरपुरा, नयापुर और आल्हदाखेड़ी आदि के बड़ी संख्या में ग्रामीण और क्षेत्रवासी श्रद्धा और विश्वास के साथ उपस्थित होते हैं, जो खुटियादेव की पूजा-अर्चना के साथ ही मेले में शामिल होते हैं।