शिवपुरी जिले में अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे किसानों का कहना है कि दो गांव के किसान पिछले तीन दिनों से तहसील कार्यालय के सामने बैठे हैं। नाराज किसान तहसील कार्यालय के सामने तंबू गाड़कर भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं। बावजूद इसके जिले में बैठे जिम्मेदार अधिकारी किसानों की अभी तक कोई सुध नहीं लिए। किसानों के अनुसार, अगर खेतों में पानी नहीं पहुंचेगा तो भी वह मर जाएंगे। ऐसे में यहां पर भूख हड़ताल पर बैठकर मरना ही उचित है, क्योंकि अभी तक गेहूं की बोवनी तक नहीं हुई है।
दरअसल, पचीपुरा तालाब से निकली नहर से पचीपुरा, बैराड़, बबनपुरा और गौदोंलीपुरा गांवों के खेतों को सिंचाई के लिए पानी मिलता है। लेकिन पिछले लंबे समय से नहर की साफ- सफाई और मरम्मत नहीं होने के कारण नहर के अंतिम छोर से लगे दो गांव बवनपुरा और गौदोंलीपुरा के किसानों को इस साल रवि फसलों की सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है।
बबनपुरा और गौंदोलीपुरा के किसान लंबे समय से सिंचाई विभाग से नहर को सही करवाने की मांग कर रहे हैं, ताकि उन्हें खेतों की सिंचाई के लिए पानी मिल सके। लेकिन किसानों की कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई तो किसानों को भूख हड़ताल पर बैठने को मजबूर होना पड़ गया। शुक्रवार से बैराड़ तहसील के सामने भूख हड़ताल पर बैठे किसानों की अभी तक किसी भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि ने कोई सुध नहीं ली है।
साल 2019 में भी भूख हड़ताल पर बैठे थे किसान… ग्रामीणों के अनुसार, इससे पहले साल 2019 में भी नहर फूट गई थी। तब भी उन्होंने प्रशासन से नहर को सही करवाने के लिए काफी गुहार लगाई थी। उस समय भी उन्हें भूख हड़ताल पर बैठना पड़ा था। इसके बाद सिंचाई विभाग ने नहर को सही करवाया था। अब फिर से किसान एक बार फिर आंदोलन की राह है। किसानों का कहना है, यदि समय रहते हुए यह नहर सही नहीं करवाई गई तो वह आगे और बड़ा आंदोलन करेंगे। वह उस समय तक यहां से नहीं उठने वाले हैं, जब तक कि खेत में पानी नहीं पहुंच जाता।
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शिवपुरी जिले में अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे किसानों का कहना है कि दो गांव के किसान पिछले तीन दिनों से तहसील कार्यालय के सामने बैठे हैं। नाराज किसान तहसील कार्यालय के सामने तंबू गाड़कर भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं। बावजूद इसके जिले में बैठे जिम्मेदार अधिकारी किसानों की अभी तक कोई सुध नहीं लिए। किसानों के अनुसार, अगर खेतों में पानी नहीं पहुंचेगा तो भी वह मर जाएंगे। ऐसे में यहां पर भूख हड़ताल पर बैठकर मरना ही उचित है, क्योंकि अभी तक गेहूं की बोवनी तक नहीं हुई है।
दरअसल, पचीपुरा तालाब से निकली नहर से पचीपुरा, बैराड़, बबनपुरा और गौदोंलीपुरा गांवों के खेतों को सिंचाई के लिए पानी मिलता है। लेकिन पिछले लंबे समय से नहर की साफ- सफाई और मरम्मत नहीं होने के कारण नहर के अंतिम छोर से लगे दो गांव बवनपुरा और गौदोंलीपुरा के किसानों को इस साल रवि फसलों की सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है।