FIR against 3 including Tuteja in Naan scam case: छत्तीसगढ़ के नान (नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाले में ईओडब्ल्यू ने सोमवार (4 नवंबर) को नई एफआईआर दर्ज की है। घोटाले में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला तथा छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
ईओडब्ल्यू में 2015 में दर्ज नान घोटाले में आरोप है कि तीनों ने प्रभाव का दुरुपयोग कर गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश की है। इस मामले में ईडी ने 2019 में मामला दर्ज किया है।
गवाहों पर दबाव बनाया गया, बयान बदलने की कोशिश की गई
ईडी की ओर से भेजी गई रिपोर्ट के बाद ईओडब्ल्यू (राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) ने एफआईआर दर्ज की है। डॉ. आलोक और अनिल टुटेजा पिछली सरकार में प्रभावशाली माने जाते थे।
इन अधिकारियों का 2019 से ही सरकार के संचालन नीति निर्धारण और अन्य कार्यों में काफी हस्तक्षेप था। सरकार के महत्वपूर्ण पदों पर पोस्टिंग और ट्रांसफर में भी इनका हस्तक्षेप सामने आया था।
ईओडब्ल्यू के अनुसार, तीनों ने आपराधिक षडयंत्र रचकर ईओडब्ल्यू में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारियों के प्रक्रियात्मक और विभागीय कामकाज से जुड़े दस्तावेजों और सूचनाओं को बदलने की कोशिश की।
उन्होंने वहां दर्ज नान मामले में हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए खुद ही जवाबी दावा तैयार किया, ताकि उन्हें अग्रिम जमानत का लाभ मिल सके। इतना ही नहीं, तीनों ने मामले से जुड़े गवाहों पर भी दबाव बनाया और उनके बयान बदलने की कोशिश की।
नौकरशाही उनके नियंत्रण में थी
ईओडब्ल्यू ने अपनी एफआईआर में कहा है कि अनिल टुटेजा और डॉ. आलोक शुक्ला सरकार में महत्वपूर्ण अधिकारी बन चुके थे और वे सरकार के सबसे ताकतवर अधिकारी थे। सभी महत्वपूर्ण पदों पर पोस्टिंग और ट्रांसफर में उनका सीधा हस्तक्षेप था।
एक तरह से यह कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ सरकार की पूरी नौकरशाही उनके नियंत्रण में थी, जिसके कारण राज्य सरकार के महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थ अधिकारियों पर उनका नियंत्रण था।
व्हाट्सएप चैट से हुआ खुलासा
ईओडब्ल्यू ने अपनी एफआईआर में कहा है कि डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा ने अपने पद का दुरुपयोग कर तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा से अनुचित लाभ उठाया।
उनका उद्देश्य सतीश चंद्र वर्मा को गलत तरीके से सार्वजनिक कर्तव्य निभाने के लिए प्रेरित करना था, ताकि वे अपने पद का दुरुपयोग कर सरकारी काम में बाधा उत्पन्न कर सकें।
इसके बाद इन सभी ने मिलकर आपराधिक षडयंत्र रचा और राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारियों से प्रक्रियात्मक दस्तावेजों और विभागीय सूचनाओं में बदलाव करवाए।
इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य नागरिक आपूर्ति निगम के खिलाफ दर्ज एक मामले (एपीसी 09/2015) में अपने पक्ष में जवाब तैयार करना था, ताकि वे हाईकोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रख सकें और अग्रिम जमानत प्राप्त कर सकें।
इन धाराओं के तहत एफआईआर
छत्तीसगढ़ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने डॉ. आलोक शुक्ला, अनिल टुटेजा, सतीश चंद्र वर्मा व अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धारा 7, 7ए, 8 व 13 (2) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 182, 211, 193, 195-ए, 166-ए व 120बी के तहत अपराध दर्ज किया है। तीनों के खिलाफ इन धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
ईडी ने 2 अप्रैल को ईओडब्ल्यू को भेजा पत्र
2 अप्रैल 2024 को प्रवर्तन निदेशालय ने छत्तीसगढ़ नागरिक आपूर्ति निगम (नान) में हुए बड़े घोटाले से संबंधित रिपोर्ट व दस्तावेज ई-मेल के माध्यम से एसीबी-ईओडब्ल्यू को भेजे, जिसमें ईडी ने जांच के दौरान जब्त डिजिटल डिवाइस से प्राप्त जानकारी व व्हाट्सएप चैट की जानकारी भेजी, जिसमें बताया गया कि अनिल टुटेजा व आलोक शुक्ला ने अपने पद का दुरुपयोग कर हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत हासिल की है।
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